लखमीपुर खीरी मामला : सुप्रीम कोर्ट में आशीष मिश्रा को मिली जमानत को चुनौती, याचिका दायर

LiveLaw News Network

17 Feb 2022 1:51 PM GMT

  • लखमीपुर खीरी मामला : सुप्रीम कोर्ट में आशीष मिश्रा को मिली जमानत को चुनौती, याचिका दायर

    लखीमपुर खीरी हिंसा की घटना के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा को जमानत देने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के 10 फरवरी, 2022 के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन दायर किया गया है। इस मामले में आठ लोगों की जान गई थी।

    याचिका अधिवक्ता शिव कुमार त्रिपाठी और सीएस पांडा द्वारा जनहित याचिका (लखीमपुर खीरी (यूपी) में जीवन के नुकसान के लिए डब्ल्यूपी (सीआरएल) 426/2021) में दायर की गई। इस मामले की उचित जांच की मांग की गई थी। इसमें केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा का बेटा शामिल है।

    आवेदन में यह भी कहा गया कि हाईकोर्ट के आदेश के पैरा 23 में रिकॉर्ड में एक स्पष्ट त्रुटि स्पष्ट है, जहां यह देखा गया कि यह संभव है कि चालक (थार के) ने प्रदर्शनकारियों से खुद को बचाने के लिए वाहन तेज़ चलाने की कोशिश की थी।

    यह मुद्दा पिछले साल अक्टूबर में लखमीमपुर खेर में किसान प्रदर्शनकारियों की मौत से संबंधित है। उक्त किसानों को कथित तौर पर आशीष मिश्रा के काफिले के वाहनों ने कुचल दिया था।

    इस संबंध में आवेदन में कहा गया,

    "पैरा 23 में स्पष्ट त्रुटि अनिवार्य आवश्यकता के संबंध में स्पष्ट है कि कोई भी पूर्व-कल्पित कार्यवाही न्यायिक दिमाग में जघन्य हत्या के अपराध के मामले से निपटने के दौरान नहीं होनी चाहिए। हाईकोर्ट के न्यायाधीश अपने तर्क को "शायद" शब्द का उपयोग करके अनुमान पर कैसे टिप्पणी कर सकते हैं। साथ ही इस निष्कर्ष पर पहुंच सकते हैं कि उक्त अपराध की परिणति इस संभावना में हुई कि चालक खुद को बचाने के लिए वाहन को तेज चलाने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के न्यायाधीश द्वारा निकाला गया उक्त निष्कर्ष कानून में टिकाऊ नहीं है।"

    आवेदकों ने कहा कि हाईकोर्ट के तर्क प्रत्यक्ष साक्ष्य के समर्थन के बिना न्यायिक दिमाग का उपयोग किये बिना धारणाओं का सहारा लेते हैं।

    बैकग्राउण्ड

    मूल रूप से मिश्रा के खिलाफ तीन अक्टूबर को हुई एक घटना के लिए एक मामला दर्ज किया गया था। उस घटना में कई किसान उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की लखीमपुर खीरी जिले की यात्रा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। इस दौरान एसयूवी से कुचलकर विरोध करने वाले चार किसान मारे गए।

    कथित तौर पर, एसयूवी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री और भाजपा सांसद अजय कुमार मिश्रा (आशीष मिश्रा के पिता) के काफिले का हिस्सा थी।

    इसके बाद, पुलिस ने आशीष मिश्रा (मंत्री अजय कुमार मिश्रा के बेटे) और कई अन्य लोगों के खिलाफ हिंसा मामले में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 के तहत एफआईआर दर्ज की थी।

    उत्तर प्रदेश पुलिस ने तीन जनवरी को लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को मुख्य आरोपी के रूप में नामित करते हुए लखीमपुर की एक स्थानीय अदालत के समक्ष आरोप पत्र दायर किया।

    गौरतलब है कि लखीमपुर खीरी हिंसा की घटना की जांच कर रहे उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष जांच दल ने दिसंबर में लखीमपुर स्थानीय अदालत के समक्ष कहा कि घटना के दौरान मौजूद लोगों को मारने की साजिश रची गई थी।

    याचिका में कहा गया,

    "अब तक की गई जांच और एकत्र की गई सामग्री से ऐसा प्रतीत होता है कि उक्त कृत्य आरोपी द्वारा किया गया एक लापरवाहीपूर्ण कार्य नहीं, बल्कि यह जानबूझकर हत्या करने की पूर्व नियोजित योजना के अनुसार किया गया था।"

    इसके अलावा, पुलिस ने अदालत के समक्ष यह भी प्रार्थना की कि सभी आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 304 ए, 279, और आईपीसी की धारा 338 को हटा दिया जाए। इसके बजाय आईपीसी की धारा 307, 326, धारा 34 और आर्म्स एक्ट की धारा 3/25 के तहत मामला दर्ज किया जाए।

    सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर, 2021 में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति राकेश कुमार जैन को लखीमपुर खीरी हिंसा की जांच की निगरानी के लिए नियुक्त किया।

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