लखीमपुर खीरी केस: सुप्रीम कोर्ट ने आशीष मिश्रा की जमानत याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार को जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए 2 सप्ताह का समय दिया

Brij Nandan

17 Oct 2022 9:31 AM GMT

  • लखीमपुर खीरी केस: सुप्रीम कोर्ट ने आशीष मिश्रा की जमानत याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार को जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए 2 सप्ताह का समय दिया

    लखीमपुर खीरी केस

    सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने उत्तर प्रदेश राज्य सरकार को लखीमपुर खीरी हिंसा मामले (Lakhimpur Kheri Case) में नियमित जमानत की मांग करने वाले केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा (Ashish Mishra) की याचिका पर जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया।

    जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 26 जुलाई के आदेश को चुनौती देने वाली मिश्रा की याचिका पर विचार कर रही थी जिसमें उनकी नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी।

    सोमवार को हुई सुनवाई में मिश्रा की ओर से सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी पेश हुए। उन्होंने कहा कि राज्य ने अभी तक अपना जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं किया है। पीड़िता की ओर से सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे ने कहा कि ऐसे संकेत हैं जो बताते हैं कि अपराध पूर्व नियोजित था।

    कोर्ट ने 26 सितंबर को उत्तर प्रदेश राज्य को नोटिस जारी किया था।

    प्रारंभ में, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 10 फरवरी को मिश्रा को जमानत दी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2022 में यह देखते हुए कि उच्च न्यायालय ने अप्रासंगिक विचारों को ध्यान में रखा और प्रासंगिक कारकों की अनदेखी की, हाईकोर्ट का फैसला पलट दिया। इसके बाद जमानत अर्जी हाईकोर्ट में भेज दी गई। सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश मृतक किसानों के परिजनों की अपील पर आया था।

    यह घटना 3 अक्टूबर को हुई थी, जब उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की लखीमपुर खीरी जिले की यात्रा के खिलाफ कई किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे थे, और आशीष मिश्रा के एसयूवी द्वारा प्रदर्शन कर रहे किसानों को कुचले जाने के चलते चार प्रदर्शनकारी किसानों की मौत हो गई थी।

    नवंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा की जांच की निगरानी के लिए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस राकेश कुमार जैन को नियुक्त किया था।

    यह आदेश तत्कालीन भारत के चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ से आया था, जो 3 अक्टूबर की लखीमपुर खीरी हिंसा की निष्पक्ष जांच की मांग करने वाले दो वकीलों द्वारा भेजी गई एक पत्र याचिका के आधार पर दर्ज एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

    सुप्रीम कोर्ट की आलोचनात्मक टिप्पणी के बाद यूपी पुलिस ने मिश्रा को गिरफ्तार किया था।


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