कोलकाता म्यूनिसिपल चुनाव: सुप्रीम कोर्ट में बीजेपी की या‌‌‌चिका-तृणमूल सदस्यों पर हिंसा का आरोप, केंद्रीय बलों की तैनाती की मांग

LiveLaw News Network

7 Dec 2021 12:09 PM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली

    सुप्रीम कोर्ट

    भारतीय जनता पार्टी ने कोलकाता में स्वतंत्र और निष्पक्ष नगरपालिका चुनाव सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त केंद्रीय पुलिस बलों की तैनाती और पश्‍चिम बंगाल राज्य के पदाधिकारियों को एक व्यापक कार्य योजना तैयार करने का निर्देश देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

    सीनियर एडवोकेट मेनका गुरुस्वामी ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमाना, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हिमा कोहली की खंडपीठ से मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया था। सीजेआई ने कहा कि वह इस मामले को देखेंगे।

    मामले में संसद सदस्य और प्रदेश भाजमा अध्यक्ष डॉ. सुकांत मजूमदार ने याचिका दायर की है, जिसमें कहा गया है कि कोलकाता नगर निगम चुनावों के लिए भाजपा की ओर से नामित उम्मीदवारों को धमकियां दी जा रही हैं और उन पर उम्मीदवारी वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा है।

    याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि इन धमकियों और हिंसा ने "स्वतंत्र, निष्पक्ष और लोकतांत्रिक चुनाव कराने के संवैधानिक जनादेश का गंभीर उल्लंघन किया है"।

    याचिका में 5 उम्मीदवारों की एक सूची भी दी गई है, जिन्हें 'टीएमसी के गुंडों ने धमकी' दी है। इस संबंध में कोलकाता पुलिस को शिकायत भी दी गई है।

    याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया है कि मई, 2021 में पश्चिम बंगाल में हुए चुनावों के बाद हुई व्यापक हिंसा के मद्देनजर पर्याप्त सुरक्षा विकास की आवश्यकता है, इसलिए वह यह रिट याचिका दायर करने के लिए विवश हैं। उन्होंने यह प्रस्तुत किया है कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय बलों को तैनात करने की तत्काल आवश्यकता है।

    याचिकाकर्ता ने कहा है कि निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने अतिरिक्त बलों की तैनाती के लिए राज्य सरकार के समक्ष अभ्यावेदन दिया है।

    एडवोकेट आदित्य शर्मा और एडवोकेट नचिकेता जोशी के माध्यम से दायर याचिका में निम्नलिखित प्रार्थनाएं की गई हैं-

    -पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग, पश्चिम बंगाल राज्य, गृह सचिव (पुलिस), डीजी और आईजीपी पश्चिम बंगाल और कोलकाता पुलिस (प्रतिवादी संख्या 1-5) को चुनाव क्षेत्रों में शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने और अपने संवैधानिक और वैधानिक कर्तव्य का निर्वहन करने का निर्देश दिया जाए।

    -चुनाव पूर्व या चुनाव बाद कोई हिंसा न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए अधिकारियों की ओर से किए जा रहे उपायों और इस संबंध में एक कार्य योजना प्रदान करने के निर्देश दिया जाए।

    -स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने में पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग की सहायता और सहायता के लिए केंद्रीय पुलिस बलों को भेजने के लिए यूनियन ऑफ इंडिया को निर्देश।

    -प्रतिवादी संख्या 1-5 को उम्मीदवारों को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया जाए ताकि वे चुनावों में भाग ले सकें, प्रचार कर सकें।

    -अन्य दलों के सदस्यों से मिल रही धमकियों के संबंध में भाजपा के उम्मीदवारों द्वारा दायर शिकायतों के संबंध में त्वरित और प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए जाएं।

    -चुनाव पूर्व और बाद की हिंसा की घटनाओं से निपटने के लिए व्यापक कार्य योजना को रिकॉर्ड में रखने के निर्देश।

    उल्लेखनीय है कि जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में एक पीठ ने हाल ही में एक याचिका पर त्रिपुरा स्थानीय निकाय चुनावों में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई निर्देश पारित किए थे।


    केस शीर्षक: डॉ. सुकांत मजूमदार के माध्यम से भारतीय जनता पार्टी बनाम पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग और अन्य

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