केरल एक्टर मर्डर केस: सुप्रीम कोर्ट ने मुकदमे को दूसरे कोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग वाली पीड़िता की याचिका खारिज की, याचिका की अनुमति नहीं दी जा सकती

Brij Nandan

21 Oct 2022 8:07 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली
    सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केरल एक्टर यौन उत्पीड़न मामले में मुकदमे को दूसरे कोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग वाली पीड़िता की याचिका खारिज कर दी।

    जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने केरल उच्च न्यायालय के उस आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया जिसमें पीड़िता की मुकदमे को ट्रांसफर करने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी गई थी।

    पीड़िता ने निचली अदालत के पीठासीन न्यायाधीश की ओर से पक्षपात का आरोप लगाते हुए इस अदालत का दरवाजा खटखटाया।

    पीठ ने मौखिक रूप से कहा,

    "हम पक्षपात का आरोप लगाने वाली ऐसी सभी याचिकाओं की अनुमति नहीं दे सकते हैं। इससे न्यायाधीश बिना किसी डर और पक्षपात के अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं कर पाएंगे।"

    पीठ ने कहा कि अगर ट्रांसफर अनुरोध की अनुमति दी जाती है तो यह एक खराब मिसाल का नेतृत्व करेगा।

    पीठ ने कहा कि ऐसे मामलों में उच्च न्यायालय को अंतिम फैसला लेना होता है।

    पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट आर बसंत से पूछा कि क्या पक्षपात दिखाने वाले कोई ठोस उदाहरण हैं।

    बसंत ने प्रस्तुत किया कि क्रॉस एग्जामिनेशन के दौरान पीड़िता से अनुचित प्रश्न करने की अनुमति दी गई थी। वकील ने मेमोरी कार्ड (जिसमें कथित तौर पर अपराध के दृश्य शामिल हैं) के हैश-वैल्यू में बदलाव के संबंध में फोरेंसिक एग्जामिनेशन की अनुमति देने से न्यायाधीश के इनकार का भी उल्लेख किया।

    पीठ ने कहा कि इस तरह के उदाहरणों को पूर्वाग्रह दिखाने के रूप में नहीं माना जा सकता है। पीठ ने इस तरह के अनुरोधों पर विचार किए जाने पर अधीनस्थ अदालतों पर मनोबल गिराने वाले प्रभाव के बारे में भी चिंता व्यक्त की।

    पीठ ने पूछा कि क्या यह दिखाने के लिए कोई उदाहरण है कि न्यायाधीश कर्तव्यों का ठीक से निर्वहन नहीं किया है।

    जस्टिस रस्तोगी ने कहा,

    "अब हमारे पास जिस तरह का माहौल है, कोई भी अधीनस्थ न्यायाधीश आपराधिक मामलों की सुनवाई नहीं करना चाहता। उनके द्वारा की गई कोई भी टिप्पणी उनके खिलाफ इस्तेमाल की जाती है।"

    अभिनेता दिलीप (जो कथित मुख्य साजिशकर्ता के रूप में मुकदमे का सामना कर रहे हैं) की ओर से पेश सीनियर वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि पीड़िता का प्रयास मुकदमे में देरी करना है। रोहतगी ने पीठ से याचिका पर भारी जुर्माना लगाने का आग्रह किया।

    दिलीप ने सुप्रीम कोर्ट में एक अलग याचिका दायर कर मामले को समय सीमा के भीतर तेजी से निपटाने की मांग की है।

    सुप्रीम कोर्ट ने 30 जनवरी, 2023 तक ट्रायल को अधिमानतः पूरा करने का निर्देश दिया है।

    उच्च न्यायालय की एकल पीठ के 22 सितंबर के आदेश के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका दायर की गई थी, जिसने पीड़िता की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि न्यायाधीश के व्यक्तिगत पूर्वाग्रह को दिखाने के लिए कोई आधार नहीं बनाया गया है।

    जस्टिस ज़ियाद रहमना ने आदेश में कहा था,

    "सभी प्रासंगिक पहलुओं की जांच करने के बाद, मेरा दृढ़ विचार है कि निष्पक्ष सुनवाई में संभावित हस्तक्षेप के बारे में याचिकाकर्ता की आशंका उचित नहीं है।"

    उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता की प्रामाणिकता पर संदेह नहीं किया, लेकिन कहा कि वह मामले के बारे में मीडिया की ओर से बनाई गई गलत धारणाओं और आकांक्षाओं की शिकार हो सकती है।

    उच्च न्यायालय ने इस मामले के बारे में मीडिया की यह कहते हुए आलोचना की कि मीडिया अदालतों से उनकी पूर्वनिर्धारित घोषणाओं के आधार पर आदेश पारित करने की अपेक्षा कर रहा था।

    मामला फरवरी 2017 में कोच्चि के बाहरी इलाके में एक महिला अभिनेत्री के अपहरण और यौन हमले से संबंधित है।

    केस टाइटल: XXXX बनाम केरल राज्य | एसएलपी (सीआरएल) 9544/2022

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