कर्नाटक हाईकोर्ट की बेंच रात 10 बजे मुख़्य न्यायाधीश के घर पर बैठी, अंतरिम आदेशों की अवधि बढ़ाई

LiveLaw News Network

25 March 2020 5:46 AM GMT

  • कर्नाटक हाईकोर्ट की बेंच रात 10 बजे मुख़्य न्यायाधीश के घर पर बैठी, अंतरिम आदेशों की अवधि बढ़ाई

    COVID-19 के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए 21 दिन के देशव्यापी बंद के मद्देनजर अंतरिम आदेशों के संबंध में विशेष निर्देश जारी करने के लिए मंगलवार को रात 10 बजे कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अभय एस ओका के निवास कार्यालय में एक विशेष बेंच बैठी।

    प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्र के नाम संदेश में देशभर में 21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा के बाद यह बेंच बैठी और कुछ दिशा निर्देश जारी किए।

    पीठ ने अधिकारियों को विध्वंस की कार्यवाही जैसे कठोर कदम उठाने पर जल्दबाज़ी न करने की सलाह दी। पीठ ने पहले से ही अदालतों द्वारा पारित निष्कासन, विध्वंस के आदेशों को एक महीने की अवधि के लिए ठंडे बस्ते में डालने को कहा।

    मुख्य न्यायाधीश ए एस ओका और न्यायमूर्ति बी वी नागरथना की पीठ ने आदेश दिया:

    "(i) कर्नाटक हाईकोर्ट, सभी जिला कोर्ट, सिविल कोर्ट, परिवार न्यायालयों, श्रम न्यायालयों, औद्योगिक न्यायाधिकरणों और अन्य सभी न्यायाधिकरण, जिन पर इस न्यायालय की अधीक्षण की शक्ति लागू होती है, उनके द्वारा पारित सभी अंतरिम आदेश, जो कि आज से एक महीने की अवधि के भीतर समाप्त हो जाएंगे, वे आज से एक महीने की तारीख तक प्रभावी रहेंगे।

    हम, हालांकि, यह स्पष्ट करते हैं कि वे अंतरिम आदेश जो सीमित अवधि के नहीं हैं और अगले आदेश तक प्रभावी होंगे, वे अप्रभावित रहेंगे

    (ii) यदि राज्य में आपराधिक न्यायालयों ने सीमित अवधि के लिए जमानत आदेश या अग्रिम जमानत दी है, जो आज से एक महीने के भीतर समाप्त होने की संभावना है, तो उक्त आदेश आज से एक महीने की अवधि के लिए विस्तारित होंगे।

    (iii) यदि हाईकोर्ट, जिला या दीवानी न्यायालयों द्वारा बेदखली, विध्वंस के किसी भी आदेश को पहले से ही पारित कर दिया गया है, तो आज से एक महीने की अवधि के लिए वे ठंडे बस्ते में रहेंगे।

    (iv) इस तथ्य पर विचार करते हुए कि नागरिकों के लिए 24 मार्च, 2020 के गृह मंत्रालय के आदेश के बाद

    इक्कीस दिनों की अवधि के लिए उनकी शिकायतों के निवारण के लिए न्यायालयों में आना व्यावहारिक रूप से असंभव होगा, हम पूरी उम्मीद करते हैं राज्य सरकार, नगरपालिका प्राधिकरण और राज्य सरकार की एजेंसियां ​​ व्यक्तियों को बेदखल करने की कार्रवाई करने में जल्दबाजी न दिखाकर और समय लेंगी।"

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