गुजरात दंगों की जांच के लिए गठित एसआईटी ने ठीक से काम नहीं किया : सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल (वीडियो)

LiveLaw News Network

8 Aug 2022 11:33 AM GMT

  • गुजरात दंगों की जांच के लिए गठित एसआईटी ने ठीक से काम नहीं किया : सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल (वीडियो)

    सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने शनिवार को एक कार्यक्रम के दौरान सुप्रीम कोर्ट के कुछ हालिया फैसलों की आलोचना की। उन्होंने कहा कि 50 साल की कानूनी प्रैक्टिस के अनुभव के आधार पर वे यह कह सकते हैं कि सुप्रीम कोर्ट से उन्हें अब कोई आशा नहीं रही। उन्होंने ईडी मामले और ज़किया जाफरी सहित कई मामलों का ज़िक्र किया।

    सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल एक पीपुल्स ट्रिब्यूनल में बोल रहे थे जो 6 अगस्त 2022 को नई दिल्ली में न्यायिक जवाबदेही और सुधार अभियान (सीजेएआर), पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) एंड नेशनल अलायंस ऑफ पीपल्स मूवमेंट्स (एनएपीएम) द्वारा "नागरिक स्वतंत्रता के न्यायिक रोलबैक" पर आयोजित किया गया था।

    सिब्बल ने गुजरात दंगों में राज्य के पदाधिकारियों को एसआईटी की क्लीन चिट को चुनौती देने वाली जकिया जाफरी की याचिका को खारिज करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले की आलोचना करते हुए और मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम के प्रावधानों को बरकरार रखने के फैसले की भी आलोचना की, जो प्रवर्तन निदेशालय को व्यापक अधिकार देते हैं। वह दोनों मामलों में याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए थे। उन्होंने अपने संबोधन की शुरुआत यह कहकर की कि भारत के सुप्रीम कोर्ट में 50 साल तक प्रैक्टिस करने के बाद संस्थान में उनकी कोई उम्मीद नहीं बची है। उन्होंने कहा कि भले ही एक ऐतिहासिक फैसला पारित हो जाए, लेकिन इससे शायद ही कभी जमीनी हकीकत बदलती हो।

    सिब्बल ने गुजरात दंगों में मारे गए गुजरात के कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी की विधवा जकिया जाफरी का सुप्रीम कोर्ट में प्रतिनिधित्व किया था। उन्होंने कहा कि अदालत में बहस करते हुए उन्होंने केवल सरकारी दस्तावेजों और आधिकारिक रिकॉर्डों को रिकॉर्ड किया और कोई निजी दस्तावेज नहीं रखा था। उन्होंने कहा कि दंगों के दौरान कई घर जला दिए गए। स्वाभाविक रूप से खुफिया एजेंसी इस तरह की आग को बुझाने के लिए फायर ब्रिगेड बुलाएगी।

    हालांकि सीनियर एडवोकेट सिब्बल के अनुसार खुफिया एजेंसी के दस्तावेज या पत्राचार से पता चलता है कि किसी फायर ब्रिगेड ने फोन नहीं उठाया। उन्होंने कहा कि यह तर्क दिया गया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त एसआईटी ने ठीक से पूछताछ नहीं की कि फायर ब्रिगेड ने कॉल क्यों नहीं उठाया और इसका मतलब यह था कि एसआईटी ने अपना काम ठीक से नहीं किया। सिब्बल ने कहा कि इन सबमिशन के बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने कुछ नहीं किया। उन्होंने कहा कि एसआईटी ने कई लोगों को केवल उन लोगों द्वारा दिए गए बयानों पर भरोसा करते हुए छोड़ दिया जो खुद आरोपों का सामना कर रहे थे। हालांकि इन पहलुओं को सुप्रीम कोर्ट को बताया गया था, लेकिन कुछ भी नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि कानून का छात्र भी जानता होगा कि किसी आरोपी को सिर्फ उसके बयान के आधार पर छोड़ा नहीं जा सकता।

    देखिए कपिल सिब्बल के भाषण का पूरा वीडियो

    Next Story