कालकाजी मंदिर केस: सुप्रीम कोर्ट ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया

Brij Nandan

18 Oct 2022 5:58 AM GMT

  • कालकाजी मंदिर

    कालकाजी मंदिर

    सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कालकाजी मंदिर (Kalkaji Temple) के प्रशासन और रखरखाव के संबंध में दायर याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश की आलोचना की। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया।

    सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाओं को टुकड़ों में सुनने से बचने और मामले का पूरा अवलोकन करने के लिए ऐश्वर्या भाटी को एमिकस क्यूरी नियुक्त करना उचित समझा।

    जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली ने एडवोकेट अर्चना पाठक दवे को भी एएसजी भाटी की सहायता करने के लिए कहा।

    बेंच ने कहा,

    "हम एएसजी ऐश्वर्या भाटी से एमिकस क्यूरी के रूप में अदालत की सहायता करने का अनुरोध करते हैं। हम वकील अर्चना पाठक दवे से भाटी की सहायता करने का अनुरोध करते हैं।"

    भाटी को एक संक्षिप्त नोट दाखिल करने के लिए कहते हुए बेंच ने संकेत दिया कि वह ऐसा करने के लिए पर्याप्त समय (4 सप्ताह का समय) प्रदान करेगी।

    कालकाजी मंदिर के महंत की ओर से पेश हुए सीनियर वकील डॉ. राजीव धवन ने पीठ को अवगत कराया कि उसके समक्ष मुख्य मामला इस मुद्दे से संबंधित है कि क्या इसे (मंदिर) पूरी तरह से विकसित किया जाना है या चूंकि यह एक निजी भूमि है तो यह स्वच्छता तक सीमित होनी चाहिए।

    उन्होंने कहा कि मुख्य मामले की एक शाखा दिल्ली उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश के समक्ष दायर एफएओ को चुनौती है, जिसे अब अनिवार्य रूप से एक रिट याचिका में बदल दिया गया है और अनुच्छेद 226 के तहत दायर याचिका पर आदेश पारित किए जा रहे हैं।

    डॉ धवन ने प्रस्तुत किया,

    "क्या कोई अदालत एफएओ में एक मंदिर का पुनर्विकास कर सकती है या अन्यथा? अगर यह सही है, तो देश के हर हिस्से में अदालतें किसी न किसी मंदिर में जाकर कहेंगी कि उन्हें पुनर्विकास करने की आवश्यकता है। लेकिन, यह अदालत का काम नहीं है।"

    यह प्रस्तुत किया गया कि हाल ही में एक जुड़े मामले में जस्टिस ए.एस. बोपन्ना ने कहा है कि कालकाजी मंदिर का पुनर्विकास जारी रह सकता है, लेकिन इससे हितधारकों के अधिकारों का हनन नहीं होना चाहिए।

    उन्होंने कहा कि वर्तमान में एक पुनर्विकास योजना प्रस्तावित की जा रही है और 28 अक्टूबर, 2022 को एकल न्यायाधीश द्वारा इस पर विचार किया जाना है। उसी के मद्देनजर, डॉ धवन ने बेंच से यथास्थिति का आदेश देने का अनुरोध किया।

    जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि 28 अक्टूबर, 2022 को होने वाली सुनवाई में कुछ भी महत्वपूर्ण नहीं होगा। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि एकल न्यायाधीश को सर्वोच्च न्यायालय के आज के आदेश से अवगत कराया जा सकता है। यदि कुछ महत्वपूर्ण आदेश पारित किए जाते हैं, तो उन्होंने कहा कि पीड़ित पक्ष सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकते हैं।

    इन याचिकाओं में 27.04.2022 को नोटिस जारी किया गया था।

    कोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए दिन-प्रतिदिन के प्रशासन और मंदिर की सुरक्षा के मुद्दों की देखभाल के लिए सेवानिवृत्त जज जस्टिस जेआर मिधा की मंदिर के प्रशासक के रूप में नियुक्ति के लिए उच्च न्यायालय के निर्देश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।

    उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश ने निर्देश दिया था कि पूरा मंदिर परिसर प्रशासक के सीधे पर्यवेक्षण और नियंत्रण में होगा।

    [केस टाइटल: कालकाजी मंदिर बनाम पीयूष जोशी एसएलपी (सी) संख्या 32452-32453/2013]

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