वादकारी ने कहा- उसने वकीलों को अधिकृत नहीं किया, सुप्रीम कोर्ट ने सुलह आदेश वापस लिया, जांच के निर्देश दिए
Amir Ahmad
17 May 2025 1:56 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में सिविल अपील में दर्ज सुलह आदेश को वापस लिया, जब वादकारी ने बाद में अदालत को बताया कि उसने इस मामले को निपटाने के लिए किसी भी वकील को नियुक्त ही नहीं किया था।
अदालत ने रजिस्ट्री को यह जांच करने का निर्देश भी दिया कि ये वकील कैसे यह दावा कर सके कि वे वादकारी की ओर से पेश हुए थे। रजिस्ट्री की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट आगे की कार्रवाई तय करेगा, जिसमें FIR दर्ज करने का निर्देश भी शामिल है।
यह असामान्य घटनाक्रम जस्टिस पी.एस. नरसिंह और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की खंडपीठ के समक्ष हुआ। सिविल अपील में उत्तरदाता ने आवेदक याचिका दाखिल की, जिसमें पहले दर्ज की गई सुलह रद्द करने की मांग की गई।
उसने कहा कि जिन वकीलों ने उसकी ओर से प्रतिनिधित्व किया, वे कभी भी उसके द्वारा नियुक्त नहीं किए गए और सुलह जाली थी। यह अपील पटना हाईकोर्ट के एक फैसले के खिलाफ दाखिल की गई।
13 दिसंबर, 2024 को कोर्ट ने उत्तरदाता की ओर से निम्नलिखित वकीलों की उपस्थिति दर्ज की थी-
1. मुनेश्वर शॉ, सीनियर एडवोकेट
2. रत्तन लाल, एडवोकेट
3. जे.एम. खन्ना, एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड (AOR)
4. शेफाली सेठी खन्ना, एडवोकेट
बेंच को एक एडवोकेट ने बताया कि जे. एम. खन्ना अब वकालत नहीं कर रहे हैं और उन्हें इस मामले में कभी भी नियुक्त नहीं किया गया। वहीं, शेफाली सेठी खन्ना ने कोर्ट को बताया कि उनका इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है। वादकारी भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत में उपस्थित था।
इस पृष्ठभूमि में बेंच ने कहा कि इस मामले में विस्तृत जांच आवश्यक है। कोर्ट ने सचिवालय प्रमुख को निर्देश दिया कि वह सीनियर अधिकारी को नामित करें, जो यह जांच करे कि किन परिस्थितियों में और किसके कहने पर यह दिखाया गया कि उत्तरदाता की ओर से वकील नियुक्त हुए और 24.10.2024 की तथाकथित सुलह के लिए सहमति दी गई, जिसके आधार पर 13 दिसंबर, 2024 को आदेश पारित किया गया।
कोर्ट ने निर्देश दिया कि प्रारंभिक रिपोर्ट चार सप्ताह के भीतर प्रस्तुत की जाए।
कोर्ट ने कहा,
"इस रिपोर्ट के आधार पर हम आगे की कार्रवाई करेंगे, जिसमें FIR दर्ज करने और आगे की जांच के निर्देश शामिल होंगे।"
कोर्ट ने 13 दिसंबर, 2024 को पारित सुलह आदेश को भी रद्द कर दिया और सिविल अपील को पुनः बहाल कर दिया।
पिछले वर्ष सुप्रीम कोर्ट ने मामले में जाली वकालतनामा के आधार पर दायर विशेष अनुमति याचिका (SLP) में CBI जांच के आदेश दिए, जब वादकारी ने अदालत को बताया कि उसने किसी वकील को अधिकृत नहीं किया।
इसके बाद CBI ने 8 वकीलों के खिलाफ FIR दर्ज की थी।

