संविधान के पीछे मार्गदर्शक दर्शन केवल कागज पर लिखा वादा नहीं, लोगों के जीवन में एक वास्तविकता है: जस्टिस के सोमशेखर

Amir Ahmad

21 May 2025 1:15 PM IST

  • संविधान के पीछे मार्गदर्शक दर्शन केवल कागज पर लिखा वादा नहीं, लोगों के जीवन में एक वास्तविकता है: जस्टिस के सोमशेखर

    केंद्र सरकार द्वारा 20 मई को मणिपुर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में उनकी नियुक्ति की अधिसूचना जारी किए जाने के बाद बुधवार को जस्टिस के सोमशेखर ने कर्नाटक हाईकोर्ट को विदाई दी।

    अपने विदाई भाषण में जज ने इस बात पर जोर दिया कि संविधान केवल एक कानूनी दस्तावेज नहीं है बल्कि सामाजिक अनुबंध और एक नैतिक दिशा-निर्देश है।

    उन्होंने कहा,

    "इसके निर्माण के पीछे मार्गदर्शक दर्शन यह सुनिश्चित करना था कि सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक न्याय, कागज पर एक वादा नहीं, बल्कि लोगों के जीवन में एक वास्तविकता हो।"

    उन्होंने कहा कि प्रस्तावना के शब्द जो समानता, बंधुत्व और व्यक्तियों की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता के महत्व को उजागर करते हैं। उन्हें बेंच पर और उससे परे आचरण को प्रेरित करना चाहिए।

    चीफ जस्टिस के रूप में अपनी पदोन्नति पर उन्होंने कहा,

    “मैं इस पद को जिम्मेदारी के साथ और भारत के संविधान में निहित कानून और पवित्र सिद्धांतों की महिमा को बनाए रखने की अटूट प्रतिज्ञा के साथ स्वीकार करता हूं। संविधान लोकतांत्रिक राजनीति का सर्वोच्च मानदंड है। यह राज्य के प्रत्येक अंग विशेष रूप से न्यायपालिका को निर्देश देता है। कानून के शासन की रक्षा करना और नागरिकों के अधिकारों को सुरक्षित करना और यह सुनिश्चित करना कि न्याय एक विशेषाधिकार नहीं बल्कि सभी के लिए सुलभ अधिकार है।”

    उन्होंने कहा,

    “मैं भारत के संविधान और कानून के शासन के प्रति अपनी निष्ठा की पुष्टि करता हूं। मैं सर्वशक्तिमान और यहां मौजूद सभी लोगों का आशीर्वाद चाहता हूं ताकि मैं अपने पद की गरिमा को बनाए रख सकूं। इस संस्था की पवित्रता को बनाए रख सकूं। हमारे बहुलवादी लोकतंत्र में न्याय वितरण प्रणाली में सार्थक योगदान दे सकूं।”

    जज ने आगे जोर देकर कहा कि संवैधानिक व्यवस्था वह होती है, जहां सबसे कमजोर लोगों की रक्षा की जाती है, जहां कानून एक ढाल है न कि तलवार, और जहां संस्था किसी भी व्यक्ति से ऊपर होती है।

    उन्होंने कहा,

    "दृढ़ विश्वास और त्याग से परिपूर्ण इन शब्दों की भावना के अनुरूप मैं स्वयं को न्यायपालिका की सेवा और न्याय के लिए समर्पित करता हूं।"

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