1996 के ड्रग प्लांटिंग मामले में पूर्व IPS संजीव भट्ट को राहत नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने सजा निलंबन याचिका खारिज की
Amir Ahmad
11 Dec 2025 5:41 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (11 दिसंबर) को 1996 के कथित ड्रग प्लांटिंग मामले में पूर्व IPS अधिकारी संजीव भट्ट की 20 साल की सजा को निलंबित करने की मांग खारिज कर दी।
जस्टिस जे.के. महेश्वरी और जस्टिस विजय विश्नोई की खंडपीठ ने कहा कि इस स्तर पर हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता नहीं दिखती।
सुनवाई की शुरुआत में सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल जो भट्ट का पक्ष रख रहे थे ने कहा कि उनके मुवक्किल 7 साल 3 महीने की सजा पहले ही काट चुके हैं।
उन्होंने दलील दी कि इस आधार पर सजा निलंबित की जानी चाहिए। हालांकि पीठ ने संकेत दिया कि भट्ट चाहें तो मुख्य अपील की शीघ्र सुनवाई का अनुरोध कर सकते हैं।
जब सिब्बल ने कहा कि उनके मुवक्किल आधी से अधिक सजा काट चुके हैं तब अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि मामले में जब्त की गई ड्रग की मात्रा काफी अधिक बताई जाती है।
सिब्बल ने इस पर उत्तर देते हुए कहा कि 5 किलो की बरामदगी का आरोप साबित नहीं हुआ है और आरोपी को केवल 1.015 किलो अफीम रखने का दोषी पाया गया, जो कमर्शियल क्वांटिटी की श्रेणी में नहीं आता। इसलिए NDPS Act की धारा 21(c) लागू नहीं होती।
राज्य की ओर से सीनियर एडवोकेट मनिंदर सिंह ने इसका विरोध किया। उन्होंने कहा कि भट्ट DSP के पद पर रहते हुए एक षड्यंत्र में शामिल हुए जिसमें अफीम खरीदकर उसे एक गेस्ट हाउस में रखवाया गया।
उन्होंने कहा कि भले ही अंतिम बरामदगी 1.015 किलो हुई हो लेकिन मामले के तथ्य गंभीर और निंदनीय' हैं।
दलीलों को सुनने के बाद पीठ ने स्पष्ट किया कि वह याचिका पर विचार करने के लिए तैयार नहीं है और सजा निलंबन की मांग खारिज कर दी गई।
आदेश पढ़े जाने के बाद सिब्बल ने टिप्पणी की इसका मतलब है कि मुझे अब 3 साल और अंदर रहना होगा।
इससे पहले गुजरात हाईकोर्ट ने भी भट्ट की जमानत याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि अपराध की गंभीरता, NDPS एक्ट की धारा 37 की कठोरता, दोषसिद्धि पश्चात निर्दोषता की धारणा उलट जाना तथा आरोपी की स्थिति व पृष्ठभूमि को देखते हुए सजा निलंबन का कोई आधार नहीं है।
भट्ट को सितंबर 2018 में गिरफ्तार किया गया था, जब गुजरात हाईकोर्ट ने 1996 के उस मामले की जांच CID को सौंपी थी, जिसमें राजस्थान के एक वकील सुमेर सिंह राजपुरोहित को कथित रूप से फंसाया गया था।
आरोप है कि बनासकांठा पुलिस ने वकील के खिलाफ 1.5 किलो अफीम रखने का झूठा केस बनाया था। उस समय भट्ट जिले के पुलिस अधीक्षक थे। बाद में सह-आरोपी निरीक्षक आईबी व्यास 2021 में सरकारी गवाह बन गए।
मार्च 2024 में बनासकांठा की पलनपुर सेशन कोर्ट ने भट्ट को NDPS की विभिन्न धाराओं IPC की कई धाराओं और साजिश के आरोपों में 20 साल कैद और 2 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी।
इस समय भट्ट 1990 के एक हिरासत मृत्यु मामले में उम्रकैद की सजा भी काट रहे हैं। उस मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने इस वर्ष अप्रैल में उनकी सजा निलंबन याचिका खारिज कर दी थी।
वर्तमान याचिका सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता राजेश जी. इनामदार और शश्वत आनंद के माध्यम से दायर की गई थी।

