SYL नहर की ज़मीन डीनोटिफाई करने पर सुप्रीम कोर्ट का पंजाब सरकार को फटकार, स्टेटस क्वो पर दी सफाई

Amir Ahmad

6 May 2025 1:38 PM IST

  • SYL नहर की ज़मीन डीनोटिफाई करने पर सुप्रीम कोर्ट का पंजाब सरकार को फटकार, स्टेटस क्वो पर दी सफाई

    सुप्रीम कोर्ट ने सतलुज-यमुना लिंक (SYL) नहर विवाद मामले में पंजाब सरकार को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने पंजाब द्वारा नहर निर्माण के लिए अधिग्रहीत भूमि को डीनोटिफाई किए जाने की कार्रवाई को तानाशाही पूर्ण बताते हुए कहा कि यह सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट की डिक्री को निष्प्रभावी बनाने की कोशिश है।

    जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की खंडपीठ ने पंजाब सरकार की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट गुरमिंदर सिंह से सख्त सवाल पूछे।

    जस्टिस गवई ने टिप्पणी की,

    “जब कोर्ट की डिक्री के तहत भूमि अधिग्रहण हुआ था तो उसे डीनोटिफाई करना क्या तानाशाही नहीं है? ये तो डिक्री को विफल करने की कोशिश है।”

    पंजाब सरकार के वकील ने जब कहा कि हरियाणा को उसकी खपत के अनुसार पानी मिल रहा है और अतिरिक्त जल का मामला जल प्राधिकरण के समक्ष लंबित है तो न्यायालय ने तीखी टिप्पणी करते हुए पूछा,

    तो क्या आपके अनुसार कोर्ट ने बिना विचार किए डिक्री पारित कर दी? आप कह रहे हैं कि कोर्ट ने सोच-समझकर आदेश नहीं दिया?”

    खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि पहले दिए गए यथास्थिति बनाए रखने (Status Quo) के आदेश का मतलब सिर्फ उस भूमि पर लागू होता है जो मुख्य SYL नहर के निर्माण के लिए पंजाब में अधिग्रहीत की गई थी। पंजाब के भीतर नहर के आंतरिक वितरण नेटवर्क से संबंधित भूमि पर यह आदेश लागू नहीं होगा।

    सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा दोनों राज्यों को केंद्र सरकार के साथ मिलकर आपसी सहमति से समाधान निकालने के लिए कहा है। यदि ऐसा नहीं होता है तो मामला 13 अगस्त, 2025 को दोबारा सुना जाएगा।

    विवाद की पृष्ठभूमि:

    यह मामला 1996 में हरियाणा द्वारा दायर मूल वाद (Original Suit) के रूप में शुरू हुआ था। 2002 में सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के पक्ष में फैसला सुनाते हुए पंजाब को एक वर्ष के भीतर SYL नहर बनाने का आदेश दिया था। परंतु पंजाब सरकार ने इस पर अमल नहीं किया।

    2004 में पंजाब सरकार ने Termination of Agreement Act पारित कर हरियाणा के साथ जल समझौता समाप्त करने की कोशिश की, जिसे 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया। कोर्ट ने कहा कि कोई राज्य अपनी विधायी शक्ति का प्रयोग कर एकतरफा समझौता समाप्त नहीं कर सकता।

    केस टाइटल: THE STATE OF HARYANA DEPARTMENT OF IRRIGATION THE SECRETARY Versus THE STATE OF PUNJAB AND ANR.

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