जोशीमठ संकट | सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप से इनकार किया, याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट जाने की अनुमति
Sharafat
16 Jan 2023 7:03 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जोशीमठ में हाल ही में भूमि धंसने की घटनाओं से संबंधित याचिका पर विचार करने से इस आधार पर इनकार कर दिया कि उत्तराखंड हाईकोर्ट में पहले ही यह मामला सुनवाई के लिए आ चुका है।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ के समक्ष धार्मिक नेता स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती द्वारा दायर जनहित याचिका को सूचीबद्ध किया गया था।
शुरुआत में उत्तराखंड के डिप्टी एडवोकेट जनरल जतिंदर कुमार सेठी ने पीठ को अवगत कराया कि हाईकोर्ट पहले से ही इस मुद्दे पर विचार कर रहा है। उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान याचिका के अलावा, इसी मुद्दे को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में एक और याचिका दायर की गई है। इसके अलावा, उन्होंने प्रस्तुत किया कि वर्तमान जनहित याचिका में उठाई गई सभी प्रार्थनाओं पर केंद्र और राज्य सरकार द्वारा कार्रवाई की गई है।
सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने यह देखते हुए कि सरकार इस मामले में सक्रिय है या नहीं, इसका आकलन अदालत को करना है, उन्होंने कहा,
"सैद्धांतिक रूप से हमें हाईकोर्ट को इससे निपटने की अनुमति देनी चाहिए। यदि हाईकोर्ट मामले को सुन रहा है तो हम हस्तक्षेप नहीं कर सकते। हम आपको हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने की स्वतंत्रता देंगे।"
हालांकि, याचिकाकर्ता के वकील ने इस बात पर प्रकाश डाला कि वर्तमान मामला जोशीमठ के निवासियों के राहत और पुनर्वास से संबंधित है।
उत्तराखंड हाईकोर्ट के समक्ष मामला जोशीमठ शहर में हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर निर्माण से संबंधित है। उन्होंने कहा कि लोग मर रहे हैं और अदालत से राहत देने का आग्रह किया।
सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने टिप्पणी की-
"आप सोशल मीडिया साउंड बाइट्स के लिए इस मुद्दे का उपयोग नहीं करना चाहते हैं। हाईकोर्ट के आदेश से ऐसा लगता है कि उठाए गए मुद्दे हाईकोर्ट के समक्ष हैं। हम आपको उनके साथ हाईकोर्ट जाने की स्वतंत्रता दे सकते हैं।"
वर्तमान में याचिकाकर्ता ने निम्नलिखित निर्देश मांगे थे-
1. जोशीमठ में मरम्मत कार्य में तुरंत सहायता करने के लिए भारत संघ और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के लिए एक परमादेश जारी करें।
2. यह घोषित किया जाए कि जोशीमठ में वर्तमान स्थिति एक प्राकृतिक आपदा की प्रकृति की है और एनडीएमए निवासियों का समर्थन करेगा।
3. उत्तराखंड राज्य को निवासियों को तत्काल वित्तीय सहायता और मुआवजा प्रदान करने का निर्देश दिया जाए।
4. बीमा कवरेज और पुनर्वास उपाय प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय ताप विद्युत सहयोग को निर्देशित किया जाए।
5. उत्तरदाताओं को आध्यात्मिक और धार्मिक स्थलों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त कदम उठाने और तपोबन परियोजना से संबंधित निर्माण को रोकने का निर्देश दिया जाए।
6. उत्तराखंड में कम आबादी वाले क्षेत्रों के पुनर्वास के विकास के लिए इसकी भूगर्भीय विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए दिशा-निर्देश तैयार करने के लिए उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति की नियुक्ति की जाए।
7. जोशीमठ के निवासियों की सुरक्षा और पुनर्वास सुनिश्चित करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार के प्रयासों की जांच करने के लिए एक निगरानी समिति का गठन किया जाए।
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने इस मामले में जल विज्ञान, भूविज्ञान, ग्लेशियोलॉजी, आपदा प्रबंधन, भू-आकृति विज्ञान और भूस्खलन विशेषज्ञों के क्षेत्र से स्वतंत्र विशेषज्ञों को एक रिपोर्ट तैयार करके 24 मई 2023 को हाईकोर्ट में एक सीलबंद कवर में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
इसके अलावा, इसने राज्य सरकार को एनटीपीसी द्वारा सभी निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने के अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट, जोशीमठ के आदेश के अनुसार क्षेत्र में निर्माण और ब्लास्टिंग गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने का भी निर्देश दिया था।
आदेश लिखवाते हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा-
"हाईकोर्ट के समक्ष इन कार्यवाहियों के साथ पर्याप्त ओवरलैप होता है। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील सुशील कुमार जैन ने कहा कि याचिकाकर्ता राहत और पुनर्वास के पहलुओं पर विशेष रूप से जोर देना चाहता है। संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत हाईकोर्ट, इन कार्यवाहियों में जिन विशिष्ट पहलुओं को उजागर करने की मांग की गई है, उन्हें हाईकोर्ट के समक्ष संबोधित किया जाएगा। तदनुसार हम याचिकाकर्ताओं को या तो उत्तराखंड हाईकोर्ट के समक्ष अनुच्छेद 226 के तहत मूल याचिका दायर करने की अनुमति देते हैं और यह कि इसे लंबित कार्यवाहियों के साथ लिया जा सकता है। चूंकि याचिकाकर्ताओं ने राहत और पुनर्वास से संबंधित मुद्दा उठाया है, हम हाईकोर्ट से अनुरोध करेंगे कि यदि यह इस संबंध में पेश किया जाता है कि हाईकोर्ट उचित प्रेषण के लिए शिकायत पर विचार कर सकता है।"
केस टाइटल : जगतगुरु शंकराचार्य ज्योतिर्मठ ज्योतिषपीठधीश्वर श्री स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज बनाम भारत संघ और अन्य। डब्ल्यूपी(सी) नंबर 37/2023