झारखंड सरकार ने सीलबंद कवर दस्तावेजों पर सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ सीबीआई जांच के हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया

Brij Nandan

20 May 2022 7:27 AM GMT

  • झारखंड सरकार ने सीलबंद कवर दस्तावेजों पर सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ सीबीआई जांच के हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया

    झारखंड सरकार ने खनन पट्टों के अनुदान के संबंध में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा प्रस्तुत "सीलबंद कवर" दस्तावेजों पर भरोसा करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) के खिलाफ सीबीआई जांच के झारखंड के हाईकोर्ट आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का दरवाजा खटखटाया है।

    जस्टिस यूयू ललित की अगुवाई वाली पीठ ने शुक्रवार को याचिका को अगले मंगलवार (24 मई) को अवकाश पीठ के समक्ष सूचीबद्ध कर दिया।

    राज्य की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने प्रस्तुत किया कि भारत के चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली पीठ ने सीलबंद कवर दस्तावेजों पर भरोसा करने के लिए हाईकोर्ट के फैसले को रद्द करने के लिए आज एक मामले में फैसला सुनाया।

    सिब्बल ने प्रस्तुत किया,

    "यौर लॉर्डशिप मुझे आपको यह बताना चाहिए। CJI बेंच के समक्ष आइटम 1502। आज बस एक आदेश, जहां अदालत द्वारा सीलबंद कवर लिया गया था, उस पर भरोसा किया गया और आदेश पारित किए गए। अदालत ने इसे यह कहते हुए पलट दिया कि यह अस्वीकार्य है और इसे HC को वापस भेज दिया।"

    जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने सुनवाई स्थगित कर दी ताकि उसे चीफ जस्टिस की पीठ द्वारा पारित किए गए फैसले का लाभ मिल सके।

    सिब्बल द्वारा गुरूवार को चीफ जस्टिस के समक्ष तत्काल उल्लेख किए जाने के बाद याचिका को आज सूचीबद्ध किया गया।

    सिब्बल ने प्रस्तुत किया कि मुख्यमंत्री और अन्य व्यक्तियों के खिलाफ झारखंड हाईकोर्ट के समक्ष एक जनहित याचिका दायर की गई है। जनहित याचिका को अभी तक स्वीकार नहीं किया गया है।

    ईडी अधिकारी द्वारा सीलबंद लिफाफे में पेश किए गए कुछ दस्तावेजों पर भरोसा करते हुए कोर्ट ने कहा है कि मामला सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया जाएगा।

    सिब्बल ने कहा था,

    "जनहित याचिका को अभी तक स्वीकार नहीं किया गया है, ईडी आता है और सीलबंद कवर सौंपता है। मैं इसका विरोध करता हूं। इन कार्यवाही में प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है। हाईकोर्ट ने सीलबंद कवर को देखा है और उन्होंने अब कहा है कि वे इसे सीबीआई को स्थानांतरित करेंगे। मैंने उन्हें बता दिया है कि अब मैं इसका उल्लेख यहां करूंगा।"

    पीठ ने पूछा,

    "किसी और ने जनहित याचिका दायर की?"

    सिब्बल ने कहा,

    "हां सीएम, व्यक्तियों आदि के खिलाफ। ईडी और सीबीआई भी प्रतिवादी हैं। हमने पूछा कि आप इन दस्तावेजों को रिकॉर्ड पर कैसे ले सकते हैं!"

    हाईकोर्ट के समक्ष कुछ अन्य प्रतिवादियों की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने भी सिब्बल का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने अवकाश में होने के बावजूद मामले को तत्काल दोपहर 2 बजे (19 मई को) सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।

    यह प्रस्तुत करते हुए कि सीलबंद कवर दस्तावेज दायर किए जा रहे हैं, जो पार्टियों को नहीं दिखाए जा रहे हैं, रोहतगी ने पीठ से मामले को कल सूचीबद्ध करने का आग्रह किया। तदनुसार, CJI ने मामले को आज सूचीबद्ध करने की अनुमति दी।

    हाईकोर्ट के समक्ष जनहित याचिका में सीएम पर मुकदमा चलाने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि उन्होंने अपने नाम पर खनन पट्टा प्राप्त करने और मनरेगा फंड का उपयोग करके कथित घोटाले में अपने कार्यालय का दुरुपयोग किया है।

    चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ द्वारा पारित आदेश के खिलाफ झारखंड सरकार ने विशेष अनुमति याचिका दायर की है।

    इस आदेश के माध्यम से खंडपीठ ने मुहरबंद लिफाफे में दस्तावेजों की स्वीकृति के लिए राज्य की आपत्ति को खारिज कर दिया और उन्हें रिकॉर्ड में लेने का फैसला किया।

    पीठ ने राज्य को मनरेगा घोटाले से संबंधित 16 प्राथमिकी का विवरण पेश करने का भी निर्देश दिया।

    पीठ ने यह भी कहा कि राज्य के खनन सचिव को गिरफ्तार कर लिया गया है और वह निलंबित है।

    केस टाइटल: झारखंड राज्य बनाम शिव शंकर शर्मा एसएलपी (सी) 9279/2022।

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