जामिया हिंसा : गृह मंत्री पर सीधे आरोप लगाना ग़ैर ज़िम्मेदाराना, इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती, एसजी तुषार मेहता ने दिल्ली हाईकोर्ट में कहा

LiveLaw News Network

6 July 2020 8:57 AM GMT

  • जामिया हिंसा : गृह मंत्री पर सीधे आरोप लगाना ग़ैर ज़िम्मेदाराना, इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती, एसजी तुषार मेहता ने दिल्ली हाईकोर्ट में कहा

    पिछले दिसंबर में जामिया मिलिया इसलामिया में हुई हिंसा की स्वतंत्र जांच की मांग वाली याचिकाओं की सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने दिल्ली हाईकोर्ट में कहा कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के ख़िलाफ़ सीधे आरोप लगाने वाला बयान गैर ज़िम्मेदाराना है और अदालत को इसकी इजाज़त नहीं देनी चाहिए।

    मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और जस्टिस प्रतीक जलान की खंडपीठ को संबोधित करते हुए मेहता ने कहा कि याचिकाकर्ता का गृहमंत्री के ख़िलाफ़ रिज्वाइंडर में आरोप लगाना ग़ैर ज़िम्मेदाराना है, क्योंकि इसका कोई ठोस सबूत नहीं है।

    मेहता एक याचिकाकर्ता नबीला हसन की रिज्वाइंडर याचिका पर अपना जवाब दे रहे थे। इसमें कहा गया है कि शांति मार्च निकाल रहे छात्रों की बेरहमी से पिटाई का आदेश गृहमंत्री ने खुद दिल्ली पुलिस को दिया था।

    "मेहता ने कहा,

    "आप किसी संवैधानिक पद पर मौजूद व्यक्ति का इस तरह अपमान नहीं कर सकते।"

    मेहता ने कहा कि इस तरह के आरोप याचिकाकर्ता की वास्तविक मंशा उजागर करते हैं। सॉलिसिटर जनरल ने इस तरह के आरोप लगाने पर गंभीरता से कार्रवाई करने का आग्रह अदालत से किया।

    एसजी ने कहा,

    "आए दिन ग़ैर ज़िम्मेदाराना बयान दिए जा रहे हैं। इस तरह के बयान सार्वजनिक भाषणों में तो अच्छे लगते हैं, लेकिन किसी संवैधानिक अदालत के समक्ष पेश हलफ़नामे में नहीं। बिना प्रमाण के इस तरह के दावे के संदर्भ में संविधान के अनुच्छेद 226 का सहारा नहीं लिया जा सकता।"

    इन आपत्तियों पर ग़ौर करने के बाद और याचिकाकर्ता से इस बारे में पूछने के बाद अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता उक्त आरोपों को रिज्वाइंडर से हटाने को तैयार है।

    इसके बाद कोर्ट ने सुनवाई अगले सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी। याचिककर्ताओं को कहा गया है कि सुनवाई के दौरान अदालत की मदद के लिए वह मुद्दों की एक समेकित सूची बनाए। इस सूची को याचिकाकर्ताओं में बांटा जाए और अगली सुनवाई से पहले इसे दूसरे पक्ष को भी भेजा जाए।

    यह मामला जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में पिछले दिसंबर में हुई हिंसा के बारे में है। पुलिस का दावा है कि भीड़ की हिंसा को देखते हुए पुलिस ने बल का प्रयोग किया, लेकिन ऐसे बहुत से छात्र हैं जिन्हें काफ़ी चोटें आईं और वे गलती करनेवाले अधिकारियों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज करने और घायलों के लिए मुआवज़े की मांग कर रहे हैं।

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