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उत्तर प्रदेश के हालात पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया, राज्य सरकार को नोटिस जारी किया

LiveLaw News Network
7 Jan 2020 5:20 PM GMT
उत्तर प्रदेश के हालात पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया, राज्य सरकार को नोटिस जारी किया
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को नागरिकता संशोधन अधिनियम के पारित होने के बाद उत्तर प्रदेश राज्य में हालातों पर संज्ञान लिया।

मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति विवेक वर्मा की खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश के हालात पर प्रकाशित समाचार रिपोर्टों के आधार पर संज्ञान लिया। इन रिपोर्टों में आरोप लगाया गया था कि उत्तर प्रदेश राज्य में स्थिति संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है।

अदालत ने बॉम्बे हाईकोर्ट के अधिवक्ता अजय कुमार द्वारा लिखित ईमेल को एक जनहित याचिका माना और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया।

अदालत ने निर्देश दिया, "उत्तर प्रदेश राज्य को नोटिस जारी किया जाए कि याचिका के अनुसार आवश्यक दिशा-निर्देश क्यों नहीं जारी किए जाएं।"

बॉम्बे हाईकोर्ट के अधिवक्ता अजय कुमार के ईमेल ने न्यूयॉर्क टाइम्स और टेलीग्राफ में प्रकाशित समाचार की ओर ध्यान आकर्षित किया, जिसमें राज्य की प्रतिकूल स्थिति को उजागर किया गया था। पीठ ने इंडियन एक्सप्रेस, लखनऊ संस्करण में प्रकाशित लेख को भी रिकॉर्ड में लिया।

नागरिकता संशोधन अधिनियम के पारित होने के बाद दिसंबर, 2019 में राज्य भर में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए, जिसमें कई लोग घायल हुए। इस दौरान पुलिस की अवैध कार्रवाई की खबरें आईं। वर्तमान मामला संभावित रूप से इन मुद्दों को संबोधित करेगा और अपराधियों को कानून के घेरे में लाएगा।

कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता एस.एफ.ए. नकवी और एडवोकेट रमेश कुमार को इस मामले में एमिकस क्यूरी के रूप में नियुक्त किया और मामले को 16 जनवरी को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।


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