भारतीय ओलम्पिक संघ ने जस्टिस नागेश्वर राव द्वारा तैयार किए गए संविधान को अपनाया है : केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा
LiveLaw News Network
16 Nov 2022 10:34 AM IST
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का बयान दर्ज करके एडवोकेट राहुल मेहरा द्वारा दायर भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) से संबंधित एक अवमानना याचिका को बंद कर दिया।
सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस हिमा कोल्ही और जस्टिस जेबी पर्दीवाला की खंडपीठ के सामने एडवोकेट मेहरा ने मामले का उल्लेख किया। अवमानना याचिका में आरोप लगाया गया था कि भारतीय ओलंपिक संघ ने सुप्रीम कोर्ट के दिनांक 10.10.2022 के आदेश का पालन नहीं किया है, जिसमें यह माना गया था कि एक बार जब जस्टिस एल नागेश्वर राव IOA के संविधान का ड्राफ्ट तैयार करेंगे तो IOC और एशिया की ओलंपिक परिषद के साथ परामर्श के बाद इसे औपचारिक रूप से IOA की जनरल असेंबली द्वारा अपनाया जाना चाहिए। एक बार जब नया संविधान IOC द्वारा अपनाया और सहमति दे दी जाती है तो इसे IOA-जनरल बॉडी द्वारा इस अदालत के अनिवार्य निर्देश के तहत अपनाया जाएगा।
याचिकाकर्ता के अनुसार, अवमानना IOA की 10.11.2022 को आयोजित एजीएम के दो कथित बैठकों से उत्पन्न हुई है। उन्होंने आरोप लगाया कि जस्टिस एल नागेश्वर राव द्वारा तैयार संविधान को आम सभा द्वारा काफी हद तक बदल दिया गया है।
भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने खंडपीठ को आश्वासन दिया कि जस्टिस राव द्वारा तैयार किए गए संविधान को अपनाया जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि यदि आईओए द्वारा किसी भी बदलाव का सुझाव दिया जाता है तो उन्हें इस अदालत की अनुमति के बिना नहीं अपनाया जाएगा।
अवमानना याचिका का निस्तारण करते हुए बेंच ने स्पष्ट किया कि उसके 10.10.2022 के आदेश और 03.11.2022 के एक अन्य आदेश, जिसमें आईओए के चुनावों के लिए समय-सीमा को बरकरार रखा गया है, उसका ' गंभीरता से' पालन किया जाना चाहिए।
आदेश स्पष्ट रूप से दर्ज,
"युवा मामले और खेल मंत्रालय के सचिव का दिनांक 15.11.2022 का संचार स्पष्ट करता है कि जस्टिस राव द्वारा तैयार किए गए संविधान को आईओए द्वारा अपनाया गया है और इस अदालत द्वारा अनुमति के अनुसार कोई भी संशोधन लागू किया जाएगा।"