'सरकार का नामित व्यक्ति कॉलेजियम का हिस्सा कैसे हो सकता है? लोग बिना तथ्य जाने टिप्पणी कर रहे हैं’: कानून मंत्री किरेन रिजिजू

Brij Nandan

17 Jan 2023 7:27 AM GMT

  • Law Minister Kiren Rijiju

    Law Minister Kiren Rijiju

    जजों के चयन को लेकर केंद्र द्वारा सीजेआई को पत्र लिखकर कोलेजियम में अपने प्रतिनिधियों को शामिल करने की मांग को लेकर बनी खबरों से पैदा हुए भ्रम के बीच केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने स्पष्टीकरण दिया है।

    मंत्री ने इस बात से इनकार किया कि केंद्र ने अपने प्रतिनिधियों को उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के कॉलेजियम में शामिल करने की मांग की है।

    उन्होंने कहा,

    "सरकार का नामित व्यक्ति कॉलेजियम का हिस्सा कैसे हो सकता है? कुछ लोग तथ्यों को जाने बिना टिप्पणी करते हैं! सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने खुद MoP के पुनर्गठन के लिए कहा था। सर्च-सह-मूल्यांकन समिति की परिकल्पना योग्य उम्मीदवार की पैनल की तैयारी के लिए की गई है।"

    कल, टाइम्स ऑफ इंडिया ने लिखा था कि सरकार ने भारत के मुख्य न्यायाधीश को लिखे एक पत्र में अपने प्रतिनिधियों को कॉलेजियम में शामिल करने की मांग उठाई है। इस रिपोर्ट ने बहुत-सी चिंताएं और बहसें पैदा कीं। बाद में, हिंदुस्तान टाइम्स ने बताया कि सरकार की मांग उम्मीदवारों के एक पैनल को तैयार करने के लिए अपने प्रतिनिधियों के साथ एक "सर्च-सह-मूल्यांकन समिति" बनाने की है, जिससे कॉलेजियम नाम निकाल सके।

    मंत्री ने दावा किया कि एनजेएसी में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जजों की नियुक्ति के लिए मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर (एमओपी) को पुनर्गठित करने के लिए सुझाव मांगने के निर्देश के बाद सीजेआई को पहले लिखे गए पत्रों का अनुवर्ती पत्र था।

    दरअसल, केंद्र द्वारा नवीनतम कदम सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट्स एसोसिएशन ऑफ बेंगलुरु मामले की सुनवाई की पृष्ठभूमि में आया है, जिसमें जस्टिस एसके कौल (सुप्रीम कोर्ट के दूसरे वरिष्ठ न्यायाधीश जो कॉलेजियम के सदस्य भी हैं) के नेतृत्व वाली एक बेंच ने कॉलेजियम की सिफारिशों के प्रसंस्करण में देरी करने पर कानून मंत्रालय के खिलाफ कई आलोचनात्मक टिप्पणियां की थीं।

    पीठ ने सुनवाई के दौरान यह भी कहा था कि 2016 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा भेजा गया एमओपी अंतिम है।


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