HDFC बैंक के CEO ने लीलावती ट्रस्ट की FIR रद्द कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, बॉम्बे हाईकोर्ट के जजों के अलग होने के बाद उठाया कदम

Amir Ahmad

3 July 2025 11:35 AM IST

  • HDFC बैंक के CEO ने लीलावती ट्रस्ट की FIR रद्द कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, बॉम्बे हाईकोर्ट के जजों के अलग होने के बाद उठाया कदम

    HDFC बैंक के CEO सशिधर जगदीशन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिससे लीलावती किर्लोस्कर मेहता मेडिकल ट्रस्ट की ओर से दर्ज कराई गई FIR रद्द की जा सके।

    सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने जस्टिस एमएम सुंद्रेश और जस्टिस के विनोद चंद्रन की खंडपीठ के समक्ष याचिका का उल्लेख करते हुए मामले की तत्काल सुनवाई की मांग की।

    उन्होंने कहा कि बॉम्बे हाईकोर्ट के तीन जज इस मामले की सुनवाई से अलग हो चुके हैं, जिससे याचिका सूचीबद्ध होने में देरी हो रही है।

    रोहतगी ने कहा,

    "एक निराधार FIR बैंक के एमडी और बैंक के खिलाफ दर्ज कराई गई। यह FIR लीलावती अस्पताल के कुछ ट्रस्टियों द्वारा कराई गई, जो दूसरे गुट के ट्रस्टियों से विवाद में हैं। बैंक को इनसे पैसे वसूलने हैं और दबाव बनाने के लिए यह FIR कराई गई। बॉम्बे हाईकोर्ट में तीन बेंच अलग हो चुकी हैं और अब अगली तारीख 14 जुलाई दी गई है, वो भी अनिश्चित है। हर दिन बैंक को नुकसान हो रहा है।"

    सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने याचिका को अगली सुनवाई के लिए कल यानी गुरुवार को सूचीबद्ध करने पर सहमति जताई।

    बता दें, FIR में ट्रस्ट ने आरोप लगाया कि जगदीशन ने पूर्व ट्रस्टी चेतन मेहता से 2.05 करोड़ रुपये की रिश्वत ली ताकि उन्हें वित्तीय सलाह और ट्रस्ट की गवर्नेंस पर नियंत्रण बनाए रखने में मदद दी जा सके।

    इसके अलावा जगदीशन पर अपने पद का दुरुपयोग कर ट्रस्ट के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का आरोप भी लगाया गया।

    पहले यह याचिका बॉम्बे हाईकोर्ट की जस्टिस अजय गडकरी और जस्टिस राजेश पाटिल की बेंच के समक्ष 18 जून को सूचीबद्ध हुई थी लेकिन जस्टिस पाटिल ने निजी कारणों से सुनवाई से इनकार कर दिया। बाद में यह याचिका जस्टिस सरंग कोतवाल और जस्टिस श्याम चंदक की बेंच के सामने आई पर जस्टिस कोतवाल ने भी खुद को अलग कर लिया।

    फिर यह मामला जस्टिस महेश सोनक और जस्टिस जितेंद्र जैन की बेंच के सामने गया, जहां जस्टिस जैन ने खुलासा किया कि उनके पास HDFC बैंक के शेयर हैं और आपत्ति उठाए जाने पर उन्होंने भी खुद को अलग कर लिया।

    हाईकोर्ट के पूर्व प्रशासनिक आदेश के अनुसार लीलावती ट्रस्ट से जुड़े मामलों को बॉम्बे हाईकोर्ट के छह अन्य जजों के सामने सूचीबद्ध नहीं किया जाना है।

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