ज्ञानवापी मस्जिद केस - सुप्रीम कोर्ट 21 अप्रैल, 2023 को सभी मुकदमों को एक ही जगह करने की मांग वाली याचिका सूचीबद्ध करने पर सहमत
Sharafat
28 March 2023 2:54 PM IST
सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को 21 अप्रैल 2023 को ज्ञानवापी मस्जिद विवाद के संबंध में दायर सभी मुकदमों की सुनवाई एक ही जगह करने की मांग वाली याचिका को सूचीबद्ध करने पर सहमत हो गया।
सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा, और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ के समक्ष इस मामले का उल्लेख एडवोकेट विष्णु शंकर जैन ने किया, जो पहले मुकदमे में वादी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। यह मुद्दा कुछ हिंदू भक्तों द्वारा दायर एक मुकदमे में वाराणसी की एक अदालत द्वारा दिए गए एक सर्वेक्षण के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर पाए गए एक 'शिव लिंग' के दावों से संबंधित है।
एडवोकेट जैन ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि वाराणसी के जिला न्यायाधीश ने चौथी बार इस मामले में सभी मुकदमों को एक ही स्थान करने पर अपना फैसला टाल दिया है।
कार्यवाही की पृष्ठभूमि
जब वाराणसी कोर्ट को कोर्ट द्वारा नियुक्त एडवोकेट कमिश्नर द्वारा सूचित किया गया कि एक सर्वेक्षण के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर एक 'शिव लिंग' पाया गया है तो कोर्ट ने संबंधित जगह/क्षेत्र को सील करने का आदेश दिया।
17 मई, 2022 को शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि वाराणसी में सिविल जज सीनियर डिवीजन द्वारा उस स्थान की सुरक्षा के लिए पारित आदेश जहां ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान एक "शिव लिंग" पाए जाने का दावा किया गया था, उससे मुसलमानों के नमाज अदा करने और धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए मस्जिद में प्रवेश का अधिकार को प्रतिबंधित नहीं होगा। अंतरिम आदेश को बाद में अगले आदेश तक बढ़ा दिया गया था।
20 मई, 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मुकदमे को वाराणसी जिला न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया, यह देखते हुए कि एक वरिष्ठ और अनुभवी न्यायिक अधिकारी को शामिल मुद्दों की संवेदनशीलता को देखते हुए मामले से निपटना चाहिए। कोर्ट ने निर्देश दिया कि जिला अदालत सीपीसी के आदेश 7 नियम 11 के तहत मस्जिद कमेटी द्वारा दायर याचिकाओं पर प्राथमिकता के आधार पर सुनवाई करे।
जिला न्यायालय ने वाद के सुनवाई योग्य होने के सवाल पर मस्जिद समिति की आपत्ति को खारिज कर दिया और कहा कि पूजा स्थल अधिनियम 1991 द्वारा इसे वर्जित नहीं किया गया। वाराणसी जिला न्यायालय ने वादी द्वारा "शिव लिंग" की कार्बन-डेटिंग और वैज्ञानिक जांच के लिए दायर एक आवेदन को खारिज कर दिया । । इसके खिलाफ पुनरीक्षण याचिका के माध्यम से इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया। इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को इस मुद्दे पर अपना जवाब दाखिल करने का एक और मौका दिया कि क्या 'शिव लिंग' की उम्र का सुरक्षित मूल्यांकन किया जा सकता है। हाईकोर्ट ने अब मामले को 5 अप्रैल, 2023 को सुनवाई के लिए पोस्ट किया है।