गौतम नवलखा ने विदेश रह रही बेटी से फोन पर बात करने की अनुमति मांगी; सुप्रीम कोर्ट ने एनआईए से जवाब मांगा

Brij Nandan

9 Jan 2023 3:31 PM IST

  • Gautam Navlakha

    Gautam Navlakha

    भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट गौतम नवलखा (Gautam Navlakha) की ओर से पेश वकील नित्या रामकृष्णन ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से नवलखा को विदेश रह रही अपनी बेटी से फोन पर बात करने की अनुमति मांगी।

    सीनियर वकील ने जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की खंडपीठ को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने नवलखा को एनआईए के फोन से प्रति दिन एक कॉल करने की अनुमति दी थी। हालांकि, उन्हें अंतरराष्ट्रीय फोन करने की अनुमति नहीं है। इसलिए, बेंच से एक आदेश मांगा जा रहा है कि वह नवलखा को उनकी बेटी से इंटरनेशन कॉल करने की अनुमति देने के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी को निर्देश दे।

    एनआईए की ओर से पेश वकील ने रामकृष्णन से इस संबंध में एक आवेदन दायर करने को कहा। वह केंद्रीय एजेंसी को सभी आवश्यक जानकारी प्रदान करने के लिए सहमत हुई, जिसमें एनआईए के विचारार्थ वह नंबर भी शामिल है जिससे कॉल की जानी है।

    सीनियर वकील ने कहा कि उन्हें इस तरह की अनुमति के लिए औपचारिक रूप से अदालत के समक्ष एक आवेदन दायर करना था। हालांकि, यह देखते हुए कि मामला पहले से ही सूचीबद्ध है, वह मौखिक अनुरोध कर रहे थे।

    एनआईए के अनुरोध पर, मामले को स्थगित कर दिया गया है और 17 फरवरी, 2023 को अगली सुनवाई की जाएगी।

    10 नवंबर, 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने नवलखा की उम्र और कई बीमारियों को देखते हुए उन्हें तलोजा सेंट्रल जेल से हाउस अरेस्ट करने का आदेश पारित किया था। यह आदेश एक माह तक प्रभावी रहना है।

    बाद में, एनआईए ने एक आवेदन दायर कर उस आदेश को वापस लेने की मांग की, जिसमें तर्क दिया गया कि नवलखा ने महत्वपूर्ण तथ्यों को छुपाया है।

    एनआईए ने इस बात पर भी आपत्ति जताई कि नवलखा द्वारा चुनी गई जगह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के नियंत्रण में एक पुस्तकालय भवन की पहली मंजिल में एक हॉल है।

    हालांकि, 18 नवंबर, 2022 को जस्टिस केएम जोसेफ की अगुआई वाली बेंच ने एनआईए की अर्जी खारिज कर दी और एजेंसी को हाउस अरेस्ट के निर्देश का तुरंत पालन करने का निर्देश दिया।

    दिसंबर, 2022 में, अदालत ने नवलखा को दी गई अंतरिम सुरक्षा को बढ़ा दिया, जिससे उन्हें जनवरी के दूसरे सप्ताह तक नज़रबंद रहने की अनुमति मिल गई।

    नवलखा 73 वर्ष के हैं। अप्रैल 2020 से जेल में हैं। वह कई बीमारियों से पीड़ित हैं और बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा उनकी स्वास्थ्य स्थिति के कारण हाउस अरेस्ट में ट्रांसफर की मांग को खारिज किए जाने के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।

    [केस टाइटल: गौतम नवलखा बनाम एनआईए और अन्य। एसएलपी (क्रिमिनल) सं. 9216/2022]


    Next Story