ऊंची अदालतों में जाने से पहले ट्रायल कोर्ट में अनुभव हासिल करें: सीजेआई रमाना ने लॉ ग्रेजुएट्स को सलाह दी

LiveLaw News Network

20 Dec 2021 12:02 PM IST

  • ऊंची अदालतों में जाने से पहले ट्रायल कोर्ट में अनुभव हासिल करें: सीजेआई रमाना ने लॉ ग्रेजुएट्स को सलाह दी

    चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमाना ने नलसार यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ, हैदराबाद के दीक्षांत समारोह में कहा कि कानून के छात्रों को ऊंची अदालतों में जाने से पहले ट्रायल स्तर पर अनुभव प्राप्त करता चाहिए।

    उन्होंने कहा, "मैंने पाया है कि बहुत कम छात्र जो नेशनल लॉ स्कूलों से स्नातक हैं, मुकदमेबाजी में शामिल होने या सार्वजनिक मुद्दों को उठाने में रुचि रखते हैं, जिला स्तर पर अभ्यास करना तो दूर की बात है।" सीजेआई रमाना ने कहा कि उन्होंने नेशनल लॉ स्कूलों से स्नातक होने वाले छात्रों में ट्रायल कोर्ट की पूरी तरह अनदेखी करके केवल सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने का "मोह" देखा है।

    उन्होंने कहा कि ट्रायल कोर्ट में सफल होने के लिए एक अलग स्‍किल सेट की जरूरत होती है, जिसमें प्रेजेंस ऑफ माइंड और इंटलेक्चुअल इनपुट की काफी आवश्यकता होती है। निचली अदालतों में लंबित मामलों की संख्या ज्यादा होने के कारण विशेषज्ञ वकीलों की मांग और आवश्यकता दोनों है।

    सीजेआई ने बताया कि,

    उन्होंने अपनी वकालत की शुरुआत किरायेदारी मामले में एक तहसीलदार के सामने पेश होने के साथ की थी। तब से वह कर अधिकारियों, स्टाम्प रजिस्ट्रार, मजिस्ट्रेट कोर्ट, मुंसिफ कोर्ट आदि के सामने पेश हो चुके हैं।

    उन्होंने कहा, मुझे अभी भी एक न्याय‌िक आयुक्त के रूप में अपना पहला काम याद है। मुझे उस असाइनमेंट के लिए 100 रुपये का भुगतान किया गया था, । मुझे कहना होगा कि उन प्रयासों से मैंने जो अनुभव प्राप्त किया, उसने व्यवस्था और लोगों की मेरी समझ को आकार दिया।"

    उन्होंने कहा, "कोई विश्वविद्यालय आपको यह नहीं सिखा सकता है। आपको यह समझना चाहिए कि प्रत्यक्ष अनुभव का कोई विकल्प नहीं है।" उन्होंने जोर देकर कहा कि कानूनी करियर की मजबूत नींव व्यावहारिक अनुभव है। जब आप जमीनी स्तर पर काम करते हैं, तभी आप आम आदमी पर कानून की कठोरता को समझते हैं।

    व्यावहारिक पाठ्यक्रम शुरू करने की जरूरत

    सीजेआई ने व्यावहारिक पाठ्यक्रम शुरू करने की आवश्यकता के बारे में भी बताया ताकि छात्र कानूनी समस्याओं को केवल सैद्धांतिक रूप से न समझे।

    उन्होंने कहा,

    "मैं देखता हूं कि स्नातक छात्र केवल सैद्धांतिक तरीके से कानूनी समस्याओं पर विचार करने के आदी हैं। ऐसे पाठ्यक्रम शुरू करने की तत्काल आवश्यकता है जो अधिक व्यावहारिक हों और छात्रों को जमीनी स्तर पर लोगों और उनके मुद्दों के साथ बातचीत करने की अनुमति दें।"

    कानून की प्रैक्टिस सबसे अधिक मांग वाले व्यवसायों में से एक

    सीजेआई ने छात्रों को याद दिलाया कि कानून की प्रैक्टिस सबसे अधिक मांग वाले व्यवसायों में से एक है। कठिनाइयों में टिके रहने के लिए किसी को असाधारण इच्छाशक्ति, जुनून और प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है।

    सीजेआई रमाना ने कहा,

    "मुझे दृढ़ विश्वास है कि सफलता उन्हीं को मिलेगी जिन्हें खुद पर विश्वास है। आपको न्याय के चैंपियन के उत्साह के साथ पेशे में प्रवेश करना चाहिए। कभी-कभी आपको लग सकता है कि आपका काम बहुत सामान्य है। आप महसूस कर सकते हैं कि आपका प्रतिभा का सही उपयोग नहीं हो रहा है।आप देख सकते हैं कि कई अयोग्य लोग पेशे में फलते-फूलते हैं।

    लेकिन अवसर सबके पास आता है और जब अवसर दस्तक दे तो तैयार रहें। आपने जो कुछ भी यहां सीखा है, उसे आपको अभ्यास में लाना चाहिए। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि कानून के पेशे में सफलता जैसी कोई सफलता नहीं है। जरूरतमंदों को न्याय दिलाने में संतुष्टि जैसी कोई संतुष्टि नहीं है। याद रखें, आप सबसे स्वतंत्र व्यवसायों में से एक में प्रवेश कर रहे हैं। निडर बनें और सच्चे रहें। अपनी संवैधानिक शपथ पर कायम रहें।"

    छात्रों का मोहभंग नहीं हो सकता

    सीजेआई ने सार्वज‌निक बहसों में शामिल होने और जनहित के मुद्दों पर काम करने के महत्व के बारे में भी बताया।

    उन्होंने कहा, "आपके लिए वर्तमान बहस का हिस्सा बनना अनिवार्य है। केवल सवाल उठाने से न रुकें। खुद से भी पूछें कि इसका क्या उपाय हो सकता है। राष्ट्र का भविष्य होने के नाते, आपके पास एक स्पष्ट दृष्टि होनी चाहिए। स्वतंत्रता, न्याय, समानता और नैतिकता के संरक्षक होने के नाते आप संकीर्ण और पक्षपातपूर्ण विचारों को देश की सोच पर हावी नहीं होने दे सकते। छात्रों को सभी सही कारणों से लड़ने के लिए उनकी तत्परता के लिए जाना जाता है क्योंकि उनके विचार शुद्ध और ईमानदार होते हैं। अन्याय पर सवाल उठाने में उन्हें सबसे आगे रहना चाहिए।"

    उन्होंने नशे के शिकार होने वाले छात्रों की बढ़ती संख्या पर भी चिंता व्यक्त की और छात्रों को मादक द्रव्यों के सेवन से दूर रहने की सलाह दी।

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