'प्रेस की स्वतंत्रता बरकरार रखने के लिए सरकार के हस्तक्षेप पर रोक लगाना जरूरी': एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने पेगासस जासूसी मामले में एसआईटी जांच की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रूख किया

LiveLaw News Network

3 Aug 2021 9:20 AM GMT

  • प्रेस की स्वतंत्रता बरकरार रखने के लिए सरकार के हस्तक्षेप पर रोक लगाना जरूरी: एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने पेगासस जासूसी मामले में एसआईटी जांच की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रूख किया

    एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (ईजीआई) ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका दायर की है। याचिका में विशेष जांच दल द्वारा अदालत की निगरानी में उस मामले की जांच की मांग की है, जिसमें पत्रकारों, एक्टिविस्ट , राजनेताओं आदि पर इजरायली स्पाइवेयर पेगासस का उपयोग करके सरकारी एजेंसियों द्वारा कथित जासूसी की रिपोर्ट की गई है।

    ईजीआई ने अपनी याचिका में कहा कि,

    "प्रेस की स्वतंत्रता को बरकरार रखने के लिए सरकार और उसकी एजेंसियों के हस्तक्षेप पर रोक लगाना जरूरी है। पत्रकारों की रिपोर्टिंग गैर-हस्तक्षेप पर निर्भर करती है, जिसमें स्रोतों के साथ सुरक्षित और स्वतंत्र रूप से बोलने, सत्ता के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार की जांच करने, सरकारी अक्षमता को उजागर करने और विरोध करने वालों के साथ बोलने की उनकी क्षमता शामिल है।"

    जनहित याचिका में यह भी मांग की गई है कि निगरानी के लिए स्पाइवेयर लगाने के लिए विदेशी कंपनियों के साथ किए गए अनुबंधों के संबंध में डिटेल्स बताने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश जारी किया जाए और उन लोगों के भी डिटेल्स दिए जाएं जिनके खिलाफ इस तरह के स्पाइवेयर का इस्तेमाल किया गया था।

    अधिवक्ता रूपाली सैमुअल, अधिवक्ता राघव तन्खा और अधिवक्ता लजफीर अहमद बीएफ (एओआर) के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि,

    "भारत के नागरिकों को यह जानने का अधिकार है कि क्या कार्यकारी सरकार संविधान के तहत अपने अधिकार की सीमाओं का उल्लंघन कर रही है और उनके मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। संसदीय प्रक्रियाओं के माध्यम से जवाबदेही बनाने और संवैधानिक सीमाओं को लागू करने के सभी प्रयास किए गए हैं। प्रतिवादियों ने जानबूझकर इस मुद्दे पर सार्वजनिक बहस से परहेज किया है और अस्पष्ट उत्तर प्रदान किए हैं, जिससे याचिकाकर्ता को जनता की ट्रस्टी के रूप में और भारत के सभी नागरिकों की ओर से अपने दायित्वों के प्रदर्शन में जनता के जानने के अधिकार को लागू करने के लिए इस न्यायालय से संपर्क करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।"

    भारत के मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली पीठ पांच अगस्त को विवाद की न्यायिक जांच की मांग पर विचार करेगी। पेगासस जासूसी सूची में शामिल होने वाले पांच पत्रकारों ने भी इस मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में स्वतंत्र रिट याचिका दायर की है। राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास और एडवोकेट एमएल शर्मा ने भी इसी तरह की मांगों के साथ जनहित याचिका दायर की है।

    पेगासस विवाद 18 जुलाई को द वायर और कई अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रकाशनों द्वारा मोबाइल नंबरों के बारे में रिपोर्ट प्रकाशित करने के बाद शुरू हुआ। द वायर की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने वाली महिला कर्मचारी और परिवार के कुछ सदस्यों को पेगासस जासूसी के संभावित लक्ष्य के रूप में सूचीबद्ध किया गया था। द वायर के अनुसार, 40 भारतीय पत्रकार, राहुल गांधी जैसे राजनीतिक नेता, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर आदि को लक्ष्य की सूची में बताया गया है।

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