चैरिटी के लिए उपयोग ‌होनी वाली समाचार पत्रों की आय की छूट: सुप्रीम कोर्ट ने मामले को एओ को भेजा

Avanish Pathak

11 Feb 2023 7:55 PM IST

  • चैरिटी के लिए उपयोग ‌होनी वाली समाचार पत्रों की आय की छूट: सुप्रीम कोर्ट ने मामले को एओ को भेजा

    सुप्रीम कोर्ट ने चैरिटी के लिए इस्तेमाल होने वाली अखबार की आय की छूट के संबंध में अपील को वापस भेज दिया है।

    जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस दीपांकर दत्ता की खंडपीठ ने सीआईटी बनाम अहमदाबाद शहरी विकास प्राधिकरण के फैसले पर भरोसा किया है और मामले को निर्धारिती की प्राप्तियों, अन्य बातों के सा‌थ-साथ जिसका समाचार पत्र भी है, की प्रकृति पर नए सिरे से विचार करने और इस मुद्दे पर नए निष्कर्ष प्रस्तुत करने के लिए कि क्या निर्धारिती एक धर्मार्थ ट्रस्ट है, जो धारा 11 के तहत आय की छूट का हकदार है, मामले को एओ को भेज दिया।

    प्रतिवादी/निर्धारिती सोसायटी ने कहा कि उसकी स्थापना 1921 में लाला लाजपत राय ने राष्ट्र निर्माण, सामान्य जागरूकता और जन कल्याण के लिए की थी। 1928 में उड़ीसा के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी श्री पंडित गोप बंधु दास ने अपनी संपत्ति और प्रिंटिंग प्रेस की वसीयत बनाई, जो अब जनकल्याण के लिए उड़िया समाचार पत्र "समाज" का प्रबंधन कर रहा है।

    निर्धारिती धारा 11 के तहत छूट दी जा रही थी, लेकिन निर्धारण वर्ष में 1973-74 में उसे अस्वीकार कर दिया गया और बाद में ITAT ने अनुमति दी और हाईकोर्ट ने पुष्टि की।

    निर्धारिती को पहले भी धारा 10(23सी)(iv) के तहत तीन साल के लिए छूट की अनुमति दी गई थी।

    निर्धारिती की ओर से नई दिल्ली स्थ‌ित लाजपत नगर और ग्रेटर कैलाश में बलवंत राय मेहता विद्या भवन नाम से स्कूल, लाजपत नगर में चिकित्सा केंद्र और द्वारका में वृद्धाश्रम स्थापित किए हैं और चला रहे हैं।

    निर्धारिती ओडिशा में गोपा बंधु मेडिकल रिसर्च सेंटर के नाम से एक अस्पताल भी बना रहा था। निर्धारिती को भी धारा 11(1) के तहत छूट की अनुमति दी गई थी, हालांकि वर्ष 2010-11 के दरमियान इससे इनकार किया गया था।

    निर्धारिती अधिकारी ने धारा 2(15) के प्रोविसो को इस आधार पर छूट देने से इनकार कर दिया कि निर्धारिती व्यापार, वाणिज्य या व्यवसाय में शामिल है क्योंकि यह एक प्रिंटिंग प्रेस और एक समाचार पत्र का प्रबंधन और संचालन करता है।

    निर्धारिती ने तर्क दिया कि यह मुख्य रूप से धर्मार्थ गतिविधियों में शामिल एक गैर-लाभकारी संस्था है और किसी भी व्यापार, वाणिज्य, व्यवसाय या किसी अन्य गतिविधि में संलग्न नहीं है।

    निर्धारिती ने अपीलीय आयुक्त से संपर्क किया, जिन्होंने उसकी दलील स्वीकार कर ली और निर्देश दिया कि उसके द्वारा अर्जित आय को छूट का लाभ मिलना चाहिए। राजस्व ने मामले को ITAT और ‌हाईकोर्ट में अपील की, जो दोनों असफल रहे।

    विभाग ने तर्क दिया कि अपीलीय आयुक्त और ट्रिब्यूनल ने निर्धारिती को छूट देने में त्रुटि की है। निर्धारिती न केवल समाचार पत्रों की बिक्री से राजस्व अर्जित कर रहा है बल्कि उसने पर्याप्त विज्ञापन राजस्व भी अर्जित किया है।

    निर्धारिती ने आग्रह किया कि अदालत को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए क्योंकि अपीलीय आयुक्त के साथ-साथ आईटीएटी और हाईकोर्ट ने समवर्ती रूप से इस आधार पर छूट के अपने दावे को बरकरार रखा है कि यह एक धर्मार्थ ट्रस्ट है, जो इस तरह व्यवहार करने का हकदार है और इसलिए छूट के लिए पात्र है।

    विज्ञापन के माध्यम से आय उत्पन्न करने की गतिविधि केवल आकस्मिक है, और विज्ञापन से होने वाली आय को ट्रस्ट के मुख्य उद्देश्य का हिस्सा नहीं कहा जा सकता बल्कि इसके धर्मार्थ उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक है।

    अदालत ने आदेश दिया कि एओ दस्तावेजों और प्रासंगिक कागजात की समीक्षा करे और इस पर नए निष्कर्ष निकाले कि क्या प्रतिवादी एक धर्मार्थ ट्रस्ट है जो आयकर छूट के लिए पात्र है। एओ सुनवाई पूरी करेगा और चार महीने के भीतर आदेश पारित करेगा।

    केस टाइटल: पीसीआईटी बनाम जन सेवक समाज

    साइटेशन: सिविल अपील संख्या (एस) 614/2023

    आदेश पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

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