वकील को बहस के दौरान न रोकें, प्रवाह बाधित नहीं होना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट

Sharafat

19 Oct 2022 8:13 PM IST

  • सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली

    सुप्रीम कोर्ट

    भारत के सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को वकीलों को आगाह किया कि दूसरे पक्ष के वकीलों के तर्क देने के दौरान वे उन्हें बीच न रोकें।

    जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस सीटी रविकुमार की खंडपीठ ने सेंट स्टीफन के मामले की सुनवाई पर विचार करते हुए कहा कि वकील अपने समकक्षों को सिर्फ इसलिए नहीं रोक सकते क्योंकि वे दी गई दलीलों से सहमत नहीं हैं।

    जस्टिस रस्तोगी ने कहा,

    "सिर्फ इसलिए कि आप तर्क से सहमत नहीं हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि आप बीच में उन्हें रोक सकते हैं। उन्हें (वकीलों को) दलीलें देने दें।"

    जस्टिस सीटी रविकुमार ने कहा,

    "तर्क का प्रवाह प्रभावित होगा। कितनी बार (आप बाधा डाल रहे हैं)? कितनी बार?"

    सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल को आज सुनवाई के दौरान बार-बार दूसरे पक्ष के वकील से बाधा का सामना करना पड़ा। इसके बाद पीठ को यह टिप्पणी करने पड़ी।

    सिब्बल ने एक अन्य वकील के हस्तक्षेप करने पर कहा,

    "मैंने आपको कभी बाधित नहीं किया। मुझे ये आदत समझ नहीं आती।"

    पीठ ने सिब्बल के समर्थन में कहा, "वकील को सबमिशन करने की अनुमति दें।"

    इसके बाद जब सिब्बल ने कहा कि सेंट स्टीफेंस से जस्टिस हिमा कोहली सहित इतने योग्य लोग निकले हैं तो सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उपरोक्त तर्क नहीं है।

    एक अन्य वकील ने यह कहते हुए हस्तक्षेप किया कि, "सेंट स्टीफंस में कई लोग इस समय जेल में भी हैं। दोनों पक्ष हैं।"

    इससे सिब्बल भड़क गए, जिन्होंने दूसरे पक्ष के बीच में आने का कारण पूछा।

    हस्तक्षेप करने वाले वकील ने जवाब दिया, "मेरे सीनियर साथी क्यों उत्तेजित हो रहे हैं? हम यहां विरोध की दलीलें देने आए हैं।"

    बेंच ने कहा बार-बार रुकावट आ रही है।

    दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार करने के बाद बेंच ने कहा कि निरंतर रुकावट निश्चित रूप से एक वकील के प्रवाह और ध्यान को प्रभावित करेगी।

    जस्टिस रस्तोगी ने कहा,

    "जब आप एक वकील को बाधित करते हैं तो उसका पूरा प्रवाह और ध्यान प्रभावित होता है। उसका प्रवाह बाधित नहीं होना चाहिए।"

    जस्टिस रविकुमार ने कहा,

    " विशेष रूप से जब वह अदालत द्वारा रखे गए एक प्रश्न का उत्तर देने की कोशिश कर रहे हैं और फिर एक रुकावट आती है तो वकील के लिए अपनी विचार प्रक्रिया को संतुलित करना बहुत मुश्किल होगा।"

    सिब्बल ने टिप्पणी की, "यह संस्कृति सुप्रीम कोर्ट में विकसित हुई है। यह बहुत दुखद है।"

    पीठ ने कहा, "आप भी जिम्मेदार हैं। आप 50 साल से अधिक समय से इस पेशे में हैं, आप बहुत सीनियर हैं।"

    सिब्बल ने कहा, "मैलॉर्ड्स, मैं कभी बीच में नहीं आता।"

    Next Story