'चीफ-जस्टिस को एक व्यक्ति की हिरासत में मौत की सूचना देने वाली महिला वकील को धमकियांं न दी जाएंं', तेलंगाना HC ने DGP को निर्देश दिया

SPARSH UPADHYAY

12 Sep 2020 11:42 AM GMT

  • चीफ-जस्टिस को एक व्यक्ति की हिरासत में मौत की सूचना देने वाली महिला वकील को धमकियांं न दी जाएंं, तेलंगाना HC ने DGP को निर्देश दिया

    तेलंगाना उच्च न्यायालय ने गुरुवार (10 सितंबर) को पुलिस महानिदेशक, तेलंगाना राज्य को यह निर्देश दिया कि वे यह सुनिश्चित करे कि अधिवक्ता पी. वी. नागमणि (जिन्होंने एक व्यक्ति, सेलाम रंगाया की कथित हिरासत में मृत्यु से संबंधित माननीय मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र लिखा था) और उनके पति को किसी भी पुलिस अधिकारी द्वारा धमकी नहीं दी जाए, और जब तक कि यह मामले (सेलाम रंगाया की कथित हिरासत में मौत) अदालत के समक्ष चल रहा है तबतक दोनों को किसी भी पुलिस स्टेशन में नहीं बुलाया जाए।

    मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान और न्यायमूर्ति बी. विजयसेन रेड्डी की खंडपीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए उपरोक्त निर्देश दिए, जिसमें एडवोकेट पी. वी. नागमणि ने पुलिस विभाग के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने और न्यायालय द्वारा पुलिस सुरक्षा प्राप्त करने की मांग की थी।

    मामले की पृष्ठभूमि

    एक सेलाम रंगाया की कथित हिरासत में मौत को लेकर, श्रीमती पी. वी. नागमणि (तेलंगाना हाईकोर्ट की प्रैक्टिसिंग वकील) ने 26.05.2020 को माननीय मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र संबोधित किया था। अधिवक्ता नागमणि के अनुसार, श्री सेलाम रंगाया को मंथनी पुलिस स्टेशन लाया गया और उन्हें चार दिनों तक बंद रखा गया।

    इस अवधि के दौरान, उन्हें कथित रूप से हिरासत में यातना दी गयी थी। इसके बाद, पुलिस के अत्याचारों को सहन करने में असमर्थ होते हुए, यह दावा किया गया कि श्री सेलाम रंगाया की मृत्यु 26.05.2020 को सुबह 4:00 बजे संदिग्ध परिस्थितियों में हवालात में हुई।

    अधिवक्ता नागमणि ने अदालत के समक्ष यह प्रार्थना की कि उत्तरदाताओं को यह निर्देश दिए जाएँ कि वे आईपीसी की धारा 302 और धारा 176 (2) सीआरपीसी के तहत अपराधों के लिए हिरासत में मौत के रूप में एफआईआर दर्ज करें और शव का पुन: पोस्टमार्टम करें।

    इसके अलावा यह प्रार्थना भी की गयी कि डॉक्टरों की एक टीम द्वारा मूल तथ्यों का पता लगाने के लिए, मृतक सेलाम रंगाया के दाह संस्कार को रोका जाए और साथ ही सेलाम रंगाया की मौत की न्यायिक जांच की जाए।

    उक्त पत्र को तेलंगाना उच्च न्यायालय ने जनहित याचिका के रूप में माना था, और उक्त पत्र के आधार पर संज्ञान न्यायालय द्वारा लिया गया था।

    दिनांक 27.05.2020 के आदेश से, अदालत ने पुलिस आयुक्त, हैदराबाद अंजनी कुमार को यह निर्देश दिया था कि वे 26.05.2020 को पुलिस थाना मंथनी में हुई कथित घटना के संबंध में व्यक्तिगत रूप से मामले की जाँच करें और उसकी रिपोर्ट प्रस्तुत करें।

    नतीजतन, रिपोर्ट 19.06.2020 को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की गई। चूंकि रिपोर्ट गोपनीय थी, इसलिए न्यायालय ने निर्देश दिया कि रिपोर्ट को न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल के संरक्षण में रखा जाएगा।

    वकील नागमणि के प्रति निष्पक्ष होते हुए, न्यायालय ने उन्हें रिपोर्ट से नोट्स लेने की अनुमति दी, और यदि आवश्यक हो, तो उक्त रिपोर्ट को लेकर अपना काउंटर दर्ज करने के लिए कहा।

    अधिवक्ता नागमणि ने बाद में अदालत को सूचित किया कि जब से रिपोर्ट का काउंटर दर्ज करने की उक्त अनुमति दी गई थी, तब से उन्हें और उनके पति, दोनों को लगातार पुलिस बल द्वारा, मथानी में, जो उनका मूल घर है, और हैदराबाद में परेशान किया जा रहा था।

    उनके अनुसार, उनके पति को F.I.R में गलत तरीके से फंसाया गया है। 02.09.2020 को 2020 की नंबर 176 FIR, पुलिस स्टेशन, बसंत नगर, रामागुंडम जिले के साथ पंजीकृत की गयी।

    इसके अलावा, उनके अनुसार, उन्हें पुलिस विभाग द्वारा फोन पर धमकी दी जा रही थी कि श्री अंजनी कुमार, हैदराबाद के पुलिस आयुक्त, द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में यदि उनके द्वारा एक काउंटर दायर किया गया तो न केवल उनका जीवन बल्कि उनके बच्चों और उनके परिवार के अन्य सदस्यों का जीवन खतरे में पड़ जाएगा।

    इसके अलावा, यदि अधिवक्ता नागमणि द्वारा दायर मामला वापस नहीं लिया जाता है तो उस स्थिति में, संबंधित सर्किल इंस्पेक्टर ने आत्महत्या करने की धमकी दी थी।

    इसलिए उन्होंने पुलिस सुरक्षा की मांग की, और पुलिस विभाग के खिलाफ इस न्यायालय द्वारा कड़ी कार्रवाई करने की प्रार्थना की। इस न्यायालय के समक्ष उपरोक्त तथ्य सुश्री नागमणि द्वारा मौखिक रूप से रखे गए।

    कोर्ट का आदेश

    कोर्ट ने नोट किया,

    "इस न्यायालय द्वारा कोई भी आदेश पारित किए जाने से पहले, यह आवश्यक है कि उसके आरोपों को इस न्यायालय के समक्ष एक शपथ पत्र के रूप में रखा जाए। इसलिए, सुश्री नागमणि को निर्देश दिया जाता है कि वह स्वयं का एक शपथपत्र प्रस्तुत करें, साथ ही साथ अपने पति श्री गट्टू वामन राव के एक शपथ पत्र के साथ, उन आरोपों के बारे में बताएं जो उन्होंने पुलिस विभाग के खिलाफ लगाये हैं। इस तरह के शपथ पत्र को किसी भी दस्तावेजी सबूत के साथ, उनके आरोपों को प्रमाणित करने के लिए पेश किये जाएँ। उक्त शपथ पत्र उनके द्वारा 11.09.2020 तक दायर किया जाएगा।"

    न्यायालय ने आगे निर्देश दिया,

    "इस बीच, यह अदालत तेलंगाना राज्य के पुलिस महानिदेशक को यह निर्देश देती है कि वह यह सुनिश्चित करे कि न तो सुश्री नागमणि, और न ही उनके पति, श्री गट्टू वामन राव, को किसी पुलिस अधिकारी द्वारा धमकी दी जाए, और उन्हें किसी भी पुलिस स्टेशन में न बुलाया जाए, जब तक यह मामला इस अदालत के समक्ष लंबित है।"

    आदेश की प्रति डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



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