उत्तर प्रदेश में DJ बैन के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का जल्द सुनवाई से इनकार, CJI ने कहा, शोर अच्छा नहीं
LiveLaw News Network
23 Oct 2019 4:20 PM IST
उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा डीजे बजाने पर रोक को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया।
बुधवार को मुख्य न्यायाधीश (CJI ) रंजन गोगोई की पीठ के समक्ष एक वकील ने इस याचिका की जल्द सुनवाई का आग्रह किया तो CJI ने इससे इनकार कर दिया और कहा, " डीजे से शोर होता है जिससे ध्वनि प्रदूषण होता है । ये बुजुर्गों के लिए अच्छा नहीं है। हाईकोर्ट का फैसला फिलहाल जारी रहने दीजिए।"
यह था मामला
21 अगस्त को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ध्वनि प्रदूषण को लेकर बड़ा फैसला सुनाते हुए उत्तर प्रदेश में डीजे बजाए जाने पर पाबंदी लगा दी थी। न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल तथा न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की पीठ ने सभी जिलाधिकारियों व मजिस्ट्रेटों द्वारा डीजे बजाने की मंजूरी दिए जाने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी और यूपी सरकार से इस पर सख्ती से अमल करने को कहा था । पीठ ने यूपी सरकार से डीजे बजाने वालों पर एक लाख रूपये का जुर्माना लगाने व पांच साल तक की कैद की सज़ा का नियम बनाने का भी आदेश दिया था ।
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि डीजे बजने पर संबंधित थाना प्रभारियों की जवाबदेही होगी । इस बारे में शिकायत करने वालों की पहचान सार्वजनिक नहीं की जाएगी । ईमेल और व्हाट्सएप्प के साथ ही मोबाइल पर भेजे गए एसएमएस के ज़रिये भी शिकायत की जा सकेगी। अदालत ने ध्वनि प्रदूषण की शिकायत के लिए एक टोल फ्री नंबर भी जारी करने को कहा । हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि इस आदेश का पालन नहीं करने वालों के खिलाफ अदालत की अवमानना का केस चलाया जाएगा ।
पीठ ने माना कि कई एम्प्लीफायर व साउंड बॉक्स होने की वजह से डीजे बजने पर ध्वनि प्रदूषण के मानकों का पालन नहीं हो सकता।अदालत के फैसले के मुताबिक़ त्यौहारों पर लाउडस्पीकर भी सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के मुताबिक़ ही बजेंगे और जिलों के डीएम व पुलिस अधीक्षक इस पर निगरानी रखेंगे ।कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि डीजे बजने से बच्चों - बुजुर्गों और अस्पतालों में भर्ती मरीजों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है ।