जब पीपीए में प्रावधान ना हो तब अन्य उत्पादन स्टेशनों के लिए गैस का डाइवर्जन मुआवजे की मांग का पर्याप्त आधार नहीं: सुप्रीम कोर्ट

Avanish Pathak

22 March 2023 10:44 AM GMT

  • जब पीपीए में प्रावधान ना हो तब अन्य उत्पादन स्टेशनों के लिए गैस का डाइवर्जन मुआवजे की मांग का पर्याप्त आधार नहीं: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने विद्युत अपीलीय न्यायाधिकरण की राय की पुष्टि करते हुए कहा कि अगर बिजली खरीद समझौते में ऊर्जा की कम आपूर्ति के संबंध में फुल फिक्‍स्‍ड चार्ज, और एक्‍चुअल वैरिएबल चार्ज के मुआवजे के संबंध में कोई प्रावधान नहीं है तो बिजली बोर्ड को क्षतिपूर्ति नहीं करनी पड़ेगी।

    जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस सी टी रविकुमार की पीठ पेन्ना इलेक्ट्रिसिटी लिमिटेड की अपील पर सुनवाई कर रही थी। कंपनी तमिलनाडु में तमिलनाडु विद्युत बोर्ड के लिए बने एक कंबाइंड साइकिल गैस टरबाइन पावर जनरेटिंग स्टेशन का संचालन और रखरखाव करती है।

    अपीलकर्ता को पैदा हुई पूरी बिजली की आपूर्ति बोर्ड को करनी ‌थी। पार्टियों ने 25 अगस्त, 2004 को बिजली खरीद समझौता किया।

    तमिलनाडु विद्युत विनियामक आयोग ने अपीलकर्ता की ओर से कंबाइन्‍ड साइकिल ऑपरेशन के तहत 18.06 रुपये के फिक्स्ड चार्ज के भुगतान और जुलाई, 2006 से जून, 2009 के बीच की अवधि के लिए कंबाइंड साइकिल ऑपरेशन के तहत 12.77 करोड़ रुपये के भुगतान के दावे को खारिज कर दिया। अपीलकर्ता ने इसे विद्युत अपीलीय न्यायाधिकरण के समक्ष चुनौती दी और इसे खारिज कर दिया गया।

    अपीलकर्ता की ओर से पेश सी‌नियर एडवोकेट पराग पी त्रिपाठी ने तर्क दिया कि गैस की आपूर्ति में कमी गेल द्वारा अन्य उत्पादन स्टेशनों को गैस के डाइवर्जन के कारण थी और इसलिए, बिजली बोर्ड को अपीलकर्ता को पीपीए की शर्तों के आधार पर पीड़ित नहीं बनाना चाहिए था।

    प्रतिवादी बोर्ड की ओर से सीनियर एडवोकेट के राधा कृष्णन ने इन तर्कों का प्रतिवाद किया। कोर्ट ने नोट किया कि विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 86(1)(बी) के तहत पीपीए को मंजूरी नहीं दी गई थी।

    न्यायालय ने यह भी नोट किया कि पीपीए में ऐसा कोई खंड नहीं है जो फुल फिक्‍स्ड चार्ज का प्रावधान करता हो, तब भी जब अपीलकर्ता प्लांट लोड फैक्टर को पूरा करने में विफल रहता है।

    पार्टियों के बीच पीपीए 1995 की एक सरकारी अधिसूचना के आधार पर दर्ज किया गया था, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि यह ईंधन लिंकेज के लिए स्वतंत्र बिजली उत्पादक की जिम्मेदारी है और किसी भी ईंधन आपूर्ति जोखिम को बिजली और ईंधन उत्पादक/आपूर्तिकर्ता के बीच साझा करना होगा न कि बोर्ड द्वारा क्षतिपूर्ति होगी।

    कोर्ट ने कहा, इसके अलावा, अपीलकर्ता और गेल के बीच एक द्विदलीय समझौता किया गया था, जिसके बारे में प्रतिवादी बोर्ड को जानकारी नहीं थी। उसमें भी यह कहा गया था कि अपीलकर्ता को प्राकृतिक गैस की आपूर्ति में गेल द्वारा किसी भी चूक के मामले में, बोर्ड को क्षतिपूर्ति नहीं करनी थी।

    न्यायालय ने यह भी नोट किया कि अपीलकर्ता अधिनियम, 2003 या पीपीए के तहत किसी भी प्रावधान को प्रदर्शित करने में सक्षम नहीं है, जो अपीलकर्ता के अधिकारों की रक्षा करता है।

    कोर्ट ने अपील खारिज करते हुए कहा,

    "अपीलकर्ता की ओर से पेश विद्वान वकील ने प्रस्तुत किया है कि बोर्ड के अन्य उत्पादन स्टेशनों के लिए गैस के डाइवर्जन के कारण, कम से कम, बोर्ड अपीलकर्ता को पीपीए की शर्तों का हवाला देकर पीड़ित नहीं बना सकता था, यह पहली नज़र में आकर्षक प्रतीत होता है, लेकिन इस कारण से टिकाऊ नहीं है कि कैपीसिटी चार्ज और वैरिएबल चार्ज के लिए मुआवजे का कोई प्रावधान नहीं है, और ऐसा इस तथ्य के कारण है कि केंद्र सरकार के टैरिफ विनियम, 2004 के अनुसार ईंधन की कमी के कारण संयंत्र मानक उपलब्धता/पीएलएफ को बनाए रखने में सक्षम नहीं था, कम से कम प्रतिवादी बोर्ड को दोषी नहीं कहा जा सकता है और यही कारण था कि आयोग इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि अपीलकर्ता जुलाई, 2006 और 15 जून, 2009 के बीच ऊर्जा की आपूर्ति के संबंध में फिक्‍स्ड चार्ज और एक्चुअल वैरिएबल चार्ज के भुगतान हकदार नहीं था..।

    केस टाइटल: पेन्ना इलेक्ट्रिसिटी लिमिटेड (अब मैसर्स पायनियर पावर लिमिटेड) बनाम तमिलनाडु इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड व अन्य| सिविल अपील नंबर (एस)। 706/2014

    साइटेशन: 2023 लाइवलॉ (एससी) 221

    जजमेंट पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें

    Next Story