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अगर कोई संपत्ति विवाद अदालत तक नहीं पहुंचा है तो उसे मध्यस्थता से सुलझाया जा सकता है : सुप्रीम कोर्ट

LiveLaw News Network
27 Nov 2019 4:09 AM GMT
अगर कोई संपत्ति विवाद अदालत तक नहीं पहुंचा है तो उसे मध्यस्थता से सुलझाया जा सकता है : सुप्रीम कोर्ट
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ऐसा निपटान आदेश जिसके बारे में अदालती आदेश जारी हो चुका है उस पर अमल होना चाहिए भले ही वह संपत्ति अदालत के समक्ष कार्यवाही का हिस्सा है कि नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सेटलमेंट एग्रीमेंट जो कि अदालत के आदेश का हिस्सा बन गया है, उस पर अमल होना चाहिए, वह संपत्ति अदालत के समक्ष कार्यवाही का हिस्सा हो या नहीं हो।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने कहा कि मध्यस्थता की कार्यवाही में पक्षकारों के लिए ऐसे मामले जो अदालत के समक्ष सुनवाई के लिए नहीं है, उन्हें आपसी सौहार्द के सुलझाने का रास्ता हमेशा ही खुला रहता है।

इस मामले में वाद एक संपत्ति को लेकर एक बाप और उसकी बेटी के बीच था। जब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो शीर्ष अदालत ने इसे मध्यस्थता के लिए भेज दिया। दोनों के बीच सुलह हुई और अदालत ने विशेष अनुमति याचिका को सुलह समझौते के सन्दर्भ में निपटा दिया। चूंकि अदालत के आदेश को नहीं माना गया, सो दोनों ही पक्ष दोबारा सुप्रीम कोर्ट लौटे।

कौशल्या बनाम जोधा राम मामले में दलील यह दी गई कि चूंकि जिस संपत्ति को लेकर विवाद था वह मूल मामले का हिस्सा नहीं था और इसलिए यह दोनों पक्षों के बीच हुई सुलह संबंधी समझौते का हिस्सा नहीं हो सकता था।

पीठ ने इस पर कहा,

"मध्यस्थता में पक्षकारों के लिए विवाद का सौहार्दपूर्ण हल ढूंढने का रास्ता हमेशा ही खुला रहता है। इसमें ऐसे विवाद भी शामिल हैं जो अदालत के समक्ष निपटारे के लिए नहीं हैं। मध्यस्थता का यह फ़ायदा होता है। मध्यस्थता में पक्षकार सौहार्दपूर्ण समाधान का रास्ता तलाश सकता है जिसे सुलह के समझौते में बदला जा सकता है और इसके बाद वह अदालत के आदेश का हिस्सा हो जाता है और अदालत सुलह समझौते के रूप में इसका निपटारा कर देता है। सुलह के रूप में अदालत का यह आदेश सभी पक्षों के लिए मानना बाध्यकारी हो जाता है।"

अदालत ने अवमानना के इस मामले को यह कहते हुए निपटारा कर दिया कि मामले की सुलह से संबंधित समझौते को लागू किया जाए।

बिक्री का समझौता संपत्ति में किसी भी तरह का अधिकार, स्वामित्व नहीं देता

अदालत ने उन दो लोगों की याचिका भी निरस्त कर दी जिन्होंने सुलह के समझौते में शामिल संपत्ति में स्वामित्व का दावा किया था। इन लोगों ने दावा किया था कि बिक्री एग्रीमेंट के सन्दर्भ में वे इस संपत्ति के मालिक हैं।

इस पर अदालत ने कहा,

"क़ानून के निर्धारित प्रस्तावना के अनुरूप, बिक्री का एग्रीमेंट संपत्ति में किसी भी तरह का अधिकार, स्वामित्व या किसी हित का सृजन नहीं करता, इसलिए इस बिक्री एग्रीमेंट के आधार पर विवादित संपत्ति में रामू राम और रामपाल किसी भी तरह के स्वामित्व का दावा नहीं कर सकते। "

आदेश की प्रति डाउनलोड करने के लिए यहांं क्लिक करेंं



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