प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण को लेकर दिल्ली सरकार और एलजी के बीच विवाद: केंद्र ने 9-जजों की पीठ को संदर्भित करने की मांग की, 2018 का फैसला असंगत
Brij Nandan
6 Dec 2022 12:34 PM IST
केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की सरकार में प्रशासनिक सेवाओं के नियंत्रण से संबंधित मुद्दे को 9 या अधिक जजों की शक्ति वाली पीठ को संदर्भित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में आवेदन दायर किया है।
बड़ी बेंच का संदर्भ इस आधार पर मांगा गया है कि जीएनसीटीडी बनाम भारत सरकार मामले में संविधान पीठ का 2018 का फैसला एनडीएमसी बनाम पंजाब राज्य (1996) के मामले में नौ-न्यायाधीशों की पीठ के फैसले के साथ असंगत है, जिसमें कहा गया था कि दिल्ली एक केंद्र शासित प्रदेश के समान स्तर पर है। 2018 के फैसले में, संविधान पीठ ने निर्वाचित सरकार की सर्वोच्चता के सिद्धांत पर जोर दिया और कहा कि एलजी को उन मामलों के संबंध में मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह के अनुसार कार्य करना चाहिए, जिन पर दिल्ली सरकार के पास कार्यकारी और विधायी शक्तियां हैं और राष्ट्रपति को एलजी का संदर्भ केवल असाधारण परिस्थितियों में ही दिया जाना चाहिए।
सोमवार को भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के समक्ष आवेदन का उल्लेख किया।
जीएनसीटीडी की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट डॉ एएम सिंघवी ने आवेदन का विरोध किया।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि सुनवाई के समय रेफरेंस का मुद्दा उठाया जा सकता है। सीजेआई ने आगे संविधान पीठ की जल्द सुनवाई करने से मना किया क्योंकि जस्टिस कृष्ण मुरारी बीमारी के कारण अनुपलब्ध हैं। तदनुसार, मामले को 10 जनवरी, 2023 को पोस्ट किया गया है।
6 मई को तत्कालीन सीजेआई एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने सेवाओं से संबंधित मुद्दे को संविधान पीठ को संदर्भित किया था, यह देखते हुए कि 2018 के फैसले ने संविधान के अनुच्छेद 239एए के दायरे की व्याख्या करते समय इस पहलू पर विचार नहीं किया था।
फरवरी 2019 में, सुप्रीम कोर्ट की दो-जजों की पीठ ने सेवाओं पर जीएनसीटीडी और केंद्र सरकार की शक्तियों के सवाल पर अलग-अलग फैसला सुनाया था और मामले को एक बड़ी पीठ के पास भेज दिया था।
केस टाइटल : राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार बनाम भारत सरकार सिविल अपील संख्या 2357/2017