दिल्ली के अस्पतालों में बाहरी लोगों के इलाज को अनुमति देने वाले HC के 2018 के फैसले पर दिल्ली सरकार की अपील पर SC में सुनवाई टली

LiveLaw News Network

10 Jun 2020 8:12 AM GMT

  • दिल्ली के अस्पतालों में बाहरी लोगों के इलाज को अनुमति देने वाले HC के 2018 के फैसले पर दिल्ली सरकार की अपील पर SC में सुनवाई टली

     दिल्ली सरकार के अस्पतालों में बाहरी मरीजों के इलाज न करने के मामले में दिल्ली सरकार की अपील पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई दो हफ्ते के लिए टल गई है। बुधवार को ये मामला मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे की पीठ के सामने सुनवाई के लिए आया लेकिन याचिकाकर्ता के समय मांगने के चलते मामले की सुनवाई टल गई।

    दिल्ली सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट के 2018 के फैसले को चुनौती दी है जिसमें दिल्ली सरकार के अस्पताल में सिर्फ दिल्ली वालों का उपचार करने के सर्कुलर को रद्द कर दिया गया था।

    दरअसल मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के साढ़े सात लाख लोगों से मिले सुझाव और डॉ. महेश वर्मा की कमेटी की सिफारिशों के बाद रविवार को कैबिनेट में फैसला लिया था कि दिल्ली सरकार के अस्पतालों व यहां के निजी अस्पतालों में केवल दिल्लीवासियों का इलाज होगा। वहीं केंद्र सरकार के अस्पतालों में देशभर के लोग इलाज करा सकते हैं।

    लेकिन बाद में दिल्ली के उपराज्यपाल ने कैबिनेट के इस फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए रद्द कर दिया।

    केजरीवाल कैबिनेट के फैसले को दिल्ली हाई कोर्ट में भी चुनौती दी गई है।याचिकाकर्ता ने कहा है कि दिल्ली सरकार का सात जून को किया गया फैसला मानवता के खिलाफ है। राज्य सरकार का यह फैसला भेदभाव पूर्ण है और इससे नागरिकों में फूट पैदा होगी।

    गौरतलब है कि 12 अक्तूबर 2018 को दिल्ली उच्च न्यायालय ने राजधानी के गुरु तेगबहादुर अस्पताल में इलाज के लिए दिल्लीवासियों को अन्य लोगों के मुकाबले तरजीह देने संबंधी दिल्ली सरकार के सर्कुलर को को रद्द कर दिया था।

    मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन और न्यायमूर्ति वी के राव की पीठ ने दिल्ली की आम आदमी सरकार की इस पायलट परियोजना को चुनौती देने वाली एक एनजीओ की याचिका पर फैसला सुनाया।

    अदालत ने कहा कि अन्य लोगों के मुकाबले जीटीबी में इलाज के लिए दिल्लीवासियों को तरजीह देने की आप सरकार की परियोजना संविधान द्वारा दिए गए समानता और जीवन के अधिकार का उल्लंघन करती है।दरअसल, दिल्ली सरकार ने सर्कुलर जारी कर अस्पताल में इलाज के लिए दिल्ली का वोटर आई कार्ड एक अक्तूबर से अनिवार्य कर दिया था। इस मामले पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन व न्यायमूर्ति वीके राव ने पूछा था कि दिल्ली सरकार सरकारी अस्पताल में बाहरी मरीजों के इलाज पर रोक कैसे लगा सकती है। हाईकोर्ट ने निर्देश दिया था कि वह इस आदेश को रद्द करे या वापस ले।ये जनहित याचिका एनजीओ सोशल जूरिस्ट की ओर से दाखिल की गई थी।

    याचिका पर जिरह करते हुए वकील अशोक अग्रवाल ने कहा था कि दिल्ली सरकार ने जीटीबी अस्पताल में बाहरी मरीजों के इलाज के लिए वोटर आई कार्ड अनिवार्य कर अप्रत्यक्ष रूप से रोक लगा दी जबकि बॉर्डर होने के चलते अस्पताल में 70 फीसदी से अधिक मरीज यूपी से आते हैं। इससे मरीजों को इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है।

    याचिका में कहा गया था कि दिल्ली सरकार का यह आदेश मनमाना, अवैध व भेदभाव पूर्ण है। यह आदेश संविधान के समानता व अन्य अधिकारों का उल्लंघन करता है। इसलिए इस आदेश को तुरंत रद्द कर वंचित लोगों को न्याय दिलाया जाए।

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