हेट स्पीच : दिल्ली हाईकोर्ट ने भारत में सोशल मीडिया के नामित अधिकारियों की नियुक्ति को लेकर नोटिस जारी किया

LiveLaw News Network

11 March 2020 11:47 AM GMT

  • हेट स्पीच :  दिल्ली हाईकोर्ट ने भारत में सोशल मीडिया के नामित अधिकारियों की नियुक्ति को लेकर नोटिस जारी किया

    दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को उस याचिका पर केंद्र सरकार और सोशल मीडिया कंपनियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है जिसमें सोशल मीडिया कंपनियों को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत 2009 में बनाए गए नियमों के अनुसार भारत में नामित अधिकारियों की नियुक्ति के निर्देंश मांगे गए हैं।

    के एन गोविंदाचार्य की इस याचिका पर मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल की अध्यक्षता वाली पीठ ने ये नोटिस जारी किया। याचिका में फेसबुक इंडिया, गूगल इंडिया और ट्विटर इंडिया भी पक्षकार बनाया गया है और उन्हें अपना जवाब दाखिल करने के लिए निर्देशित किया गया है। पीठ अब 14 अप्रैल को अगली सुनवाई करेगी।

    सुनवाई के दौरान याचिका में वकील विराग गुप्ता ने दलील कि एक तरफ सरकार सोशल मीडिया कंपनियों के साथ बातचीत करती है लेकिन दूसरी तरफ ये कंपनियां दावा करती हैं कि वो भारत में उपस्थिति नहीं हैं और वो अपनी विदेशी मूल कंपनी के माध्यम से व्यापार करने का दावा करती हैं।

    ऐसी स्थिति में नामित अधिकारियों के विवरण का खुलासा करना सरकार के लिए आवश्यक है। इस तरह के नामित अधिकारी दंगे भड़काने में इस्तेमाल की गई हेट स्पीच से निपटने के लिए महत्वपूर्ण हैं।

    याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि सरकार और सोशल मीडिया दोनों कंपनियां केवल कानून के अनुसार सामग्री को हटा सकती हैं। दोनों में से किसी के द्वारा खुद के कदम से की गई कार्रवाई अनुच्छेद 19 और 21 के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है, और इस प्रकार नामित अधिकारी एक बहुत ही महत्वपूर्ण तत्व है।

    याचिकाकर्ता ने यह भी बताया है कि विदेशी इंटरनेट कंपनियां भारतीय कानूनों का पालन नहीं करतीं। 2016 में, बिजनेस वर्ल्ड मैगजीन के मुताबिक गूगल इंडिया ने 4,29,000 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया था।

    बाद के संस्करणों में, गूगल इंडिया ने अपने राजस्व का खुलासा नहीं किया, लेकिन बिजनेस वर्ल्ड में एक शीर्ष रैंक वाली कंपनी बनी रही। हालांकि, 2020 में, गूगल इंडिया ने केवल 4000 करोड़ रुपये के राजस्व की सूचना दी।राजस्व में यह गिरावट ऐसी कंपनियों द्वारा फैलाए गए झूठ के बारे में खुद बयान कर रही है।

    इसके बाद अदालत ने नोटिस जारी किया और 4 सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। केंद्रीय सरकार के वकील अनुराग अहलूवालिया ने MHA और वित्त मंत्रालय की ओर से नोटिस स्वीकार कर लिया।

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