दिल्ली हाईकोर्ट ने AIIMS को दुर्लभ बीमारी से पीड़ित बच्ची का इलाज शुरू करने का निर्देश दिया

LiveLaw News Network

26 March 2020 2:10 PM GMT

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने AIIMS को  दुर्लभ बीमारी से पीड़ित बच्ची का इलाज शुरू करने का निर्देश दिया

    दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS)को 'गौचर' (Gaucher) नामक एक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित एक 18 महीने की बालिका का इलाज शुरू करने का निर्देश दिया। एम्स के निदेशक से अनुरोध किया गया है कि वे तुरंत इलाज शुरू करें।

    न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने इस तथ्य पर ध्यान दिया कि दुर्लभ बीमारियों वाले व्यक्तियों के उपचार के लिए एक सरकारी नीति अभी तक लागू नहीं है और केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह सुनवाई की अगली तारीख 17 अप्रैल से पहले इस तरह की नीति के बारे में एक हलफनामा दायर करे।

    बच्ची के पिता ने अपनी बेटी के इलाज के लिए धनराशि मांगने के लिए अदालत में याचिका दायर की थी, जिसके बारे में उन्होंने बताया कि इलाज में प्रति माह 3.5 लाख रुपए खर्च होंगे।

    न्यायालय को बताया गया कि परिवार ने विभिन्न सरकारी अधिकारियों के समक्ष बच्ची के इलाज के बार-बार आवेदन दिए लेकिन कोई परिणाम नहीं निकला इसलिए न्यायालय उसे उपचार देने के लिए निर्देश पारित करे।

    इस तथ्य पर ध्यान देते हुए कि रोगी की आयु पर उचित विचार किया जाए, क्योंकि इस संबंध में नीति को अंतिम रूप दिया जाना बाकी है, न्यायालय ने याचिकाकर्ता के अनुरोध को अनुमति दी।

    उपचार के खर्चों के संबंध में न्यायालय ने कहा कि केंद्र के रिकॉर्ड में आने के बाद आगे और आदेश पारित किए जाएंगे।

    आदेश का ऑपरेटिव भाग इस प्रकार है,

    "इस उपचार के लिए खर्च काफी अधिक है, जिसे याचिकाकर्ता का परिवार वहन नहीं कर सकता। बच्चे की उम्र को देखते हुए और यह देखते हुए कि सरकार द्वारा दुर्लभ बीमारियों के लिए नीति को अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया है, उत्तरदाता क्रमांक 3 (AIIMS)को निर्देशित करना उपयुक्त है कि वह याचिकाकर्ता से कुछ भी वसूल किए बिना बच्ची का इलाज शुरू करे। उक्त उपचार के खर्च के संबंध में आगे के निर्देश भारत संघ के मामले में उपस्थिति दर्ज करने के बाद पारित किए जाएंगे। "

    यह आदेश यह भी बताता है कि, 2018 में, केंद्र ने 'दुर्लभ रोगों के उपचार के लिए राष्ट्रीय नीति' बनाई थी। हालांकि, कुछ राज्य सरकारों द्वारा उठाई गई आपत्तियों के कारण इस नीति को समाप्त कर दिया गया। इसके बाद, दुर्लभ बीमारियों पर एक और नीति का ड्राफ्ट तैयार किया गया, और इसे 13 जनवरी, 2020 को जारी किया गया। यही नीति अभी तक लागू नहीं हुई है।

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