दिल्ली की एक अदालत ने NDTV के संस्थापकों प्रणय रॉय और राधिका रॉय से जुड़े लोन षड्यंत्र मामले में CBI की क्लोजर रिपोर्ट स्वीकार की

Amir Ahmad

24 Jan 2025 10:07 AM

  • दिल्ली की एक अदालत ने NDTV के संस्थापकों प्रणय रॉय और राधिका रॉय से जुड़े लोन षड्यंत्र मामले में CBI की क्लोजर रिपोर्ट स्वीकार की

    दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार (23 जनवरी) को टीवी समाचार चैनल NDTV के संस्थापकों प्रणय रॉय और राधिका रॉय के खिलाफ ICICI बैंक के अधिकारियों के साथ लोन अग्रिम को लेकर आपराधिक साजिश के आरोपों से जुड़े मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा दायर क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया।

    राउज़ एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश (पीसी एक्ट), शैलेंद्र मलिक ने CBI की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया कि रॉय ने बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 19 (2) का उल्लंघन नहीं किया, जो यह अनिवार्य करता है कि कोई बैंकिंग कंपनी किसी भी कंपनी में गिरवीदार, बंधक या पूर्ण स्वामी के रूप में उस कंपनी की चुकता शेयर पूंजी या चुकता शेयर पूंजी और रिजर्व की 30% राशि से अधिक शेयर नहीं रख सकती है।

    NDTV प्रमोटरों के खिलाफ शिकायत क्वांटम सिक्योरिटी प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक संजय दत्त द्वारा दायर की गई थी।

    शिकायत में लगाए गए आरोपों में कहा गया कि वित्तीय वर्ष 2008-09 के लिए NDTV लिमिटेड के प्रमोटर डॉ. प्रणय रॉय और राधिका रॉय ने RRPR होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड के साथ मिलकर काम किया और NDTV लिमिटेड के 4 रुपये अंकित मूल्य के 1,26,90,257 पूर्ण चुकता शेयरों को हासिल करने के लिए 438.98 रुपये प्रति पूर्ण चुकता इक्विटी शेयर का खुला प्रस्ताव रखा, जो उस कंपनी की वोटिंग शेयर पूंजी का 20% है।

    यह आरोप लगाया गया कि रॉय और RRPR होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड ने आईसीआईसीआई बैंक के अधिकारियों के साथ एक आपराधिक साजिश रची।

    उन्होंने आरोप लगाया कि साजिश के अनुसरण में ICICI बैंक ने बैंकिंग विनियमन अधिनियम की धारा 19(2) का उल्लंघन करते हुए 375 करोड़ रुपये का लोन दिया और रॉय की पूरी शेयरधारिता को संपार्श्विक के रूप में अपने कब्जे में ले लिया।

    न्यायालय ने कहा कि CBI ने निष्कर्ष निकाला है कि बैंक अधिकारियों के साथ कोई मिलीभगत या आपराधिक साजिश नहीं थी या बैंकिंग विनियमन अधिनियम की धारा 19(2) का उल्लंघन नहीं हुआ था।

    यह निष्कर्ष निकाला गया कि चूंकि लोन की राशि पर ब्याज का कोई नियमित भुगतान नहीं किया गया, इसलिए ICICI के निदेशकों की समिति ने 09.02.2009 को आयोजित अपनी बैठक में DSRA शेष राशि को नौ महीने के ब्याज के बजाय छह महीने के ब्याज के बराबर राशि में कम करने का फैसला किया जैसा कि पहले अनुमोदित किया गया।

    आदेश में कहा गया,

    "क्लोजर रिपोर्ट में यह भी आया कि ब्याज दर को 19% से घटाकर 9.65% करने के लिए ICICI बैंक के किसी भी लोक सेवक या अधिकारी द्वारा कोई मिलीभगत या आपराधिक साजिश या आधिकारिक पद का दुरुपयोग नहीं किया गया। यहां तक कि प्रमोद कुमार एंड एसोसिएट्स द्वारा किए गए लोन के रिकॉर्ड के फोरेंसिक ऑडिट ने भी राय दी कि यह सामान्य व्यावसायिक लेनदेन प्रतीत होता है। ICICI बैंक द्वारा लोन बंद करके बैंकिंग विनियमन अधिनियम की धारा 19(2) का कोई उल्लंघन नहीं किया गया।”

    न्यायालय ने यह भी उल्लेख किया कि शिकायतकर्ता संजय दत्त (शिकायतकर्ता) ने बयान दिया था कि वह सीबीआई की जांच से संतुष्ट है।

    क्लोजर रिपोर्ट से संतुष्ट होकर न्यायालय ने कहा,

    "पूरी क्लोजर रिपोर्ट, उसके साथ संलग्न दस्तावेजों तथा CBI के लिए एलडी पीपी द्वारा प्रस्तुत किए गए प्रस्तुतीकरणों और शिकायतकर्ता द्वारा दिए गए बयान कि वह वर्तमान मामले में CBI की जांच से संतुष्ट है, का अवलोकन करने के पश्चात, यह न्यायालय CBI द्वारा दाखिल क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार करता है, क्योंकि किसी भी आरोपी व्यक्ति द्वारा बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 19(2) का कोई आपराधिक कृत्य या उल्लंघन नहीं पाया गया है। इसलिए क्लोजर रिपोर्ट संतोषजनक प्रतीत होती है। इसलिए इसे स्वीकार किया जाता है।"

    केस टाइटल: सीबीआई बनाम क्लोजर रिपोर्ट (प्रणय रॉय और अन्य) (सीएलओआर 19/2024)

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