COVID-19 के कारण भुगतान में चूक: सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी को ब्याज सहित ओटीएस राशि के भुगतान में राहत दी

LiveLaw News Network

14 March 2022 9:15 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली

    सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक कंपनी को ब्याज सहित ओटीएस राशि का भुगतान करने में राहत प्रदान की। कोर्ट ने यह देखते हुए कंपनी को राहत दी कि भुगतान में चूक COVID-19 के कारण थी।

    जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ एक एसएलपी पर विचार कर रही थी। इसमें मद्रास हाईकोर्ट के 22 जुलाई, 2021 के आदेश का उल्लंघन किया गया था।

    याचिकाकर्ता ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से कर्ज लिया था। चूंकि, लोन चुकाने में चूक हुई थी। याचिकाकर्ता ने नवंबर, 2020 में बैंक से ओटीएस योजना के तहत एकमुश्त समझौता किया। ओटीएस योजना के तहत भुगतान की जाने वाली किश्तों में से याचिकाकर्ता ने लगभग 25% का राशि का भुगतान किया, लेकिन उसके बाद भुगतान में चूक हुई।

    इससे व्यथित, याचिकाकर्ता ने ओटीएस योजना के तहत अंतिम भुगतान का निपटान करने के लिए 29 जुलाई, 2021 से 180 दिनों की अवधि के लिए समय बढ़ाने की मांग करते हुए मद्रास हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

    हाईकोर्ट ने हालांकि 22 जुलाई, 2022 के अपने आदेश में याचिका को खारिज करते हुए कहा,

    "अदालत याचिकाकर्ताओं की सहायता के लिए नहीं आ सकती। हालांकि अदालत को महामारी के दूसरी लहर के अनुसार लगाए गए लॉकडाउन के मद्देनजर व्यावसायिक संस्थाओं की दुर्दशा को पहचानने में सहानुभूति हो सकती है। समान रूप से रखे गए घटकों के लिए ओटीएस शर्तों की पेशकश की जाती है। इसका कोई अच्छा आधार नहीं हो सकता है कि एक घटक के लिए शर्तों में ढील क्यों दी जानी चाहिए, क्योंकि ढील ने पाने वाले घटक अदालत में आने की क्षमता रखते हैं। दूसरे, इसमें सार्वजनिक हित का कोई तत्व शामिल नहीं है। इस तरह का मामला विशेष रूप से नहीं लेंगे, चूंकि क्रेडिट सुविधाओं से संबंधित अनुबंध और ओटीएस शर्तें दो पक्षों के बीच किए गए निजी समझौते हैं और एक राष्ट्रीयकृत बैंक के रूप में बैंक की स्थिति का अनुबंध की शर्तों से कोई लेना-देना नहीं है।"

    याचिकाकर्ता के वकील ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया कि डिफ़ॉल्ट COVID-19 महामारी के कारण था, क्योंकि व्यवसाय अच्छा नहीं चल रहा था। काउंसल ने आगे इस महीने की 14 तारीख तक बैंक के पास ओटीएस योजना के अनुसार पूरी देय राशि जमा करने का बयान दिया। याचिकाकर्ता ने इसके बाद पांच दिनों के भीतर संबंधित देय तिथियों से चूक ओटीएस राशि पर 12% ब्याज का भुगतान करने का वचन दिया।

    इस प्रकार सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को ओटीएस योजना के अनुसार राशि जमा करने की स्वतंत्रता देते हुए बैंक को आदेश की तारीख से 3 दिनों के भीतर याचिकाकर्ता द्वारा भुगतान की जाने वाली ब्याज की राशि 12% प्रतिशत की दर से जमा करने का निर्देश दिया। दिनांक 14 मार्च, 2022 तक राशि देय हो गई।

    पीठ ने मामले को 21 मार्च, 2022 तक के लिए स्थगित करते हुए याचिकाकर्ता को राशि के भुगतान का प्रमाण दाखिल करने का भी निर्देश दिया।

    पीठ ने अपने आदेश में कहा,

    "यह समझा जाता है कि यदि ऊपर बताए अनुसार दोनों राशियों में से किसी एक के भुगतान में चूक होती है, तो इन याचिकाओं को खारिज कर दिया जाएगा।"

    केस शीर्षक: मेसर्स गंगा फाउंडेशन्स प्राइवेट लिमिटेड बनाम स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और अन्य| अपील के लिए विशेष अनुमति (सी) संख्या 14979-14980/2021

    कोरम: जस्टिस विनीत सरन और अनिरुद्ध बोस

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