वैवाहिक विवादों से संबंधित अपराधों के मामलों में पक्षों के बीच आपराधिक कार्यवाही को रद्द किया जा सकता है अगर उन्होंने वैवाहिक विवादों को वास्तव में सुलझाया लिया है: सुप्रीम कोर्ट
Brij Nandan
3 Feb 2023 12:00 PM IST
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि वैवाहिक विवादों से संबंधित अपराधों के मामलों में पक्षों के बीच आपराधिक कार्यवाही को रद्द किया जा सकता है अगर उन्होंने वैवाहिक विवादों को वास्तव में सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाया लिया है।
इस मामले में, पत्नी द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर के अनुसार पति पर भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए, 427, 504 और 506 के तहत आरोप लगाया गया था। दंपति ने एक समझौता किया और आपसी सहमति से तलाक की डिक्री उन्हें मंजूर कर ली गई।
पक्षकार इस बात पर भी सहमत हुए कि एफआईआर और उससे उत्पन्न होने वाली कार्यवाही को रद्द कर दिया जाना चाहिए। हालांकि, कर्नाटक हाईकोर्ट ने पति के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने की प्रार्थना को खारिज कर दिया।
अपील में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ता सीमा सुरक्षा बल में एक अधिकारी है और उसे देश के विभिन्न हिस्सों में सेवा करनी है, और इस तरह उसे प्रताड़ित किया जाएगा।
कोर्ट ने जितेंद्र रघुवंशी और अन्य बनाम बबीता रघुवंशी और अन्य, (2013) 4 एससीसी 58 और बी.एस. जोशी और अन्य बनाम हरियाणा राज्य और अन्य, (2003) 4 SCC 675, मामलों पर भरोसा जताया।
कोर्ट ने कहा,
"वैवाहिक विवादों से संबंधित अपराधों के मामलों में अगर कोर्ट संतुष्ट है कि पक्षों ने वास्तव में विवादों को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा लिया है, तो न्याय के उद्देश्य को हासिल करने के उद्देश्य से भारत के संविधान के अनुच्छेद 142 या दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 482 के तहत शक्तियों का प्रयोग करके आपराधिक कार्यवाही को रद्द किया जा सकता है।"
इसलिए पीठ ने अपीलकर्ता के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द करते हुए अपील को स्वीकार कर लिया।
केस
रंगप्पा जवूर बनाम कर्नाटक राज्य | 2023 लाइवलॉ (SC) 74 | एसएलपी(सीआरएल) डायरी 33313/2019 | 30 जनवरी 2023 | जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एमएम सुंदरेश