सुप्रीम कोर्ट में मास्क, हैंड सैनिटाइजर की काला बाज़ारी रोकने के निर्देश देने के लिए PIL, बुधवार को होगी सुनवाई

LiveLaw News Network

31 March 2020 5:00 PM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट में मास्क, हैंड सैनिटाइजर की काला बाज़ारी रोकने के निर्देश देने के लिए PIL, बुधवार को होगी सुनवाई

    COVID19 संकट के बीच मास्क, हैंड सैनिटाइजर और पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट जैसी आवश्यक मेडिकल वस्तुओं की कथित काला बाज़ारी के मामले में सुप्रीम कोर्ट के तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हुए मंगलवार को एक जनहित याचिका (PIL ) दायर की गई है। जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस अब्दुल नज़ीर की सुप्रीम कोर्ट बेंच बुधवार को मामले की सुनवाई करेगी।

    याचिका में कहा गया है कि

    "वर्तमान संकट के माहौल में केमिस्ट और अन्य व्यक्तियों के लिए खुला हो गया है कि वे मास्क, हैंड सैनिटाइज़र और तरल साबुन के व्यापार में समाज का नुकसान कर सकें और जिससे देश के नागरिकों को और संकट हो।"

    याचिकाकर्ता की प्राथमिक प्रार्थनाओं में से एक यह है कि आवश्यक चिकित्सा वस्तुओं के उचित और न्यायसंगत वितरण को सुनिश्चित करने के लिए उचित दिशा-निर्देश जारी किए जाएं, जो बड़े पैमाने पर जनता के लिए उपलब्ध होंं।

    इस संबंध में याचिका में उपभोक्ता मामलों के विभाग की 21 मार्च, 2020 को जारी अधिसूचना को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए एक स्पेशल टास्क फोर्स (विशेष कार्य बल) के गठन की मांग की गई है।

    उपभोक्ता मामलों के विभाग द्वारा पूर्वोक्त अधिसूचना में मास्क की कीमतों को निर्धारित किया गया है, अर्थात 2 प्लाई मास्क की कीमत 8 रुपए और 3 प्लाई मास्क की कीमत 10 रुपये और सैनिटाइज़र बोतल की कीमत 100 रुपए। हालांकि, याचिकाकर्ता का तर्क है कि विभिन्न चिकित्सा पेशेवरों और केमिस्ट को इन आवश्यक वस्तुओं की बिक्री में अधिसूचना में दिए गए निर्देशों का उल्लंघन करते हुए पाया गया।

    तदनुसार, कुछ लोगों की ये गतिविधियां केमिस्ट और चिकित्सा पेशेवर की आश्चर्यजनक प्रैक्टिस का खुलासा करती हैं, याचिकाकर्ता ने 20 मार्च, 2020 को अपना अनुभव सुनाते हुए बताई हैं।

    याचिकाकर्ता ने कहा, प्लाई मास्क सामान्य 5 रुपए या 10 रुपए की कीमत के बजाय 20 रुपए से 30 रुपए में बेचा जा रहा था। सैनिटाइज़र रुपए 250 - 300 के खुद बनाए प्राइज़ स्टिकर के साथ बेचे जा रहे थे।

    याचिकाकर्ता ने कहा,

    "... .. यदि केमिस्ट और अन्य चिकित्सा आउटलेट कार्य के मौजूदा ठंग से करना जारी रखते हैं, तो यह हमारी आबादी के सबसे कमजोर वर्ग, दिहाड़ी मजदूर और अन्य आर्थिक रूप से अक्षम नागरिकों को प्रभावित करेगा, जो संगरोध और अन्य प्रतिबंधात्मक कदमों के कारण अपनी आजीविका कमाने में सक्षम नहीं होंगे। दूसरी बात यह है कि यदि कीमतें संबंधित अधिकारियों और यहां उत्तरदाताओं द्वारा प्रभावी रूप से लागू नहीं की गईं तो वे ऐसे मूल्य पर मास्क की खरीद नहीं कर पाएंगे।"

    याचिकाकर्ता ने केंद्र और संबंधित अधिकारियों द्वारा अधिसूचना के प्रभावी कार्यान्वयन का आग्रह किया ताकि भारत में मामलों की संख्या बढ़ने की से रोकी जा सके और उक्त बीमारी को देश में अपने अगले चरण में प्रवेश करने से रोका जाए।

    यह याचिका जस्टिस फोर राइट्स फाउंडेशन, सत्यम सिंह राजपूत (एडवोकेट एंड फाउंडर), एडवोकेट अमित शर्मा और प्रतीक शर्मा, दिल्ली विश्वविद्यालय के कानून के छात्र द्वारा दायर की गई है।

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