COVID-19: AKTU के छात्र आखिरी सेमेस्टर की परीक्षा ऑफलाइन आयोजित करने के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे

LiveLaw News Network

9 Feb 2021 6:22 AM GMT

  • COVID-19: AKTU के छात्र आखिरी सेमेस्टर की परीक्षा ऑफलाइन आयोजित करने के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे

    COVID-19 महामारी के बीच स्वास्थ्य जोखिम का हवाला देते हुए अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय (AKTU), यूपी के छात्रों के समूह ने यूनिवर्सिटी के ऑफ़लाइन मोड में सेमेस्टर परीक्षा आयोजित करने का फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

    याचिका एनआईटी, नोएडा, आपीज इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, नोएडा और ग्रेटर नोएडा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के छात्रों द्वारा दायर की गई है; जो ऑफ़लाइन परीक्षा के संचालन के लिए जारी अधिसूचना को रद्द करने की मांग कर रहे हैं।

    छात्रों ने कहा है कि 700 से अधिक कॉलेज AKTU से संबद्ध हैं और लगभग 4 लाख छात्रों को विभिन्न पाठ्यक्रमों में भाग लेना है। यह तर्क दिया गया कि COVID-19 के बीच परीक्षा केंद्र में हजारों छात्रों का होना एक उचित कदम नहीं है, और संक्रमण के लिए सावधानियां और भय हमेशा बना रहता है।

    यह भी प्रस्तुत किया जाता है कि यदि परीक्षाएं ऑफ़लाइन आयोजित की जाती हैं, तो कई छात्रों को विभिन्न राज्यों से यात्रा करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा, जिससे COVID-19 के प्रसार का खतरा बढ़ जाएगा। इससे उन छात्रों पर एक अनुचित खर्च भी बढ़ जाएगा, जिन्हें 10-20 दिनों के लिए रहने की सुविधा हासिल करनी होगी।

    यह दावा किया गया है,

    "अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय के कॉलेजों में 80% से अधिक छात्र हॉस्टल्र्स हैं और देश के विभिन्न शहरों और हिस्सों में रहते हैं, जहां उनका कॉलेज स्थित है।"

    आगे छात्रों ने तर्क दिया है कि पूरे वर्ष उन्होंने ऑनलाइन अध्ययन किया है और इसलिए अब वे केवल ऑनलाइन परीक्षाओं के लिए तैयार हैं।

    दलील में कहा गया है कि छात्रों के पास ऑफ लाइन परीक्षा की तैयारी के लिए न तो किताबें हैं और न ही कोई संसाधन हैं, क्योंकि वे मार्च 2020 से अपने संबंधित कॉलेजों में नहीं गए थे और लाइब्रेरी से कभी भी किताबें जारी नहीं की गईं ताकि वे अपने नोट्स ठीक से तैयार कर सकें।

    AKTU ने अपने संबद्ध कॉलेजों में सत्र 2020-2021 के लिए ऑफ़लाइन परीक्षा आयोजित करने का फैसला करते हुए 25 जनवरी 2021 को एक परीक्षा अधिसूचना जारी की है।

    छात्रों की मांग है कि इस अधिसूचना को संविधान के अनुच्छेद 14 और 21A के उल्लंघन के रूप में मनमाने ढंग से निर्धारित किया जाए।

    याचिका में उठाए गए कुछ अन्य सवाल इस प्रकार हैं:

    1. AKTU संबद्ध कॉलेजों ने सभी छात्रों को अपने माता-पिता/अभिभावकों से हस्ताक्षर करवाने के लिए सहमति पत्र दिए हैं। अभिभावक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार नहीं हैं, क्योंकि यह स्पष्ट रूप से छात्रों के माता-पिता/अभिभावकों पर पूरी जिम्मेदारी देता है और उन्हें अपने जोखिम और जिम्मेदारी पर ऑफलाइन परीक्षाओं में उपस्थित होने के लिए कहता है।

    2. कई छात्र जम्मू और कश्मीर जैसे दूर के इलाकों से हैं और कई दिल्ली-एनसीआर जैसे COVID-19 प्रभावित इलाकों से हैं।

    3. भारत के विभिन्न विश्वविद्यालय यानी पंजाब विश्वविद्यालय, एमिटी विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय और यहां तक ​​कि आईआईटी और एनआईटी ऑनलाइन परीक्षाएं ले रहे हैं और इसी पैटर्न का AKTU द्वारा भी अनुसरण किया जाना चाहिए।

    4. विश्वविद्यालय अपने छात्रों के स्वास्थ्य और देखभाल की जिम्मेदारी नहीं ले रहा है और इसके बजाय अधिसूचना में यह स्पष्ट किया है कि छात्र अपने स्वास्थ्य और देखभाल के लिए जिम्मेदार होंगे।

    याचिकाकर्ता-छात्रों की ओर अधिवक्ता कृष्ण कुमार और नंदनी गुप्ता द्वारा याचिका तैयार की गई और प्रतिनिधित्व एडवोकेट डॉ. विपिन गुप्ता द्वारा किया गया है।

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