[COVID-19] डॉक्टरों व स्वास्थ्य कर्मचारियों की क्वारंटीन अवधि को "ड्यूटी पर" माना जाएगा " छुट्टी पर" नहीं : केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया

LiveLaw News Network

10 Aug 2020 7:48 AM GMT

  • [COVID-19] डॉक्टरों व स्वास्थ्य कर्मचारियों की क्वारंटीन अवधि को ड्यूटी पर माना जाएगा  छुट्टी पर नहीं : केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया

    Quarantine Period Of Doctors & Health Workers Will Be Treated As "On Duty" & Not "On Leave": Centre Tells SC

    स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया है जिसमें कहा गया कि डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों की क्वारंटीन अवधि को "ड्यूटी पर" माने जाने की आवश्यकता है "छुट्टी पर" नहीं।

    "डब्ल्यूपी (सी) संख्या 759/2020, डॉ आरुषि जैन बनाम भारत संघ और अन्य में माननीय सर्वोच्च न्यायालय में 31.07.2020 को आयोजित एक सुनवाई के दौरान, यह बताया गया कि कुछ मामलों में डॉक्टर और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को जो क्वारटीन किया जाता है, उनकी अवधि को छुट्टी के रूप में माना जा रहा है।

    इस मंत्रालय द्वारा DoPT के परामर्श से इस मामले पर विचार किया गया है और यह निर्णय लिया है कि डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों की क्वारंटीन अवधि को " डयूटी पर " के रूप में माना जाना चाहिए। सभी संबंधित को तदनुसार यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया जा गया है कि COVID19 से संबंधित अपने कर्तव्यों के लिए डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की क्वारंटीन अवधि को "केवल ड्यूटी पर" माना जाएगा - शपथ पत्र में लिखा गया है

    यूनाइटेड रेजिडेंट्स एंड डॉक्टर्स एसोसिएशन द्वारा दायर एक IA में वरिष्ठ अधिवक्ता केवी विश्वनाथन के मुद्दे को उठाने के बाद ये हुआ जब अदालत में कहा गया कि क्वारंटीन में रहने वाले डॉक्टरों को उनके बकाये का भुगतान नहीं किया जा रहा है।

    वहीं त्रिपुरा राज्य की ओर से पीठ को बताया गया कि उसने सभी स्वास्थयकर्मियों को वेतन का भुगतान कर दिया गया है। जस्टिस दीपक गुप्ता ने अच्छा कहते हुए मामले की सुनवाई अगले हफ्ते तक टाल दी।

    31 जुलाई को केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया था कि चार राज्यों - पंजाब, त्रिपुरा, कर्नाटक और महाराष्ट्र ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत केंद्र की अधिसूचना के बावजूद स्वास्थ्य कर्मियों को वेतन का समय पर भुगतान नहीं किया है, जिसमें भुगतान न करने पर सख्त दंडात्मक कार्रवाई करने का नियम बनाया गया है।

    जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने केंद्र से आवश्यक कदम उठाने के लिए कहा था ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोविड 19 से जूझ रहे स्वास्थ्य कर्मियों को वेतन समय पर दिया जाए।

    पीठ उदयपुर की वकील आरुषि जैन द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें चिकित्सा कर्मचारियों के लिए उपयुक्त आवास और क्वारंटीन सुविधाओं की मांग की गई है जो COVID ​​-19 रोगियों के इलाज में शामिल हैं।

    वरिष्ठ अधिवक्ता केवी विश्वनाथन ने शीर्ष अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि जिन डॉक्टरों को अनिवार्य क्वारंटीन में रखा गया है, सरकार द्वारा उनके बकाये का भुगतान नहीं किया जा रहा है।

    सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इसका खंडन किया और उन्होंने कहा था कि "यह नहीं हो सकता।"

    17 जून को, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को सभी राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत उचित निर्देश पारित करने का निर्देश दिया था ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों को वेतन के भुगतान के लिए निर्देशों का अनुपालन किया जाए। इस संबंध में राज्यों द्वारा की गई प्रगति का जायजा लेने के लिए इसे शुक्रवार को सूचीबद्ध किया गया था।

    वरिष्ठ अधिवक्ता केवी विश्वनाथन ने कोर्ट से आग्रह किया था कि डॉक्टरों और स्वास्थ्य सेवा कर्मियों को वेतन के भुगतान के मामले में राज्य सरकारों की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए निर्देश पारित किए जाएं।

    12 जून को, आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के संदर्भ में परिसर के अधिग्रहण के संबंध में वरिष्ठ अधिवक्ता केवी विश्वनाथन की दलीलों के आधार पर, उचित आवास की स्थापना के लिए, बेंच ने याचिकाकर्ताओं को अपने सुझाव / चिंताओं को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को सौंपने का निर्देश दिया।

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