[COVID-19] : "एंबुलेंस सेवा की अत्यधिक कीमतों पर अंकुश लगाना आवश्यक" : सुप्रीम कोर्ट ने एम्बुलेंस और संसाधनों में बढ़ोतरी की मांग करने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया
LiveLaw News Network
17 Jun 2020 4:49 PM IST
![[COVID-19] : एंबुलेंस सेवा की अत्यधिक कीमतों पर अंकुश लगाना आवश्यक : सुप्रीम कोर्ट ने एम्बुलेंस और संसाधनों में बढ़ोतरी की मांग करने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया [COVID-19] : एंबुलेंस सेवा की अत्यधिक कीमतों पर अंकुश लगाना आवश्यक : सुप्रीम कोर्ट ने एम्बुलेंस और संसाधनों में बढ़ोतरी की मांग करने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया](https://hindi.livelaw.in/h-upload/2020/05/07/750x450_374419-supremecourt.jpg)
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उस जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें देश में COVID 19 पॉज़िटिव मरीज़ों बढ़ती संख्या को देखते हुए एम्बुलेंस सेवाओं को बढ़ाने के लिए निर्देश देने की मांग की है।
अधिवक्ता ध्रुव टम्टा "अर्थ" नामक एक एनजीओ के लिए पेश हुए जिसने यह तत्काल याचिका दायर की।
जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एमआर शाह की बेंच के समक्ष सुनवाई के लिए जब मामला आया, तो जस्टिस भूषण ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि एम्बुलेंस सेवाओं की कीमतों पर अंकुश लगाना आवश्यक है, इसलिए यह मामला दो सप्ताह बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाता है।
याचिका में शीर्ष अदालत से हस्तक्षेप की मांग गई है कि वह केंद्र और महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु और दिल्ली को आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 63 और 65 के तहत कोरोना महामारी से निपटने के लिए ज़्यादा संख्या में एम्बुलेंस तैयार करने का निर्देश दे।
याचिकाकर्ता का कहना है कि पूरे देश में एम्बुलेंस की भारी कमी है और पूरे देश में एम्बुलेंस सेवाएं कुप्रबंध का शिकार हैं।
याचिका में सार्वजनिक वाहनों को एम्बुलेंस में बदलकर इसके प्रबंधन की एक केंद्रीकृत व्यवस्था बनाने और पूरे देश के आम लोगों को इसे उपलब्ध कराने की मांग की गई है।
न्यूज़ रिपोर्ट्स के आधार पर याचिका में कहा गया है कि इसकी वजह से पूरे देश में कई लोगों की मौत हुई है और इस वजह से इस पर ध्यान देने और इस स्थिति को ठीक करने की ज़रूरत है।
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि COVID 19 मरीज़ों और ग़ैर COVID 19 मरीज़ों को लाने-ले जाने के लिए एम्बुलेंस की संख्या काफ़ी कम पड़ रही है, जिसकी वजह से लॉकडाउन के दौरान चिकित्सा सुविधा प्राप्त करने में लोगों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
याचिका में कहा गया है कि स्वास्थ्य सेवा निदेशालय ने COVID 19 से संक्रमित मरीज़ों को लाने-ले जाने के लिए एसओपी तैयार किया है और एम्बुलेंसों की बढ़ती मांग को देखते हुए इनको पैनल में रखने की बात कही थी, लेकिन राज्य सरकारें एम्बुलेंसों की कमी से निपटने में विफल रही हैं।
यह भी कहा गया है कि एम्बुलेंस की कमी के अलावा जो भी उपलब्ध हैं, उनके लिए भारी राशि की मांग की जाती है और इसके लिए बहाना यह बनाया जाता है कि उन्हें एम्बुलेंसकर्मियों के लिए पीपीई किट्स पर खर्च करना पड़ता है ताकि उन्हें संक्रमण नहीं हो।
याचिका के अनुसार, इन दिक़्क़तों को देखते हुए ज़रूरी है कि 108 नंबर के एम्बुलेंसों की संख्या सभी राज्यों में बढ़ाई जाए और इनमें उन निजी वाहनों को भी शामिल किया जाना चाहिए जो ग़ैर-COVID 19 मरीज़ों के लिए प्रयोग में लाए जाते हैं और जिन्हें वेंटीलेटर लगे एम्बुलेंस की ज़रूरत नहीं होती है।
याचिका में कुछ राज्यों द्वारा एम्बुलेंस की कमी से निपटने के लिए अपनाए गए नए तरीक़ों का भी ज़िक्र किया गया है और इसे अन्य राज्य भी अपना सकें इस बारे में राय मांगी गई है।
याचिका में कहा गया है कि
"....हरियाणा सरकार ने आपातकालीन सेवा के लिए ओला के साथ गठजोड़ किया है। ऐप में इस नई श्रेणी को रखने की वजह ज़रूरतमंद लोगों को आसानी से विश्वसनीय और सुरक्षित परिवहन सुविधाएं दिलाना है ताकि वे अस्पताल तक जा सकें।"
याचिका में कहा गया है कि तमिलनाडु ने एक ज़िला समन्वयक की नियुक्ति की है जो सरकारी अस्पतालों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से समन्वय का काम करता है ताकि वह मरीज़ों को शीघ्र एम्बुलेंसों की सेवा लेने में मदद कर सके।
याचिका में मांग की गई है कि इस संदर्भ में केंद्र को आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 63 और 65 के तहत अपने अधिकारों का प्रयोग करना चाहिए। इसके तहत उसे केंद्र और राज्य के प्राधिकरणों और अधिकारियों से आपदा प्रबंधन के कार्य के लिए ख़ुद को उपलब्ध कराने के लिए कहने का अधिकार है।
याचिका में प्रति किलोमीटर एम्बुलेंस का किराया निर्धारित किये जाने और एम्बुलेंस के स्टाफ़ को पीपीई किट्स के प्रयोग के बारे में बताए जाने कि मांग भी की गई है।