COVID-19: जरूरतमंद लोगों को अनाज/खाने की आपूर्ति के लिए 3 अप्रैल तक बनाएं योजना : कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा

LiveLaw News Network

31 March 2020 4:16 PM IST

  • COVID-19: जरूरतमंद लोगों को अनाज/खाने की आपूर्ति के लिए 3 अप्रैल तक बनाएं योजना : कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा

    COVID-19] Come Out With Comprehensive Plan by April 3, For Supply Of Food Grains/Food To The Needy People : Karnataka HC To State Govt

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने सोमवार को राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह 3 अप्रैल तक एक व्यापक योजना बनाए ताकि कोरोना वायरस के प्रसार से बचने के लिए 24 मार्च को घोषित 21 दिनों के राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की अवधि के दौरान जरूरतमंद लोगों, गरीब लोगों, दैनिक मजदूरी करने वाले श्रमिकों, सड़कों पर रहने वाले लोगों, रेलवे प्लेटफार्मों व बस स्टैंड आदि पर रहने वाले लोगों को अनाज/ भोजन की आपूर्ति की जा सकें।

    मुख्य न्यायाधीश अभय ओका और न्यायमूर्ति बी. वी नागरथना की खंडपीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संध्या यू प्रभु व अन्य की तरफ से दायर याचिकाओं पर सुनवाई की। इन्होंने दैनिक दिहाड़ी मजदूर, प्रवासियों और बेघरों के लिए खाद्य सुरक्षा की कमी का मामला उठाया था।

    अदालत ने कहा कि

    ''हम एक राष्ट्रीय आपदा का सामना कर रहे हैं और आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के प्रावधानों को लागू किया गया है।

    राज्य सरकार लाॅकडाउन से प्रभावित व्यक्तियों के संबंध में 'स्वराज अभियान बनाम भारत संघ व अन्य' के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले के अनुच्छेद 128.4 में निहित निर्देशों को लागू करने के संबंध में निर्णय लें।

    यदि राज्य सरकार सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश का पालन करती है, तो उन नागरिकों के भोजन की आवश्यकता का ध्यान रखना होगा, जिनके पास कर्नाटक राज्य या किसी अन्य राज्य की तरफ से जारी कोई राशन कार्ड नहीं हैं।''

    राज्य सरकार इंदिरा कैंटीन के माध्यम से शहरी इलाकों में जरूरतमंदों को भोजन की आपूर्ति करने की योजना बना रही है। इसलिए पीठ ने सरकार को निर्देश दिया है कि वह इन कैंटीन में लोगों की सामूहिक भीड़ के मुद्दे पर भी गौर करें क्योंकि इससे समुदाय में बीमारी फैल सकती है।

    पीठ ने सभी पुराकर्मीक (स्वीपर) को सुरक्षा उपकरण प्रदान करने के लिए उठाए गए मुद्दे को 'महत्वपूर्ण' बताया। अदालत ने बु्रहट बेंगलुरु महानगर पालिके (बीबीएमपी) और राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि हर एक पुराकर्मीक को सुरक्षा उपकरण प्रदान किए जाएं।

    कोर्ट के समक्ष आशंका जताई गई कि यह सभी लोग ऐसे घरों से कूड़ा/कचरा एकत्रित करते समय संक्रमित हो सकते हैं,जिन घरों के लोगों को होम क्वारनटाइन में रखा गया है। जिसके बाद अदालत ने इनके लिए विशेष उपाय करने का सुझाव दिया।

    पीठ ने राज्य सरकार को कहा है कि वह सभी पुराकर्मीक के लिए उचित परिवहन सुविधाएं भी उपलब्ध कराएं। विशेष रूप से इस बात को ध्यान में रखते हुए कि वर्तमान परिस्थितियों में पुराकर्मीक एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

    अदालत ने यह भी सुझाव दिया है कि राज्य अपनी वेबसाइट पर एक पोर्टल बनाने पर विचार करें। साथ ही सभी एनजीओ से अनुरोध करें कि वो इस पोर्टल में अपने काम की प्रकृति और उनके काम के भौगोलिक क्षेत्र के बारे में जानकारी अपलोड करें।

    यदि उक्त जानकारी पोर्टल में उपलब्ध रहेगी तो राज्य सरकार को गैर-सरकारी संगठनों की मदद लेने में आसानी होगी। वास्तव में, अलग-अलग इलाकों में विभिन्न श्रेणियों के कामों को इन गैर-सरकारी संगठनों को आवंटित किया जा सकेगा।

    पीठ ने कहा,

    ''हमें उम्मीद और भरोसा है कि सरकार इस सुझाव पर विचार करेगी ताकि गैर-सरकारी संगठनों की सेवाओं का प्रभावी ढंग से उपयोग किया जा सके।''

    पुलिस द्वारा लॉक डाउन का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ बल का प्रयोग करने का भी मामला उठाया गया। इस संबंध में पीठ को बेंगलुरु के पुलिस आयुक्त द्वारा जारी उस परिपत्र के बारे में बताया गया जिसमें पुलिसकर्मियों को लॉकडाउन लागू कराते समय लाठियों का उपयोग न करने के लिए कहा गया था।

    पीठ ने कहा है कि

    "राज्य के पुलिस महानिदेशक और महानिरीक्षक, पूरे राज्य के पुलिस कर्मियों को गाइडलाइन /निर्देश जारी करें। अगर इस तरह के दिशा-निर्देश जारी किए जाते हैं, जो पूरे राज्य में लागू हों तो हमें यकीन है कि पुलिस की ज्यादती और पुलिस द्वारा लाठी चार्ज करने को कोई अवसर नहीं रहेगा।''

    जेलों की भीड़ कम करने के लिए कैदियों/विचाराधीन कैदियों को जमानत व पैरोल पर रिहा करने के संबंध में अदालत ने कहा कि ''राज्य के लिए यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि कैदी अपने निवास स्थान पर पहुंचें।

    संबंधित कैदियों की उचित सहमति प्राप्त करने के बाद ही उनको पैरोल या जमानत पर रिहा करने की कवायद शुरू करनी होगी। राज्य को यह सुनिश्चित करना होगा कि रिहा होने वाले सुरक्षित रूप से अपने निवास स्थान पर पहुंच जाएं और उनको सड़कों पर रहने की आवश्यकता न पड़े या परेशानी न झेलनी पडे़।

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