COVID-19: सुप्रीम कोर्ट में बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने कानूनी पेशेवरों को पर्याप्त मेडिकल सुविधाएं प्रदान करने के लिए नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की मांग वाली याचिका दायर की

LiveLaw News Network

8 May 2021 3:00 AM GMT

  • COVID-19: सुप्रीम कोर्ट में बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने कानूनी पेशेवरों को पर्याप्त मेडिकल सुविधाएं प्रदान करने के लिए नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की मांग वाली याचिका दायर की

    सुप्रीम कोर्ट में बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने पत्र याचिका दायर की, जिसमें COVID -19 से प्रभावित होने वाले अधिवक्ताओं, न्यायाधीशों, उनके कर्मचारियों और परिवार के कष्ट को कम करने के लिए उचित निर्देश देने की मांग गई है।

    बीसीआई ने पिछले कुछ हफ्तों में COVID-19 के कारण कई प्रतिष्ठित अधिवक्ताओं और न्यायाधीशों की मृत्यु के मद्देनजर शीर्ष अदालत से अधिवक्ताओं, न्यायाधीश, उनके कर्मचारी और परिवार को पर्याप्त बेड और अन्य कोविड उपचार सुविधा प्रदान करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश देने का आग्रह किया है।

    बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने कहा कि उसे देश के सभी हिस्सों से शिकायतें मिल रही हैं कि जिला प्रशासन और सरकारी अधिकारी द्वारा संकट की स्थिति में अधिवक्ताओं द्वारा मदद मांगने पर भी मदद नहीं मिल रही है।

    बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने कहा कि चिकित्सकीय और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के बारे में कई जनहित याचिकाएं दायर की गई हैं, हालांकि उनमें से अधिकांश बड़े शहरों से संबंधित हैं।

    बीसीआई ने कहा कि,

    "हम दूरस्थ स्थानों के अनिश्चित परिस्थितियों पर विचार नहीं कर रहे हैं। जिला और तालुका स्थानों में न तो पर्याप्त एम्बुलेंस उपलब्ध हैं और न ही अस्पतालों में पर्याप्त ऑक्सीजन बेड हैं। वेंटिलेटर एक सपने की तरह हैं।"

    बीसीआई ने कि पिछले 14-15 महीनों की महामारी के दौरान किसी भी सरकारी मशीनरी ने अधिवक्ताओं के बारे में नहीं सोचा है, जो 'कोर्ट के अधिकारी' हैं। किसी भी वित्तीय सहायता की बात करें तो केंद्र या राज्य सरकारें अधिवक्ताओं को उचित और पर्याप्त चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने में सक्षम नहीं हैं।"

    बीसीआई ने सुझाव दिया कि नोडल अधिकारियों के रूप में उच्चतर न्यायिक अधिकारियों को सभी स्तरों पर नियुक्त किया जाना चाहिए। ये अधिकारी अपने अधिकार क्षेत्र के भीतर बार एसोसिएशनों के संपर्क में रहें और जरूरत पड़ने पर वकीलों की व्यक्तिगत शिकायतों निवारण करें।

    बीसीआई ने आगे कहा कि नोडल अधिकारियों को अधिवक्ताओं या उनके परिवारों की शिकायतों के निवारण के लिए स्वास्थ्य विभाग, चिकित्सा अधिकारियों, अस्पतालों के प्रमुखों, अस्पतालों के प्रमुखों, प्रशासनिक और पुलिस प्रमुखों को अधिकृत करने के लिए अधिकृत और सशक्त बनाया जा सकता है।

    नोडल अधिकारियों के कॉल / आदेश अधिकारियों पर बाध्यकारी हों और बिना किसी देरी के उनका अनुपालन किया जाना चाहिए। नोडल अधिकारियों के आदेशों / कॉलों की किसी भी अज्ञानता, लापरवाही या अवज्ञा को घोर अवमानना माना जा सकता है और संबंधित प्राधिकारियों द्वारा सही से अपनी ड्यूटी नहीं करने का मामला होगा।

    बीसीआई ने इसके अलावा यह आग्रह किया कि राज्य सरकारों और जिला प्रशासन को ऑक्सीजन सिलेंडर प्रदान करने के लिए निर्देशित किया जा सकता है और संबंधित राज्य के नोडल अधिकारी बार काउंसिल / बार एसोसिएशन द्वारा की गई सिफारिशों पर किसी अधिवक्ता या उसके परिवार या कर्मचारियों और न्यायिक अधिकारियों, उनके परिवारों और अदालत के कर्मचारियों के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित करें।

    बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने कहा कि वह समाज के अन्य वर्गों की तुलना में चिकित्सा के मामले में कोई विशेष उपचार नहीं चाहती है, लेकिन संबंधित आधिकारिक मशीनरी से उचित प्रतिक्रिया है ताकि प्रभावित वकील और उनके परिवार के सदस्य के दुख और कष्टों में कुछ कमी आए।

    पिछले कुछ दिनों में एनजीटी के रजिस्ट्रार जनरल आशु गर्ग, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति वीरेंद्र कुमार श्रीवास्तव और मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायधीश वंदना कासरेकर के अलावा कई न्यायिक अधिकारियों और अधिवक्ताओं की COVID -19 से मृत्यु हो गई।

    इलाहाबाद उच्च न्यायालय को मंगलवार को सूचित किया गया कि न्यायमूर्ति श्रीवास्तव पर अस्पताल के अधिकारियों ने उचित तरीके से इलाज करने पर ध्यान नहीं दिया, जिससे उनकी हालत गंभीर रूप से बिगड़ गई और फिर उन्हें दूसरे अस्पताल में स्थानांतरित किया गया और वहां उनकी मृत्यु हो गई।

    याचिका की कॉपी यहां पढ़ें:



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