महाराष्ट्र लोकल बॉडी चुनाव में और देरी नहीं हो सकती: सुप्रीम कोर्ट ने डीलिमिटेशन प्रोसेस को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की

Amir Ahmad

1 Dec 2025 2:48 PM IST

  • महाराष्ट्र लोकल बॉडी चुनाव में और देरी नहीं हो सकती: सुप्रीम कोर्ट ने डीलिमिटेशन प्रोसेस को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को महाराष्ट्र में लोकल बॉडी के लिए डीलिमिटेशन प्रोसेस की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की। कोर्ट ने कहा कि इससे राज्य में चुनावों में और रुकावट नहीं आनी चाहिए, जो 2022 से रुके हुए हैं।

    चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) सूर्यकांतर जस्टिस जॉयमाल्य बागची की बेंच ने निखिल के कोलेकर की याचिका खारिज की, जिन्होंने फाइनल डीलिमिटेशन प्रस्तावों को मंजूरी देने के लिए राज्य चुनाव आयोग द्वारा डिविजनल कमिश्नरों को अधिकार सौंपने को चुनौती दी थी।

    याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट सुधांशु चौधरी ने तर्क दिया कि निर्वाचन क्षेत्रों के बंटवारे को मंजूरी देने का अधिकार विशेष रूप से राज्य चुनाव आयोग के पास है और सरकारी अधिकारियों को ऐसा अधिकार देना आयोग की संवैधानिक जिम्मेदारी से भागने जैसा है।

    हालांकि, बेंच ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले में दखल देने से इनकार किया, जिसने याचिकाकर्ता की चुनौती पर विचार करने से मना किया था। हालांकि बेंच ने कानून के सवाल को खुला छोड़ दिया।

    CJI सूर्यकांत ने कहा,

    "हम ऐसी कोई भी याचिका स्वीकार नहीं करेंगे, जिससे देरी हो यह चुनावों में देरी करने की एक चाल लगती है। चुनाव कराने में अब और कोई रुकावट नहीं आनी चाहिए।"

    हाईकोर्ट ने 30 सितंबर को दिए अपने फैसले में कहा था कि उसे डीलिमिटेशन संवैधानिक और कानूनी प्रावधानों का इतना घोर उल्लंघन नहीं लगा कि आर्टिकल 226 के तहत इसमें दखल देने की ज़रूरत पड़े। हाईकोर्ट ने दखल देने से मना करने के लिए संविधान के आर्टिकल 243O और 243ZG के तहत रोक, साथ ही सुप्रीम कोर्ट के 31 जनवरी तक चुनाव कराने के आदेश का भी हवाला दिया।

    मई, 2025 में कोर्ट ने बंथिया कमीशन की रिपोर्ट से पहले कानून के अनुसार OBC आरक्षण देते हुए चार महीने के भीतर लोकल बॉडी चुनाव कराने का निर्देश दिया था। पिछले हफ्ते कोर्ट ने SEC से 50% से ज़्यादा आरक्षण के बिना लोकल बॉडी के लंबित चुनावों को नोटिफाई करने के लिए कहा था।

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