भीमा कोरेगांव हिंसा : CJI ने गौतम नवलखा की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग किया
LiveLaw News Network
30 Sept 2019 12:50 PM IST
भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने सोमवार को भीमा कोरेगांव हिंसा मामले के आरोपी एक्टिविस्ट गौतम नवलखा की उस याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया, जिसमें बॉम्बे उच्च न्यायालय के 13 सितंबर के फैसले को चुनौती दी गई थी।
दरअसल उच्च न्यायालय ने गौतम नवलखा के खिलाफ 1 जनवरी 2018 को पुणे पुलिस द्वारा दर्ज FIR को रद्द करने से इनकार कर दिया था।
सुनवाई से खुद को अलग करने का नहीं दिया कोई कारण
CJI रंजन गोगोई, जस्टिस एस. ए. बोबडे और जस्टिस एस. अब्दुल नजीर की पीठ ने सोमवार को मामले की सुनवाई की और इसी दौरान CJI ने कहा कि मामले को दूसरी बेंच में भेजा जाएगा जिसमें वो नहीं होंगे। उनके द्वारा सुनवाई से खुद को अलग करने का कोई कारण नहीं बताया गया है।
बॉम्बे HC ने पाया था कि गौतम नवलखा के खिलाफ बनता है प्रथम दृष्टया मामला
गौरतलब है कि बॉम्बे हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति रंजीत मोरे और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की पीठ ने अतिरिक्त लोक अभियोजक अरुणा पई द्वारा सीलबंद लिफाफे में प्रस्तुत दस्तावेज का हवाला देते हुए यह कहा था कि 65 वर्षीय एक्टिविस्ट के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है। पुलिस ने यह दावा किया कि उनके पास माओवादी साजिश में नवलखा की 'गहरी संलिप्तता' है। अदालत ने यह भी कहा था कि अपराध भीमा-कोरेगांव हिंसा तक सीमित नहीं है इसमें कई पहलू हैं । इसलिए हमें जांच की जरूरत लगती है।
क्या है नवलखा के खिलाफ मामला
दरअसल एल्गार परिषद द्वारा 31 दिसंबर 2017 को पुणे जिले के भीमा-कोरेगांव में कार्यक्रम के एक दिन बाद कथित रूप से हिंसा भड़क गई थी। पुलिस का यह आरोप है कि मामले में नवलखा और अन्य आरोपियों का माओवादियों से लिंक था और वे सरकार को उखाड़ फेंकने की दिशा में काम कर रहे थे।