नागरिकता - विदेशी ट्रिब्यूनल में नागरिकता साबित करने के लिए उचित संदेह से परे सबूत की आवश्यकता नहीं : गुवाहाटी हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

2 March 2020 5:15 AM GMT

  • नागरिकता - विदेशी ट्रिब्यूनल में नागरिकता साबित करने के लिए उचित संदेह से परे सबूत की आवश्यकता नहीं : गुवाहाटी हाईकोर्ट

    Gauhati High Court

    गुवाहाटी हाईकोर्ट ने कहा है कि विदेशी ट्रिब्यूनल में नागरिकता साबित करने के लिए सभी उचित संदेह से परे सबूत की आवश्यकता नहीं है।

    अदालत ने 65 वर्षीय इदरीस अली द्वारा दायर याचिका को अनुमति देते हुए विदेशी ट्रिब्यूनल जोरहट के एक आदेश को निरस्त कर दिया, जिस आदेश में याचिकाकर्ता को विदेशी घोषित कर दिया गया था।

    ट्रिब्यूनल में याचिकाकर्ता ने 11 दस्तावेजों पेश किए थे, जिसमें 1985 और 1989 की मतदाता सूची शामिल थी जिसमें उनका नाम शामिल था। ट्रिब्यूनल ने यह देखते हुए कि याचिकाकर्ता का नाम 1974 और 1975 की मतदाता सूची में शामिल नहीं था, इन दस्तावेजों को खारिज कर दिया था। ट्रिब्यूनल ने कहा कि याचिकाकर्ता 1971 से पहले की लिंक स्थापित नहीं कर पाया।

    हाईकोर्ट में जस्टिस मनोजीत भुइयां और जस्टिस पार्थिवज्योति सैकिया की खंडपीठ ने ट्रिब्यूनल के दृष्टिकोण की आलोचना की। हाईकोर्ट ने माना कि विदेशी ट्रिब्यूनल में साक्ष्य के सख्त नियम लागू नहीं हैं।

    पीठ ने कहा, "ट्रिब्यूनल को ऐसे मामलों के त्वरित निपटाने के लिए बनाया गया है। किसी नियमित अदालत की तरह ट्रिब्यूनल में साक्ष्य के कानून कड़ाई से लागू नहीं होते।"

    कोर्ट ने भारत संघ बनाम आर गांधी के निर्णय में सुप्रीम कोर्ट द्वारा न्यायाधिकरणों और न्यायालयों के बीच समझाए गए अंतर का उल्लेख किया।

    अदालत ने कहा, "साक्ष्य के सख्त नियम ट्रिब्यूनल में लागू नहीं होते हैं। संदेह से परे कुछ भी साबित करने की आवश्यक नहीं है।"

    न्यायालय ने यह माना कि मतदाता सूचियों से संबंधित न्यायाधिकरण का अवलोकन त्रृटिपूर्ण था और इसे कायम नहीं रखा जा सकता।

    ट्रिब्यूनल को मामले की योग्यता पर एक नया निर्णय लेने के निर्देश देने के साथ हाईकोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि इदरीस अली, जिसे जोरहाट डिटेंशन शिविर में रखा गया था, उसे अगली सुनवाई की तारीख पर ट्रिब्यूनल के सामने पेश किया जाए। अदालत ने कहा कि वह पेश होने पर ट्रिब्यूनल के समक्ष जमानत के लिए आवेदन करने के लिए स्वतंत्र होगा।

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