INX मीडिया केस में CBI की विशेष अदालत ने पी चिदंबरम को 26 अगस्त तक सीबीआई की हिरासत में भेजा

LiveLaw News Network

22 Aug 2019 1:28 PM GMT

  • INX मीडिया केस में CBI की विशेष अदालत ने पी चिदंबरम को 26 अगस्त तक सीबीआई की हिरासत में भेजा

    INX मीडिया मामले में दिल्ली की राउज एवेन्यू की विशेष सीबीआई ने अदालत पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को चार दिन की सीबीआई हिरासत में भेज दिया है। स्पेशल जज अजय कुमार कुहार ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद ये फैसला सुनाया और कहा कि केस के तथ्यों को देखते हुए 26 अगस्त तक सीबीआई को पुलिस हिरासत दी जाती है। हालांकि रोजाना वकीलों व परिवार को उनसे मिलने की अनुमति भी दी गई है।

    इस दौरान सीबीआई के विरोध के बावजूद चिदंबरम ने भी अपनी बात रखी और अदालत में कहा कि उन्होंने कोई पैसा नहीं लिया और ना ही उसका विदेश में खाता है। उन्होंने सीबीआई के सारे सवालों के जवाब दिए हैं और बताया है कि उनके बेटे के विदेश में खाते है। उन्होंने दावा किया कि सीबीआई ने उनसे कभी पैसों के बारे में पूछताछ नहीं की।

    गुरुवार को INX मीडिया मामले में सीबीआई ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को दिल्ली की राउज एवेन्यू की विशेष अदालत में पेश किया। इससे पूर्व बुधवार की रात सीबीआई ने हाई वोल्टेज ड्रामे के बाद सीबीआई ने चिदंबरम को उनके जोरबाग स्थित घर से गिरफ्तार किया था।

    इस दौरान सीबीआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में पांच दिनों कि हिरासत मांगी। तुषार मेहता ने रिमांड कॉपी कोर्ट को दी। तुषार ने कहा कि INX मीडिया मामले में रकम का ट्रांसफर हुआ था। चिदंबरम सीबीआई के सामने पेश होने से बच रहे थे। NBW जारी होने के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया।

    तुषार मेहता ने कहा कि चिदंबरम जांच में सहयोग नही कर रहे हैं। इस मामले में गवाहों और आरोपियों के साथ उनका आमना- सामना कराना है। चिदंबरम ने अपने पद का दुरुयोग किया। 5 मिलियन डॉलर के लेनदेन का मामला है। विदेशों से आए रकम का ब्यौरा सही से नहीं दे रहे हैं।

    एजेंसी के सवालों पर ये चुप नहीं है बल्कि असहयोग कर रहे है। या तो जवाब देने से मना कर रहे हैं या बातों को घुमा रहे हैं। इसलिए उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ जरूरी है।

    मेहता ने दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला भी सामने रखा और फैसले के हवाले से अपराध की गंभीरता बताई। उन्होंने कोर्ट में केस डायरी भी पेश की और कहा कि हिरासत में लेकर पूछताछ प्रभावी होती है। तुषार ने तर्क दिया कि ये मनी लॉंड्रिग का बड़ा केस है।

    वहीं चिदंबरम की ओर से पेश कपिल सिब्बल ने कहा कि कार्ति को नियमित बेल मिलती रही है। भास्कर रमन को तो अग्रिम जमानत मिली थी। इन दोनों को ही सीबीआई ने कभी चुनौती नहीं दी। दिल्ली हाईकोर्ट ने ही इन दोनों को जमानत दे रखी है। सिब्बल ने जमानत आदेश की प्रति अदालत को दी। सिब्बल ने कहा कि इस मामले में जांच पूरी हो चुकी है। सिब्बल ने कहा कि इस मामले में FIPB की स्वीकृति 6 सेकेट्री के द्वारा दी गई। कपिल ने कहा कि चिदंबरम ने जांच में हमेशा सहयोग किया है। कपिल ने कहा कि 12 सवाल आज सुबह 11 बजे के बाद पूछे गए। कपिल ने कहा कि 12 सवालों में से 6 के जवाब पहले ही दिए थे।

    सिब्बल ने कहा कि सीबीआई के आरोप बेबुनियाद है कि चिदंबरम ने जांच में सहयोग नही किया। केस डायरी को सबूत नही कह सकते।

    वहीं वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने जमानत की मांग करते हुए कहा कि किसी आरोपी के सरकारी गवाह बन जाने से ही चिदंबरम को आरोपी नहीं बनाया जा सकता। सीबीआई ने इस मामले में किसी को गिरफ्तार नही किया। सिंघवी ने कहा कि चिदंबरम वो जवाब नहीं देंगे जो सीबीआई सुनना चाहती है। जांच में सहयोग तब नही होता जब 10 बार बुलाया जाता और 5 बार बुलाया जाता। सीबीआई ने जून 2018 में एक बार उन्हें बुलाया गया था और वो पेश भी हुए थे।

    इंद्राणी मुखर्जी ने फरवरी 2018 में कोर्ट में बयान दिया था। उसके बाद अब गिरफ्तार किया गया है। 14 महीने तक एजेंसी चुपचाप बैठी रही। सिंघवी ने कहा कि सीबीआई ने हिरासत तो मांगी है पर कोई आरोप नहीं लगाया है। ये बताएं आरोप क्या हैं? उनके फरार होने या सबूतों व गवाहों से छेड़छाड़ करने की आशंका नहीं है। ये हिरासत का मामला नहीं है। सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के हवाला देते हुए कहा कि रिमांड कुछ ही मामलों में दी जाती है।सिंघवी ने कहा कि रिमांड सिर्फ विशेष परिस्थितियों में दी जाती है। इस संबंध में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के कुछ फैसलों का हवाला दिया।

    इस बीच चिदंबरम ने कुछ कहने की कोशिश की लेकिन तुषार ने इसका विरोध करते हुए कहा कि पहले ही दो वकील बहस तक चुके हैं।

    तुषार ने कहा कि जून 2018 के बाद केस में नए तथ्य सामने आए हैं लेकिन जांच आगे नहीं बढ़ पाई क्योंकि दिल्ली हाई कोर्ट से चिदंबरम को अंतरिम सरंक्षण मिल गया था। सीबीआई ने हाई कोर्ट में भी हलफनामा दाखिल कर कहा था कि वो उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ करना चाहती है। अब हाई कोर्ट ने भी माना है कि इस गंभीर अपराध में जमानत नहीं दी जा सकती।

    तुषार ने कहा कि एजेंसी के पूछताछ करने के अधिकार को छीना नहीं जा सकता और एजेंसी अपने हिसाब से सवाल करेगी। जांच की बात को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता।

    Tags
    Next Story