गृहमंत्री लोकसभा में सोमवार को नागरिकता अधिनियम संशोधन विधेयक पेश करेंगे
LiveLaw News Network
8 Dec 2019 12:15 PM IST
केंद्रीय गृहमंत्री, अमित शाह, सोमवार को लोकसभा में नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 को पेश करेंगे। संशोधन में पाकिस्तान, बांग्लादेश और बांग्लादेश से गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने की शर्तों को शिथिल करने का प्रयास किया गया है।
प्रस्ताव ने पहले ही बहुत सारे विवाद उत्पन्न कर दिए हैं। विधेयक के आलोचकों का तर्क है कि संशोधन नागरिकता को धार्मिक पहचान से जोड़ना चाहता है, जो कि संविधान के अनुसार अनुचित है।
इस कदम से उत्तर-पूर्वी राज्यों में इस आधार पर हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं कि यह संशोधन कई अवैध प्रवासियों के ठहरने को वैध करेगा, जिससे स्थानीय जनसांख्यिकी प्रभावित होगी। असम के लिए नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (एनआरसी) पर प्रस्तावित संशोधन का प्रभाव, जिसमें लगभग 20 लाख लोगों के नाम शामिल नहीं हैं, वह भी चर्चा का विषय होगा। पिछली लोकसभा ने जनवरी 2019 में इसी तरह के संशोधन को मंजूरी दे दी थी।
उस बिल के अनुसार, जो 2016 में पेश किया गया था, हिंदू, सिख, पारसी, जैन और ईसाई, जो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से यात्रा दस्तावेजों के बिना भारत चले गए थे, उन पर अवैध प्रवासियों के रूप में विचार नहीं किया गया था। यह नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 2 (1) (बी) में एक नया परंतुक डालकर किया जाना प्रस्तावित था। वर्तमान में मौजूद नागरिकता अधिनियम नागरिकता के लिए अवैध प्रवासियों के दावों को मान्यता नहीं देता है। उस विधेयक में इन देशों के गैर-मुस्लिम प्रवासियों के लिए प्राकृतिककरण द्वारा नागरिकता हासिल करने की शर्त को शिथिल करने का भी प्रस्ताव किया गया था।
मौजूदा कानून के अनुसार, एक व्यक्ति को आवेदन की तारीख से पहले 12 महीने की अवधि के लिए भारत में निवासी होना चाहिए और 12 महीने की उक्त अवधि से पहले 14 वर्षों में से 11 वर्ष तक भारत में भी रहना चाहिए। अधिनियम की तीसरी अनुसूची में क्लॉज (डी) के लिए एक प्रोविज़ो सम्मिलित करके 11 वर्ष की अवधि को पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के गैर-मुस्लिम शरणार्थियों के लिए 6 वर्ष की छूट के रूप में प्रस्तावित किया गया था, लेकिन बिल राज्यसभा में अटक गया और अंततः 16 वीं लोकसभा के विघटन के साथ समाप्त हो गया।