राजीव गांधीं हत्याकांड के दोषियों को रिहा करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ केंद्र सरकार ने पुनर्विचार याचिका दाखिल की

Sharafat

17 Nov 2022 9:00 PM IST

  • राजीव गांधीं हत्याकांड के दोषियों को रिहा करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ केंद्र सरकार ने पुनर्विचार याचिका दाखिल की

    पूर्व प्राधाममंत्री राजीव गांधी हत्याकांड में सभी दोषियों को रिहा करने की अनुमति देने वाले 11 नवंबर के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक पुनर्विचार याचिका दायर की है, जिसमें कहा गया है कि यह आदेश बिना सुने पारित किया गया।

    पुनर्विचार याचिका में कहा गया है कि चूंकि पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या से संबंधित मामला है, इसलिए अदालत को आदेश पारित करने से पहले केंद्र सरकार को सुनना चाहिए था।

    केंद्र ने कहा कि केंद्र सरकार को पक्षकार बनाए बिना सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं/आवेदन दायर किए गए थे।

    जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने इस मामले में 6 दोषियों - नलिनी श्रीहरन, रॉबर्ट पेस, रविचंद्रन, सुथेनथिरा राजा @ संथान, श्रीहरन @ मुरुगन और जयकुमार की समय से पहले रिहाई की अनुमति देने वाला आदेश पारित किया था। तमिलनाडु सरकार 2018 में उनकी सजा कम करने की सिफारिश की थी।

    पीठ ने एजी पेरारीवलन मामले में एक अन्य दोषी की समय से पहले रिहाई के लिए 18 मई को पारित पहले के आदेश का पालन किया।

    बैकग्राउंड

    1998 में राजीव गांधी की हत्या के लिए अपीलकर्ताओं सहित 25 व्यक्तियों को टाडा कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी। जब मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया तो जस्टिस के.टी. थॉमस ने 19 दोषियों को बरी कर दिया, लेकिन उनमें से चार (पेरीवलन, श्रीहरन, संथन और नलिनी) की मौत की सजा को बरकरार रखा। तीन अन्य को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। तमिलनाडु सरकार ने 2000 में नलिनी की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था।

    सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में पेरारीवलन, श्रीहरन और संथन की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया।

    2018 में AIADMK कैबिनेट ने सात दोषियों की रिहाई की सिफारिश की, लेकिन राज्यपाल ने इस छूट को अधिकृत करने से इनकार कर दिया ,था।

    सुप्रीम कोर्ट ने 11 नवंबर 2022 के अपने आदेश में 17 मई को पारित निर्देश के बाद आदेश पारित किया, जिसमें मामले के एक अन्य दोषी पेरारिवलन को राहत दी गई थी।

    पीठ ने कहा कि पेरारीवलन का आदेश वर्तमान आवेदकों पर लागू होता है। कोर्ट ने कहा कि तमिलनाडु सरकार ने सभी दोषियों को रिहा करने की सिफारिश की है, जिस पर राज्यपाल ने कार्रवाई नहीं की है।

    पीठ ने यह भी कहा कि दोषियों ने तीन दशक से अधिक समय तक जेल में बिताया है और जेल में उनका आचरण संतोषजनक था। राजीव गांधी हत्याकांड के दोषी एस नलिनी ने समय से पहले रिहाई की मांग करते हुए अगस्त महीने में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उसने मद्रास हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है जिसके द्वारा उसकी शीघ्र रिहाई की याचिका खारिज कर दी गई थी।

    मद्रास हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश मुनीश्वर नाथ भंडारी और जस्टिस एन माला की बेंच ने नलिनी की याचिका खारिज करते हुए कहा था कि हाईकोर्ट भारत के संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत समान आदेश पारित करने के लिए शक्तियों का प्रयोग नहीं कर सकता जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने हत्या के मामले में एक दोषी एजी पेरारीवलन को रिहा करते हुए आदेश पारित किया था। सुप्रीम कोर्ट ने 18 मई, 2022 को, संविधान के अनुच्छेद 142 को लागू करते हुए पेरारिवलन को रिहा कर दिया था, जिसने राजीव गांधी हत्याकांड में 30 साल से अधिक जेल की सजा काट ली थी।

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