जुलाई में शेष बोर्ड परीक्षा कराने के CBSE के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 25 जून के लिए टाली, CBSE ने कहा चर्चा चल रही है, बुधवार तक लेंगे फैसला

LiveLaw News Network

23 Jun 2020 7:14 AM GMT

  • जुलाई में शेष बोर्ड परीक्षा कराने के CBSE के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 25 जून के लिए टाली, CBSE ने कहा चर्चा चल रही है, बुधवार तक लेंगे फैसला

    एक जुलाई से बोर्ड (बारहवीं) की शेष परीक्षा आयोजित करने के सीबीएसई के फैसले के खिलाफ याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट 25 जून को सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने ये सुनवाई केंद्र और CBSE की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के अनुरोध पर टाली।

    तुषार मेहता ने जस्टिस ए एम खानविलकर की पीठ को बताया कि "ये चर्चा एक उन्नत स्तर पर है। कल शाम तक, निर्णय को अंतिम रूप दिया जाएगा।"

    उन्होंने कहा कि वो छात्रों की चिंता को समझते हैं। इसलिए अदालत फैसले के लिए एक दिन का ओर समय दे। याचिकाकर्ताओं के लिए वकील ऋषि मल्होत्रा उपस्थित हुए।

    मल्होत्रा ने इस मामले को जल्द से जल्द सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया। पीठ ने कहा कि 25 जून को दो बजे सुनवाई होगी।

    पिछली सुनवाई में पीठ ने CBSE और केंद्र को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।

    दरअसल अभिभावकों ने एक जुलाई से बोर्ड (बारहवीं) की शेष परीक्षा आयोजित करने के सीबीएसई के फैसले के खिलाफ

    सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है और अदालत से यह निर्देश देने का अनुरोध किया कि COVID-19 महामारी को देखते हुए छात्रों को आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर अंक दिए जाएं।

    यह आरोप लगाते हुए कि उनके बच्चों सहित अन्य छात्रों को देश भर के 15,000 केंद्रों पर आयोजित की जाने वाली परीक्षा में शामिल होने के लिए अपने घरों से बाहर आने पर महामारी का सामना करना पड़ेगा,अभिभावकों ने सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है।

    वकील ऋषि मल्होत्रा ​​द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय और आईआईटी सहित कई प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों और विश्वविद्यालयों ने किसी भी परीक्षा का आयोजन नहीं करने का फैसला किया है और सीबीएसई को भी निर्देश दिया गया है कि वह शेष विषयों के लिए परीक्षा का आयोजन न करे।

    उन्होंने कहा है कि छत्तीसगढ़ सहित कुछ राज्य बोर्डों ने छात्रों को घातक वायरस के संपर्क में आने से बचाने के लिए कोई भी परीक्षा आयोजित ना करने का फैसला किया है।

    याचिका में मांग की गई है कि सीबीएसई बोर्ड को 10 वीं और 12 वीं की परीक्षा रद्द करनी चाहिए और आंतरिक मूल्यांकन या आंतरिक अंकों के आधार पर उत्तीर्ण होना चाहिए।

    "शेष परीक्षा आयोजित करने के लिए सीबीएसई की अधिसूचना भेदभावपूर्ण और मनमानी है और वह भी जुलाई के महीने में जिसमें एम्स के आंकड़ों के अनुसार, कहा गया है कि COVID ​​-19 महामारी अपने चरम पर होगी .. "

    याचिका में कहा गया है की

    " विदेश में 250 स्कूलों और विभिन्न राज्य बोर्डों ने जुलाई में आयोजित होने वाली परीक्षा को रद्द कर दिया है और आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर अंक आवंटित किए जा सकते हैं।"

    सीबीएसई ने अपने 250 विद्यालयों के लिए दसवीं और बारहवीं कक्षा की परीक्षाओं को रद्द कर दिया है, जो विदेशों में स्थित हैं और व्यावहारिक परीक्षा या आंतरिक मूल्यांकन के अंकों के आधार पर अंक देने में मानदंड अपनाया है।

    याचिकाकर्ताओं के मुताबिक यह बेहद अफसोस की बात है कि उत्तरदाताओं को भारत में सभी छात्रों के जीवन को खतरे में डालने के बारे में ना तो कोई वास्तविक चिंता है और भारत में उक्त परीक्षा आयोजित करने पर जोर देने के पीछे कोई ठोस कारण भी नहीं है।

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