सुप्रीम कोर्ट को सीबीआई ने बताया, बैंकिंग घोटालों में आरबीआई अधिकारियों के खिलाफ जांच के लिए सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं करेंगे

Sharafat

4 Jan 2023 12:35 PM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट को सीबीआई ने बताया, बैंकिंग घोटालों में आरबीआई अधिकारियों के खिलाफ जांच के लिए सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं करेंगे

    भारत के सॉलिसिटर जनरल, तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि विभिन्न बैंकिंग घोटालों में भारतीय रिजर्व बैंक के अधिकारियों की भूमिका की सीबीआई जांच की मांग करने वाली डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर केंद्रीय जांच ब्यूरो अपना जवाब दाखिल नहीं करेगा।

    एसजी मेहता ने तर्क देते हुए कहा कि आरबीआई ने पहले ही अपना जवाब दाखिल कर दिया है। उन्होंने कहा,

    "मैं प्रस्तुत करूंगा कि सीबीआई को काउंटर क्यों नहीं दाखिल करना चाहिए क्योंकि जांच चल रही है। सभी ए, बी, या सी बैंक धोखाधड़ी में संबंधित एजेंसी जांच कर रही है और अगर आरबीआई अधिकारियों से मिलीभगत है तो उसकी भी जांच की जाएगी। वहां केवल अधिकारियों के एक सेट के लिए जांच का एक अलग सेट नहीं हो सकता है।"

    जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विक्रम नाथ की खंडपीठ ने कहा,

    "अगर वे (सीबीआई) जवाब दाखिल नहीं करना चाहते हैं, तो हम आगे बढ़ेंगे।"

    याचिकाकर्ता डॉ. स्वामी ने व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर कहा कि सीबीआई को अब तक की जांच पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करनी चाहिए। बेंच ने हालांकि ऐसा कोई निर्देश नहीं दिया।

    बेंच ने जवाब दिया, "सीबीआई को जो करना है करने दीजिए, हम बाद में इससे निपटेंगे।"

    डॉ. स्वामी ने यह भी बताया कि आरबीआई का एक प्रतिनिधि निदेशक है जो अभियोजन पक्ष के किसी भी हिस्से में शामिल नहीं है, भले ही वह हर फैसले में एक पक्षकार हो।

    बेंच ने पूछा, "क्या आपने उन्हें पक्षकार बनाया है?"

    उन्होंने आगे बताया कि उन्हें आज ही आरबीआई का काउंटर मिला है। अदालत ने तब उन्हें तीन सप्ताह में एक जवाब दाखिल करने और मामले को एक महीने में सूचीबद्ध करने की अनुमति दी थी।

    याचिका में एडवोकेट सत्य सभरवाल एक सह-याचिकाकर्ता हैं। इस याचिका में डॉ. स्वामी ने आरोप लगाया कि किंगफिशर, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और यस बैंक जैसी विभिन्न संस्थाओं से जुड़े घोटालों में आरबीआई अधिकारियों की संलिप्तता की जांच नहीं की गई।

    पहले की सुनवाई में उन्होंने बेंच को बताया था कि आरबीआई के अधिकारी कथित रूप से कुछ बैंक घोटालों में शामिल होने के कारण जांच से बच गए थे।

    अपनी याचिका में स्वामी ने सूचना के अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत प्राप्त जानकारी पर भी भरोसा किया, जिसमें कथित तौर पर खुलासा हुआ कि रिजर्व बैंक के किसी भी अधिकारी को किसी भी धोखाधड़ी के मामले में किसी भी "कर्तव्य में लापरवाही" के लिए "जवाबदेह" नहीं ठहराया गया था।

    उन्होंने आगे तर्क दिया कि भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, बैंकिंग विनियमन अधिनियम, और भारतीय स्टेट बैंक अधिनियम जैसे कानूनों के सीधे उल्लंघन में आरबीआई अधिकारियों ने "स्पष्ट सक्रिय मिलीभगत" में काम किया।

    पिछले साल अक्टूबर में कोर्ट ने याचिका में नोटिस जारी किया था।

    केस टाइटल : डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी बनाम केंद्रीय जांच ब्यूरो [डब्ल्यूपी (सी) नंबर 196/2021]

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