वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग अदालत को आईसीयू में ऑक्सीजन पर डालने जैसा, वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने मुख्य न्यायाधीश बोबडे को पत्र लिखा
LiveLaw News Network
13 April 2020 7:45 AM IST
COVID 19 लॉकडाउन के कारण सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट और यहां तक कि अधीनस्थ कोर्ट भी प्रभावी रूप से बंद हैं और केवल अत्यधिक अर्जेंट मामलों पर इलेक्ट्रॉनिक रूप से सुनवाई हो रही है। इस बीच वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे को पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने लंबे समय तक अदालतों के बंद रहने पर चिंता जताई है।
वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने लिखा,
"लंबे समय के लिए अदालतों को बंद करना एक आत्म विनाशकारी विचार है। न्यायालय मौलिक अधिकारों के प्रहरी हैं। वहां बैकलॉग है। लोगों के महत्वपूर्ण हित जुड़े हुए हैं और मामले क्वारंटाइन में हैं। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग अदालत को आईसीयू में ऑक्सीजन पर डालने जैसा है।"
उन्होंने कहा, "तो हम थोड़ा बेहतर तरीके से कामकाज को कैसे बहाल करें", इसके लिए कुछ विचार प्रस्तुत किए जा रहे हैं।"
उन्होंने निम्नलिखित सुझाव दिए।
1. सभी अदालतें 25 मामले सुनें। सुनवाई के दिन 5 मामले और 5 अंतिम निपटारे।
2. न्यायाधीश और वकील दस्ताने पहनने के साथ-साथ मास्क भी पहनें। जैसा कि न्यायाधीश डायस पर बैठते हैं। वे एक अच्छी दूरी से वकीलों से अलग हों। वे खुद 5 फीट अलग रखते हुए बैठ सकते हैं।
3. कर्मचारियों को दो समूहों में विभाजित किया जा सकता है, प्रत्येक एक सप्ताह के लिए काम करे। उन्हें पहले से ही टेस्ट और सेनेटाइज़ किया जा सकता है।
4. बहुत कम कर्मचारी न्यायाधीशों से संपर्क करें। अधिमानतः 2 से अधिक नहीं।
5. मामलों को आगे प्रति घंटा के आधार पर विभाजित किया जाना चाहिए। प्रति घंटे 5 मामले। इससे एक समय में अदालत में वकीलों की संख्या कम रहेगी।
6. हर मामले के लिए केवल एक जूनियर के साथ 2 वरिष्ठ वकीलों को प्रवेश की अनुमति दी जानी चाहिए।
7. किसी भी क्लाइंट को अदालत में अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
8. जब उनका मामला खत्म हो जाए तो वकील और उनका क्लर्क कोर्ट रूम छोड़ दें।
9. फाइलिंग केवल इंटरनेट के माध्यम से हो सकती है।
10. किसी भी इंटर्न को अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
11. सभी वकील कक्ष, कैंटीन और पुस्तकालय बंद रहें।
उपयुक्त परिवर्तन के साथ मेरे विचार में यह योजना सुरक्षा के साथ काम कर सकती है।
उन्होंंने पत्र में कहा,
"सुप्रीम कोर्ट को बंद रखना या वीडियो कॉन्फ्रेंस मोड में लंबे समय तक रखना राष्ट्रहित में नहीं होगा। अदालत के थोड़े से कामकाज में चेक और बैलेंस का आभाव है। महामारी की लड़ाई के बीच शीर्ष अदालत को अधिकतम संभव सीमा तक जागृत रहना चाहिए।"